बातों बातों में: अगर दुकान खुली तो घर की बजाय पुलिस चौकी में कर देंगे क्वारंटान
ढंडारी चौकी के हवलदार अजमेर सिंह पहुंचे और दुकानदार को फटकार लगाते हुए कहा कि होम क्वारंटाइन का मतलब घर में रहना है न कि बाहर
लुधियाना,[आशा मेहता]। कुछ लोग जानबूझकर नियमों की अनदेखी करते हैं और वे डंडे से ही मानते हैं। अब ढंडारी खुर्द में बर्तन बेचने वाले विक्रेता को ही देख लो। सेहत विभाग ने उसे कुछ दिन पहले होम क्वारंटाइन किया था, क्योंकि विक्रेता परिवार सहित दिल्ली से लौटा था। उसे लगा, वह घर में रहे या बाहर अब कौन पूछने वाला है। मगर उसे नहीं पता था कि पड़ोसी उस पर नजरें गड़ाए बैठे हैं। चार-पांच दिन घर रहने के बाद उसने दुकान खोल ली। पड़ोसी एक्टिव हो गए और तुरंत पुलिस को फोन मिला दिया। ढंडारी चौकी के हवलदार अजमेर सिंह पहुंचे और दुकानदार को फटकार लगाते हुए कहा कि होम क्वारंटाइन का मतलब घर में रहना है, न कि बाहर। फिर उन्होंने चेताया कि अगर दुकान खुली और नियम टूटा तो घर की बजाय चौकी में क्वारंटाइन कर देंगे। फिर न तो बर्तन की दुकान खुली और न विक्रेता बाहर दिखा।
इनको बालों की फिक्र
जब से कर्फ्यू हटा है और यह लॉकडाउन में बदला है, तब से लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं। अब तो गली-मोहल्ले से लेकर सड़कों पर भीड़ कोरोना की दस्तक से पहले की तरह दिखने लगी है। मगर कई लोग सड़क पर निकलते समय यातायात नियमों का पालन न करके इस आजादी का दुरुपयोग भी कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ भाईबाला चौक में हुआ। मोटरसाइकिल सवार दो लोग बिना हेलमेट पहने वहां पहुंचे। ट्रैफिक पुलिस कमयों ने उन्हेंं रोका और हेलमेट न पहनने का कारण पूछा। जवाब मिला, हेलमेट पहनने से गर्मी लगती है और बाल खराब होते हैं। मुलाजिमों ने उन्हें कहा, भाई सिर की परवाह नहीं, बालों की फिक्र है। कौन कहेगा कि तुम दोनों समझदार हो। बस फिर क्या था, पुलिस ने हेलमेट न पहनने का चालान थमा दिया। युवकों ने फोन मिलाकर सिफारिश लगाने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने एक न सुनी।
सरकार इनकी भी सुनो
पिछले दो महीने से लॉकडाउन के कारण कामकाज ठप रहा। हर वर्ग आर्थिक मंदी से गुजर रहा है। सरकार से मिली मंजूरी के बाद लघु उद्योग और दुकानदारों ने अपने-अपने कारोबार शुरू कर दिए हैं। इसके साथ ही स्कूल भी ऑनलाइन पढ़ाई करवाने के नाम पर ट्यूशन फीस वसूलने लग गए हैं, लेकिन इन सबके बीच कंप्यूटर सेंटर के संचालक निराशा के साथ-साथ आर्थिक मंदी की मार झेल रहे हैं। भामियां रोड पर पड़ते डॉन कंप्यूटर सेंटर की संचालिका मीना ने बताया कि मार्च, अप्रैल में ही सेंटर में नए बैच शुरू हो जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस बार ऐसा नहीं हो सका। इस कोरोना ने तो उनकी कमाई पर पानी फेर दिया है। अब बैच शुरू नहीं हो सके हैं और उन्हें पूरे साल के नुकसान की चिंता सता रही हैं। अब वह भी सरकार से आॢथक मदद या फिर सेंटर खोलने की इजाजत चाहते हैं।
बीमारी तो बहाना है...
सिविल अस्पताल में पिछले दिनों चार वार्ड अटेंडेंट कोरोना वायरस की चपेट में आ गए। चारों स्टाफ कर्मी पीपीई किट पहनकर ही ड्यूटी दे रहे थे। अब उनके संक्रमित होने से अस्पताल का ज्यादातर स्टाफ डरा हुआ है। सबको अपनी चिंता सता रही है। इसी डर से ठेके और कांट्रेक्ट पर काम कर रहे मुलाजिम अब कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर में ड्यूटी नहीं करना चाहते। कई स्टाफ कर्मी इसके लिए बहाने बनाने लगे हैं। कोई घुटने में दर्द बता रहा है, तो कोई पीठ में। बीमारी भी सोचकर बताई जा रही है। कोई भी खांसी, जुकाम, बुखार का नाम नहीं ले रहा, यदि लेगा तो फंस जाएगा। ऐसे में एसएमओ डॉ. गीता तक भी स्टाफ के बहानेबाजी की बात पहुंच गई। फिर क्या था। उन्होंने वीरवार को एक-एक करके स्टाफ कर्मियों को बुलाया, उनके डर को सुना और फिर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में डटकर लड़ने के लिए उन्हें मोटिवेट किया।
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें