महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस मनाया
श्री एस.एस. जैन सभा माछीवाड़ा के तत्वावधान में चातुमार्स सभा का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, श्री माछीवाड़ा साहिब: श्री एसएस जैन सभा माछीवाड़ा के तत्वावधान में चातुर्मास के लिए विराजित साध्वियां संयम पथ की अमर साधिका भगवती स्वरूपा गुरुनी मैया श्री मगन श्री महाराज की शिष्या सरलमना महासाध्वी श्री निर्मल जी महाराज, बांगर सिंहनी प्रवचन प्रभाविका श्री यशा ज्योति जी महाराज, साध्वी श्री सयक ज्योति जी महाराज, साध्वी रत्न श्री मन्नत श्री जी महाराज, नवदीकिषता साध्वी रत्न श्री वत्सला जी महाराज आदि ठाणे-5 के सानिध्य में दीपावली महापर्व पर त्रिदिवसीय महोत्सव किया गया जिस में जप, तप की खूब झड़ीयां लगी। महासाध्वी श्री यशा ज्योति जी महाराज ने बताया कि दीपावली महापर्व दीयों का पर्व है इस दिन का संबंध दो महापुरुषों से जुड़ा हुआ है। इस दिन प्रभु श्री राम 14 वर्ष का बनवास काट कर अयोध्या नगरी वापिस लौटे थे और नागरिक जनों ने उन के आने की खुशी में दीपक जलाए थे। इस दिन को जैन धर्म अनुयायी इसलिए मनाते हैं क्योंकि हमारे 24वें तीर्थकर तिन्नांण तारयाणं जिन शासन श्रृंगार 24वें भगवान प्रभु महावीर स्वामी जी निर्वाण को प्राप्त हुए थे। इस दिन भगवान का निर्वाण दीपावली की मध्यरात्रि हुआ था। साध्वी जी महाराज ने बड़े ही अच्छे ढंग से प्रभु महावीर स्वामी जी का जीवन सुनाया। उन्होंने कहा कि प्रभु महावीर स्वयं तो तिरे और दुनिया को तिरने का मार्ग 'जिन मार्ग' बता गए। 28 अक्टूबर को प्रभु महावीर के शिष्य 'गौतम स्वामी' ज्येष्ठ शिष्य जिन को गौतम के नाम से भी जाना जाता है। प्रभु सर्पज्ञ, सर्वदशी, अंतयरमी थे। गौतम को देवशमर ब्राह्मण के यहां प्रतिषोधित करने को भेजा जिस में कोई रहस्य था। जब गौतम प्रभु चरणों में वापिस लौट कर आ रहे थे तो रास्ते में सब सूना-सूना और वीरान सा लग रहा था। जब गौतम स्वामी को पता लगा कि प्रभु निर्वाण को प्राप्त हो गए तो गौतम स्वामी रौद्र ध्यान में चले गए और फूट-फूट कर रोने लगे। विलाप करते हुए गौतम प्रभु को याद करते हुए कहते हैं कि प्रभु इतने दिनों तक मैं साथ रहा, अंतिम समय में क्यों मुझे दूर किया। प्रभु महावीर जानते थे कि मेरा शिष्य प्रथम गणधर इसका स्नेह, राग और मोह केवल ज्ञान में बांधा है इसलिए प्रभु ने अंतिम पलों में उसको अपने से दूर भेज दिया। गौतम स्वामी का मोहनीय कर्म रुला रहा है। कुछ समय बाद मोह का पदर हटा और गौतम को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई। इस दिन को 'गौतम प्रतिपदा' के नाम से भी जाना जाता है। महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस गौतम स्वामी का केवल केवल्य दिवस जगह-जगह पर जप, तप द्वारा मनाया जाता है। 28 अक्टूबर को प्रात:काल 'अंगुष्टे अमृत बरसे.. आदि गाथा का जाप जोड़े सहित जैन स्थानक में किया गया। इस अवसर पर सभी भाई, बहनों ने प्रभु का जीवन श्रवण कर अपने आप को धन किया। सभा के प्रधान धर्मपाल जैन द्वारा आए श्रद्धालुओं का धन्यवाद किया।