लुधियाना की इस संस्था ने 15 हजार महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
जासं, लुधियाना: सोलह साल पहले एक विधवा मदद लेने पहुंची। माग बड़ी मार्मिक थी। घर में दो छोटे-छोटे ब'चे हैं और राशन के नाम पर रसोई में आटा तक भी नहीं था। मैंने महीने भर का राशन पड़ोस की करियाना शॉप से दिलवा दिया। फिर पूछा आप कोई काम क्यों नहीं करती। जवाब मिला कुछ आता ही नहीं, लेकिन वह सीखने के लिए तैयार थी।
जासं, लुधियाना: सोलह साल पहले एक विधवा मदद लेने पहुंची। माग बड़ी मार्मिक थी। घर में दो छोटे-छोटे बच्चे हैं और राशन के नाम पर रसोई में आटा तक भी नहीं था। मैंने महीने भर का राशन पड़ोस की करियाना शॉप से दिलवा दिया। फिर पूछा आप कोई काम क्यों नहीं करती। जवाब मिला कुछ आता ही नहीं, लेकिन वह सीखने के लिए तैयार थी। उन्हें सिलाई-कढ़ाई सिखाई। दो महीने बाद वह न केवल खुद के पैरों पर खड़ी हो गई, बल्कि और जरूरतमंदों की मदद भी करने लगी। तब ख्याल आया कि ऐसी कितनी औरतें होंगी, जिनका जीवन इससे भी दुश्वार होगा। तब पति सोहन सिंह गोगा से सलाह मशविरे के बाद एक मंच तैयार किया, जिसका नाम रखा नारी एकता आसरा संस्था। यह कहानी है प्रताप नगर की रहने वाली समाजसेविका कुलविंदर कौर की। जरूरतमंद महिलाओं के उत्थान के लिए हमख्याल साथियों के सहयोग से बनाई संस्था नारी एकता आसरा संस्था के बैनर तले महिलाओं के लिए निशुल्क सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग, कुकिंग, पेंटिंग, कंप्यूटर कोर्सेज, ब्यूटी पार्लर की ट्रेनिंग के सेशन चलाकर 15 हजार महिलाओं को अपने पावों पर खड़ा कर चुकी हैं।
हमारा लक्ष्य था महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना रहा
कुलविंदर बताती हैं की शुरुआती दौर में हमारा लक्ष्य था महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना। सफलता मिली तो हमने इसका दायरा बढ़ाते हुए समाज को कुरीतियों के प्रति सचेत करने के लिए अभियान भी चलाए, जिसमें भू्रण हत्या, दहेज के खिलाफ लोगों को जागरूक किया। महिलाओं के उत्थान के लिए पिछले पाच साल से विशेष कार्य करने वाली पाच महिलाओं को संस्था के वार्षिक समारोह में सम्मानित करने का सिलसिला शुरू किया है ताकि और महिलाएं इससे प्रेरित होकर समाजसेवा में अपनी भागीदारी बढ़ाएं। मिशन यहीं पर भी नहीं रुका। औरतों को आत्मनिर्भर बनाने, किसी भी क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाओं को सम्मानित करने के साथ-साथ अब अपनी विरासत के प्रति युवाओं को अवगत करवाने में जुटी है नारी एकता आसरा संस्था। युवाओं को सभ्याचार से जोडऩे व विरासत से रुबरू करवाने के लिए नारी एकता आसरा संस्था ने साल में तीन से चार सभ्याचारक आयोजन करवाने आरंभ किए। विशाल स्तर पर होने वाले इन आयोजन को वैशाखी, लोहड़ी व बसंत जैसे पारंपरिक त्योहार चुने गए। इन आयोजनों की रूपरेखा तैयार करने से लेकर भागीदारी सब युवा वर्ग ही करता है।