जरूरतमंद छात्रों के बने मसीहा, स्कूल का ही खर्च नहीं इलाज भी करा रहे
निखिल सिघल नोबल ट्रस्ट जरूरतमंद छात्रों को उनकी स्कूल फीस किताबे यूनिफॉर्म इत्यदि देने में मदद करता है।
राजेश शर्मा, लुधियाना
प्रमुख कारोबारी ईस्टमैन ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री के डायरेक्टर विनय सिघल द्वारा स्थापित निखिल सिघल नोबल ट्रस्ट न केवल जरूरतमंद छात्रों को उनकी स्कूल फीस, किताबें, यूनिफॉर्म इत्यादि देने में मदद करता है, बल्कि उनके मेडिकल खर्च का जिम्मा भी उठाता है।
इसके लिए ट्रस्ट ने शहर के नामी डॉक्टर का एक पैनल भी बना रखा है, जिससे यह छात्र इलाज के साथ-साथ दवाइयां लेते हैं, जिसका भुगतान ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
8 मई 2008 को ट्रस्ट की शुरुआत तो हुई थी उन जरूरतमंद मरीजों की मदद के लिए जो इलाज का खर्च नहीं उठा सकते, लेकिन इस नेक कार्य के साथ-साथ ट्रस्ट का फोकस शिक्षा पर हो गया। ऐसे बच्चों की खोज की गई जो पढ़ना चाहते थे, लेकिन आर्थिक बाधा की वजह से पढ़ाई छूटने के कगार पर थी, जिस भी स्कूल में उनकी पढ़ाई जारी थी वही पर उनकी फीस का भुगतान ट्रस्ट द्वारा होने लगा।
इन छात्रों में से जो 80 प्रतिशत के आस-पास नंबर लाते थे, उनकी काउंसिलिग करनी ट्रस्ट ने शुरू की। ट्रस्ट ऐसे बच्चों से पूछती है कि क्या अभाव है जिनकी वजह से उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है। मसलन घर का आर्थिक संकट या फिर किसी परिवारिक सदस्य की बीमारी का महंगा इलाज। उस संकट का निवारण भी ट्रस्ट करती है, ताकि उन मेधावी छात्रों की शिक्षा प्रभावित न हो। इन छात्रों की एमबीए, सीए इत्यादि हायर एजुकेशन का खर्च भी ट्रस्ट ही उठाता है। समय के साथ-साथ सेवा कार्यो का विस्तार भी होता गया। मेडिकल पैनल के डॉक्टर्स ने बताया कि छात्रों की अधिकतर बीमारियों की वजह दूषित पेयजल है। इसके चलते 85 स्कूलों में वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम लगाया तो 72 स्कूलों में वाटर कूलर लगवाए गए। इसके बाद 21 सरकारी स्कूलों में चरमराए ढांचे को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी ली। कहीं पर बेंच चाहिए थे तो कहीं पेंट करवाने की जरूरत। किसी में शौचालय बदहाल थे किसी स्कूल को कंप्यूटर की जरूरत थी। सुधार के लिए जो भी मांगा गया वह ट्रस्ट ने उपलब्ध करवा दिया। मेडिकल क्षेत्र में भी कार्य सराहनीय
ट्रस्ट के सेवा कार्य केवल शिक्षा तक सीमित नहीं हैं। मेडिकल क्षेत्र में भी इसके सेवा कार्य सराहनीय है। सिविल अस्पताल में एक उम्मीद नाम से मेडिकल शॉप है जहां से जरूरतमंद मरीजों को निशुल्क दवा का वितरण होता है। शर्त है कि मरीज अस्पताल में दाखिल हों और सिविल अस्पताल के डॉक्टर की लिखी पर्ची हो। हर महीने दो हजार से अधिक मरीज इस सेवा का लाभ उठा रहे हैं। इसके अलावा कहीं भी कोई ऐसा सर्जरी का मरीज दाखिल हो जो मेडिकल प्लेट्स इत्यादि का खर्च उठाने में सक्षम न हो। उस खर्च के लिए भी ट्रस्ट मददगार बनता है। विनय सिंघल का बेटा निखिल सिंघल था। अचानक से उसका निधन हो जाने के बाद विनय ने यह सोच लिया कि वे अब जरूरतमंदों के बच्चों के लिए काम करेंगे।