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लुधियाना में सरकारी स्कूल प्रबंधक बोले, स्कूल में आते ही बच्चों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी

अभिभावकाें का कहना है कि स्कूल प्रवेश करते ही बच्चों की जिम्मेदारी उनकी बन जाती है। कई स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि वे स्कूल में अध्यापकों को पहले बुलाते हैं और बच्चे बाद में पहुंचते हैं ताकि सुरक्षा बनी रहे।

By Edited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 07:44 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 08:13 AM (IST)
लुधियाना में सरकारी स्कूल प्रबंधक बोले, स्कूल में आते ही बच्चों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी
सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान उठा है। (सांकेतिक तस्वीर)

लुधियाना, जेएनएन। मोगा के सरकारी स्कूल में हुई दुष्कर्म की घटना को लेकर सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान उठा है। इस संबंध में दैनिक जागरण ने शहर के विभिन्न सरकारी स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और प्रबंधकों से भी बच्चों की सुरक्षा के बारे में बातचीत की। इस दौरान सभी का यही कहना था कि स्कूल प्रवेश करते ही बच्चों की जिम्मेदारी उनकी बन जाती है। कई स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि वे स्कूल में अध्यापकों को पहले बुलाते हैं और बच्चे बाद में पहुंचते हैं, ताकि सुरक्षा बनी रहे।

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बच्चों से 15 मिनट पहले पहुंचते हैं अध्यापक

सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्मार्ट स्कूल के प्रिंसिपल संजीव थापर ने कहा कि उन्होंने स्कूल में व्यवस्था ही ऐसी बनाई है कि अध्यापकों को विद्यार्थियों के आने से 15 मिनट पहले बुलाया जाता है। इसलिए अध्यापक पहले कक्षा में पहुंचते हैं और बच्चे बाद में कक्षा में आते हैं। इससे बच्चे व उनके अभिभावक सेफ महसूस करते हैं।

बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध

सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गोबिंद नगर की प्रिंसिपल मीनू आदया ने कहा कि स्कूल के मुख्य द्वार पर साफ-सफाई करने वाले महिला और पुरुष दोनों ही खड़े रहते हैं। वहीं स्कूल की कक्षाएं भी बच्चों के आने से दस मिनट पहले ही खोली जाती हैं। किसी भी बाहरी व्यक्ति का स्कूल में प्रवेश निषेध है।

एक चौकीदार गेट पर और एक स्कूल में  तैनात

सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल जवाहर नगर (लड़कियां) की प्रिंसिपल अनिता बेदी ने कहा कि स्कूल में कदम रखते ही सभी बच्चों की जिम्मेदारी स्कूल की हो जाती है। जहां तक बच्चों की सुरक्षा की बात है तो एक चौकीदार स्कूल के गेट पर रहता है और एक अंदर। साइंस लैब अटेंडेंट भी विद्यार्थियों के आने के समय तक स्कूल में मौजूद रहते हैं।

बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित

हर मां-बाप अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता है। जब कभी स्कूलों में दुष्कर्म जैसी घटनाएं सुनने को मिलती है तो मन में डर बैठ जाता है। मेरी बेटी पीएयू के स्कूल में पढ़ रही है, जहां सुरक्षा के पूरे प्रबंध है और माहौल भी अच्छा है। सप्ताह में दो-तीन बार मैं बेटी को खुद स्कूल छोड़ने व लेने जाती हूं। शोभा नेगी, अभिभावक

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