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पशुओं में दुग्ध क्षमता बढ़ाएगी यह विशेष चॉकलेट, साल में देनी होगी दो से तीन बार

लुधियाना के गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी ने एक खास तरह की चॉकलेट तैयार की है। तीन किलो वजन की यह चॉकलेट पशुओं में दुग्ध क्षमता बढ़ाएगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 09:54 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 09:54 AM (IST)
पशुओं में दुग्ध क्षमता बढ़ाएगी यह विशेष चॉकलेट, साल में देनी होगी दो से तीन बार
पशुओं में दुग्ध क्षमता बढ़ाएगी यह विशेष चॉकलेट, साल में देनी होगी दो से तीन बार

लुधियाना [आशा मेहता]। बाजार में आपने अलग-अलग कंपनियों की चॉकलेट्स तो खूब देखी होंगी, लेकिन क्या कभी पशुओं की चॉकलेट भी देखी है? लुधियाना के गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (GADVASU) के पशु आहार विभाग ने जुगाली करने वाले पशुओं के लिए एक विशेष चॉकलेट बनाई गई। पोषक तत्वों से भरपूर इस चॉकलेट का स्वाद ऐसा है कि पशु इसे चट कर जाते हैं। इससे दुधारू पशुओं की दुग्ध क्षमता वृद्धि हुई है। इसकी कीमत 120 रुपये रखी गई है।

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विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस चॉकलेट को खाने से पशुओं को कई तरह के फायदे होते हैं। पशु आहार विभाग के सीनियर एनिमल साइंटिस्ट व चॉकलेट यूनिट के कन्वीनर डॉ. उदेबीर सिंह बताते हैं कि इस चॉकलेट को 'पशु चाट' का नाम दिया गया है। हम इसे गाय-भैंसों की चॉकलेट कहते हैं। क्योंकि यह देखने में चॉकलेट की तरह ही है और स्वाद भी मीठा है।

यह चॉकलेट प्रोटीन, मिनरल व लवण का उत्तम स्रोत है। इसमें 41 फीसद कच्ची प्रोटीन, 1.4 फीसद फैट, 11 फीसद एनडीएफ, 2.0 फीसद फाइबर व 72.4 फीसद पाचन योग्य तत्व होते हैं। ऐसे में इसे खाने से बांझपन की समस्या दूर होती है और पशुओं की प्रजनन क्षमता में बढ़ोतरी होती है। पशुओं का पाचन तंत्र मजबूत होता है। उनकी भूख बढ़ती है और दूध भी बढ़ता है।

कैसे बनती है

तीन किलोग्राम वजन की इस चॉकलेट को बनाने के लिए नौ सौ ग्राम मोलासिस (सीरा), 450 ग्राम गेहूं का आटा, 450 ग्राम मिनरल मिक्सचर, 300 ग्राम तेल रहित सरसों की खली, 300 ग्राम तेल रहित चावल की पॉलिश, 300 ग्राम यूरिया, 120 ग्राम नमक, 90 ग्राम कैल्शियम ऑक्साइड व 90 ग्राम ग्वार गम का उपयोग किया जाता है। सीरा मिले होने के कारण इसका स्वाद चॉकलेट की तरह ही मीठा होता है। पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं।

साल में दो से तीन बार खिलाएं

डॉ. उदेबीर सिंह ने बताया कि तीन किलो की चॉकलेट को पशु के सामने रख दिया जाता है। पशु एक-दो दिन में धीरे-धीरे चाटकर इसे खत्म कर देते हैं। एक बार यह चॉकलेट देने के बाद पशु को दूसरी बार तीन या छह महीने के बाद दी जा सकती है। साल में दो से तीन बार इसे पशुओं को खिलाया जा सकता है। छह महीने से कम आयु के पशुओं को यह चॉकलेट नहीं दी जाती है।

खुद बनाएं, मुनाफा कमाएं

अगर पशुपालक चॉकलेट बनाने की विधि जानना चाहते हैं तो वह यूनिवर्सिटी से संपर्क कर सकते हैं। पशुपालकों को पांच दिन की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के बाद पशुपालक खुद चॉकलेट बनाकर अपने पशुओं को दे सकते हैं। चाहें तो बेचकर मुनाफा भी कमा सकते हैं।


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