Alert For Heart Patient: पराली का धुआं खतरनाक, फेफड़ों, श्वास व हार्ट के मरीजों के लिए बन रहा आफत
मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के छाती रोग विशेष डा. प्रदीप कपूर कहते हैं कि धान की कटाई के सीजन में तो उनके अस्पताल में श्वास व फेफड़ों के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। दमा सीओपीडी हार्ट व किडनी रोगों से पीडि़त मरीजों के लिए पराली का धुआं बेहद खतरनाक है।
लुधियाना, जेएनएन। Alert For Heart Patient: पराली का धुआं इंसान की सेहत पर भी भारी पड़ रहा है। धान की कटाई के सीजन के दौरान एयर क्वालिटी के लगातार खराब रहने से फेफड़ों, श्वास, हार्ट से संबंधित गंभीर बीमारियां बढ़ रही है। रविवार को जिले में पराली जलाने की 265 घटनाएं सामने अाई। पराली जलने की वजह से आसमान में धुंए की एक परत तैरते हुए दिखाई दे रही है।
मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के छाती रोग विशेष डा. प्रदीप कपूर कहते हैं कि धान की कटाई के सीजन में तो उनके अस्पताल में श्वास व फेफड़ों के रोगों के मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है। दमा, सीओपीडी, हार्ट व किडनी रोगों से पीडि़त मरीजों के लिए पराली का धुआं बेहद खतरनाक है। यदि मरीज इस धुएं के संपर्क में लंबे समय तक रहे तो उनके लंग डैमेज हो सकते हैं। हार्ट पर स्ट्रेस बढऩे लगता है, जिससे हार्ट अटैक की संभावना काफी हो जाती है। दमा रोगियों की श्वास नली में धुएं के कण जमा होने से वह सांस लेने में भी समर्थ नहीं हो पाते हैं।
पराली का धुआं गर्भवती महिलाओं के लिए भी जानलेवा
वहीं एसपीएस अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विनस बांसल कहती हैं कि पराली का धुआं गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत खतरनाक है। यदि कोई गर्भवती महिला बार-बार धुएं के संपर्क में आती है, तो उसका प्रभाव भ्रूण वृद्धि पर पड़ता है। शिशु की ग्रोथ पर भी बुरा असर होता है।
उन्हाेंने कहा कि पूरी ऑक्सीजन न मिलने पर समय से पहले लेबर पेन होने लगती है। इसके अलावा जो गर्भवती महिलाएं अस्थमेटिक हैं, उनके लिए तो यह धुआं जानलेवा साबित होता है। क्योंकि धुएं की वजह से रेस्पेरेटरी डिजीज डिवेलप होने लगती है। जिससे जच्चा-बच्चा दोनों को खतरा है।
पराली फेफड़ों व हार्ट को पहुंचाती है नुकसान
दूसरी तरफ पंचम अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. आरपी सिंह के अनुसार पंजाब में किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली लोगों के फेफड़ों व हार्ट को काफी नुकसान पहुंचाती है। एक सप्ताह तक यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति पराली के धुएं को जाने अनजाने में श्वास के जरिए अपने शरीर में लेता है तो इससे फेफड़ों में इंफेक्शन व फेफड़ों का दमा हो सकता है जबकि कई सालों तक लगातार धुएं से प्रभावित होने पर व्यक्ति को फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। यहीं नहीं पराली के धुएं में मौजूद खतरनाक गैसों के कण जब श्वास के जरिए शरीर में दाखिल होते हैं तो खून की नाडिय़ों में जम जाते हैं। जिससे नाडिय़ां सिकुड़ जाती हैं।
हो सकता है ब्रेन डैमेज
वहीं डीएमसीएच की न्यूरोलाजिस्ट डा. मोनिका सिंगला कहती हैं कि जब पराली जलाई जाती है, तो उसमें से कार्बन डाइक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड गैसें पैदा होती है। यदि इन गैसों के संपर्क में कोई व्यक्ति ज्यादा समय तक रहे, तो इससे ब्रेन डैमेज हो सकता है। याददाश्त बहुत कम हो सकती है। जबकि कम समय में धुएं के संपर्क में रहने पर घुटन जैसी समस्या की वजह से सिर भारी हो जाता है, घबराहट होती है। सिर में दर्द की शिकायत होने लगती है।