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धुंध व अंधेरे में सड़कों पर हादसों का कारण बनते हैं बेसहारा पशु

शहर की प्रमुख सड़कों पर यमदूत बन कर घूम रहे बेसहारा पशु रात के अंधेरों में हादसों का कारण बन रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 07:15 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 07:15 AM (IST)
धुंध व अंधेरे में सड़कों पर हादसों का कारण बनते हैं बेसहारा पशु
धुंध व अंधेरे में सड़कों पर हादसों का कारण बनते हैं बेसहारा पशु

राजन कैंथ, लुधियाना

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शहर की प्रमुख सड़कों पर यमदूत बन कर घूम रहे बेसहारा पशु रात के अंधेरों में हादसों का कारण बन रहे हैं। सर्दी व धुंध के मौसम में हालात और भी भयावह बन जाते हैं। धुंध में जब हाथ को हाथ दिखाई नहीं देता, उस समय सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा पशुओं से टकरा कर वाहन हादसा ग्रस्त हो जाते हैं, जिससे न केवल कई कीमती जानें चली जाती हैं, बल्कि बेजुबान पशुओं को भी गंभीर चोटें लगती हैं। जिले में पशुओं के लिए 16 एकड़ सरकारी जमीन है, जिसमें प्रदेश भर के पशुओं को रखा जा सकता है। उसके बावजूद यह पशु सड़कों पर बेसहारा घूमने के लिए विवश हैं। दूध नहीं तो गाय भी नहीं, छोड़ देते हैं सड़कों पर

शहर के ताजपुर रोड व हंबड़ा रोड पर सैकड़ों डेयरिया हैं, जिनमें गाय जब बछड़ी जन्मती है तो उसे अंदर रखा जाता है, लेकिन बछड़ा पैदा होते ही उसे सड़क पर छोड़ दिया जाता है। अधिकतर डेयरियों में विलायती नस्ल की गायें हैं, जो चार साल के बाद दूध देना बंद कर देती हैं, जिसके बाद उसे डेयरी से बाहर सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। शहर से सटे गाव के लोग भी रात के अंधेरे में ऐसी गायों व बैल को छोड़ जाते हैं। मरने वालों का सरकारी आकड़ा नहीं

विगत तीन साल के दौरान हुए 660 सड़क हादसों में 977 लोगों की मौत हुई, मगर उनमें यह बेसहारा पशुओं से टकरा कर घायल होने व मरने वालों की संख्या शामिल नहीं है। क्योंकि ऐसे सड़क हादसों के बाद पुलिस किसी के खिलाफ केस दर्ज करने की बजाय धारा 174 के तहत कार्रवाई करती है, जिसके चलते पशुओं से टकरा कर मरने वालों की संख्या भले ही सैकड़ों में है, मगर उनका कोई सरकारी आकड़ा नहीं है। लुधियाना में लगभग साढ़े आठ हजार बेसहारा गऊधन घूम रहे हैं। यह हैं गोशालाएं ..

गाव बुर्ज पवात में जिले की सरकारी गोशाला है, जिसे ध्यान फाउंडेशन चला रही है। 20 एकड़ से ज्यादा जमीन में बनी गोशाला में दो हजार गाय रखी जा सकती हैं, लेकिन अब भी वहा केवल 325 गाय हैं। शहर में गोबिंद गोधाम, दंडी स्वामी गोलोक गोधाम, पखोवाल रोड कृष्ण बलराम गोशाला, लाडोवाल बाल गोपाल गोशाला, प्राचीन गोशाला, दरेसी गोशाला, सलेम टाबरी गोशाला, कैंड नहर पुल गोशाला, जमालपुर गोशाला समेत कुल 30 से ज्यादा गोशालाएं हैं। जिन्हें निगम की ओर से हर महीने लाखों रुपये काऊसेस के रूप में अनुदान राशि दी जाती है। अधिकतर गोशालाएं ऐसी हैं, जहा दिन निकलते ही पशुओं को बाहर सड़कों पर खुले में छोड़ दिया जाता है। जो बाहर हादसों का कारण बनते हैं। यहां बेसहारा पशुओं की है भरमार

जालंधर बाइपास

बस्ती जोधेवाल

समराला चौक

दिल्ली रोड

चंडीगढ़ रोड

लिंक रोड

मालेरकोटला रोड

फिरोजपुर रोड,

हंबड़ा रोड

नूरवाला रोड

काकोवाल रोड

सलेम टाबरी

गिल रोड

फील्ड गंज

शिगार सिनेमा रोड

डिवीजन तीन एरिया

शिव पुरी रोड

बाड़ेवाल रोड, जस्सिया रोड सरकारी रिकार्ड में मृतकों के आंकड़े नहीं

गोवंश सेवा सदन के प्रधान जोगिंदर पाल ने कहा कि सरकारी रिकार्ड के अनुसार देश में गोचराद के लिए तीन करोड़, 32 लाख 50 हजार एकड़ जमीन है, जिसमें से पंजाब में 80 हजार और लुधियाना में लगभग 16 हजार एकड़ जमीन है। आजादी के बाद देश में 36 बिरादरियों द्वारा की गई मुरब्बेबंदी में कमीशन के चेयरमैन सरदार दातार सिंह के नेतृत्व में उक्त फैसले पर मोहर लगाई गई थी। इसके अलावा, श्मशान घाट, हड्डा रोड़ी, चौपाल, तालाब, छपड़, पंचायत भवन, स्कूल, कॉलेज, धर्मशाला व रास्तों व अन्य के लिए अलग से जमीनें छोड़ी गई थी, मगर उसमें से अधिकतर जमीन या तो सरकार की और से ठेके पर दी हुई है, या फिर उन पर नेताओं व अधिकारियों के कब्जे हैं। कोट्स

शहर में केवल एक गोशाला गोविंद गोधाम के साथ निगम का करार है। अन्य गोशालाओं के साथ भी एग्रीमेंट किए जा रहे हैं। इसके अलावा प्रशासन ने नूरपुर व माछीवाड़ा में गोशालाओं के लिए शेड बनवाए जाने हैं, जिनके लिए टेंडर मंगाए गए हैं। जल्द ही उस काम को पूरा कर सभी मवेशियों को वहा शिफ्ट कर दिया जाएगा।

कमलप्रीत बराड़, नगर निगम कमिश्नर


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