पंजाब चुनाव 2022: पारा 10 डिग्री, उम्र 95 साल, फिर भी प्रकाश सिंह बादल में जोश 100%, ये है दिनचर्या
Punjab Chunav 2022 पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए बिसात बिछ चुकी है। देश के वयोवृद्ध नेताओं में शामिल प्रकाश सिंह बादल में क्षेत्र में उतर चुके हैं। इस उम्र व कड़ाके की ठंड में भी बादल का जोश बरकरार है।
गुरप्रेम लहरी, बठिंडा। Punjab Chunav 2022: गले में मफलर, हाथ में दस्ताने, लंबा गर्म कोट और आरामदायक स्पोर्ट्स शूज पहन कर 95 साल के प्रकाश सिंह बादल इस कड़ाके की ठंड में भी प्रचार को ठंडा नहीं पड़ने दे रहे। वे सुबह आठ बजे तक तैयार हो जाते हैं। फिर कुछ देर अखबारों पर नजर दौड़ा कर सादा सा नाश्ता करते हैं और चुनावी माहौल पर चर्चा शुरू हो जाती है। नाश्ते में उबली सब्जियां ही लेते हैं।
कोहरे और दस से बारह डिग्री तापमान के बीच वह अपनी गाड़ी में बैठकर सुबह साढ़े नौ बजे तक बहू व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, भतीजे बाबी बादल व लाली बादल, सुरक्षाकर्मियों व अन्य सहयोगी तजिंदर सिंह मिड्डूखेड़ा के साथ प्रचार के लिए निकल पड़ते हैं। उम्र ज्यादा होने के कारण अब पैदल नहीं चलते। गाड़ी के अंदर बैठे-बैठे ही हाथ जोड़कर सबसे दुआ-सलाम करते चलते हैं। गाड़ी बेहद धीमी रफ्तार में गांव की गलियों में घुस जाती है, तो बच्चे पीछे भागने लगते हैं। बादल सुरक्षाकर्मियों को हिदायत देते हैं कि उन्हें न रोकें। कोई बच्चा उनकी गाड़ी के पास आ जाए तो प्यार से सिर पर हाथ फेर देते हैं। गाड़ी के दोनों तरफ के शीशे खुले रहें, इसका पूरा ध्यान रखते हैं।
लोग कहते हैं, ‘बादल साहब, अब आप घर में बैठकर ही आशीर्वाद दिया कीजिए। ठंड ज्यादा है, बाहर मत निकला कीजिए।’ बादल भी सहज स्वभाव में मुस्कुराते हुए कह देते हैं, ‘मैं आपसे ज्यादा जवान हूं। लोगों के बीच रहता हूं तो मुझे ऊर्जा मिलती है। यही मेरी असली खुराक है।’ उनका लंच भी गाड़ी में ही होता है। उबली सब्जी के साथ सादी रोटी ही उन्हें पसंद है। पंजाब की राजनीति के सबसे पुराने खिलाड़ी प्रकाश सिंह बादल अभी श्री मुक्तसर साहिब के लंबी से विधायक हैं। पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन लोगों से मिलने का उनका अंदाज आज भी बहुत सहज है।
चुनाव आयोग ने नौ जनवरी से जनसभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इससे पहले ही बादल अपनी बहू हरसिमरत कौर के साथ लंबी हलके के 60 गांवों का दौरा कर चुके थे। वह रोज करीब छह गांवों में दौरे करते रहे हैं। हलके में कुल 71 गांव हैं। अब भी गाड़ी में उनके दौरे जारी हैं। वह लोगों के सुख-दुख में बराबर शरीक होते हैं। विशेष कार्यक्रमों में सुरक्षाकर्मियों का सहारा लेकर लोगों के घर भी पहुंच जाते हैं। आचार संहिता के बाद उन्होंने अपने दौरे कुछ कम कर दिए हैं। घर पर भी काफी लोगों से मिल लेते हैं।
पार्टी पर अब भी पूरा कंट्रोल
पार्टी की बागडोर भले ही सुखबीर को सौंप दी हो, लेकिन बादल का भी कंट्रोल कायम है। सुखबीर भी कहते हैं कि जब भी पेंच फंसता है तो बादल साहब चुटकी में हल निकाल देते हैं। रणनीति बनाने में वे माहिर हैं। रणजीत ब्रह्मपुरा को पार्टी में वापस लाने के लिए चंडीगढ़ पहुंच गए थे। बादल का लोहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मानते हैं। गठबंधन के दौरान जब भी मोदी पंजाब आते थे तो मंच पर बादल के पांव छूना नहीं भूलते थे।
वीडियो संदेश और जूम मीटिंग में रणनीति
95 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल प्रचार में तकनीक का भी सहारा ले रहे हैं। बीच-बीच में वीडियो बनाकर अपना संदेश जारी करते रहते हैं। पार्टी की जूम मीटिंग में रणनीति बनाने में भी मदद करते हैं।