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Uttarakhand Chamoli Glacier Tragedy: बचकर आए समराला के दो लोगोंं ने सुनाई आपबीती, ऐसे बचाई जान

लुधियाना के समराला के चार युवक अभी भी चमोली में ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ में लापता हैं। वहां से बचकर आए दो लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसा वह मंजर था और कैसे उन्होंने खुद को बचाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 04:23 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 04:23 PM (IST)
Uttarakhand Chamoli Glacier Tragedy: बचकर आए समराला के दो लोगोंं ने सुनाई आपबीती, ऐसे बचाई जान
हादसे में बचकर आए नायब सिंह व हरपाल सिंह। जागरण

जेेेेेेेएनएन, समराला। उत्तराखंड के चीन सीमा से सटे क्षेत्र तपोवन में ऋषिगंगा में आए सैलाब में समराला के पूरवा गांव के भी छह लोग बह गए थे। हालांकि इनमें से दो लोग सकुशल हैं, जबकि अभी चार की तलाश जारी है।उनकी तलाश में उनके पारिवारिक सदस्य भी तपोवन गए हुए हैं। बाढ़ से बचकर आए नायब सिंह व हरपाल सिंह ने बताया कि कैसे उसने उस भयावह दृश्य को नजदीक से देखा। जब यह प्राकृतिक आपदा आई उस समय वह टनल में काम कर रहे थे।

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बता दें, 7 फरवरी को ऋषिगंगा में आए सैलाब में 206 से अधिक लोग लापता हो गए थे। अब तक 51 के शव मिल चुके हैं, जबकि ऋषिगंगा और तपोवन-विष्णुगाड पावर प्रोजेक्ट में काम करने वाले 150 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी लापता चल रहे हैं। बाढ़ से बचकर आए समराला के नायब सिंह ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह बहुत ही भयानक मंजर था, जब गलेशियर टूटकर नदी में गिरा।

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नायब सिंह ने बताया कि अचानक धमाके के साथ ऐसी भयंकर बाढ़ उसने कभी नहीं देखी। धमाका सुनकर उसका शरीर सुन्न हो गया, परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी और तुरंत बचने के लिए 35 फीट पाइप के सहारे बाहर आ गया। मैकेनिकल यूनिट में तैनत हरपाल सिंह भी किसी तरह भागकर बाहर आ गया था, जबकि ओपन में काम कर रहे अन्य मजदूर व उसके 4 साथी बचाव के लिए चीखते पुकारते रहे, लेकिन देखते ही देखते उनकी आवाजेंं पानी के शोर मे दब गई व पानी में लापता हो गए।

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हरपाल सिंह का कहना है कि उसको लगता है कि उसके चार साथी आज भी जमीन के नीचे हैं व जरूर जिंदा वापस आएंगे। उनकी कंपनी आरपीपीएल दबे लोगों को निकालने के लिए दिन रात एक कर रही है। फिलहाल दबे लोगों को निकालने के लिए एक ही मशीन काम कर रही है।

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