लुधियाना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट: ऐतिहासिक घंटाघर को संवारने की तैयारियां तेज, विशेष LED लाइटें लगाई
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से शहर की नुहार बदलने की तैयारी तेज हाे गई है। हमेशा गंदगी से भरे रहने वाले एेतिहासिक घंटाघर के आसपास के क्षेत्र में सफाई अभियान चलाया जा रहा है।
लुधियाना, [भूपिंदर सिंह भाटिया]। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लुधियाना शहर की ब्यूटीफिकेशन के लिए नगर निगम कई प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में शहर के सौ से ज्यादा साल पुराने ऐतिहासिक घंटाघर को भी संवारने का काम चल रहा है। इसके लिए घंटाघर में विशेष एलईडी लाइटें लगाई जा रही हैं। हमेशा गंदगी से भरे रहने वाले आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा भी किया जा रहा है। रंग-बिरंगी रोशनी से नहाए घंटाघर पर अब वहां से गुजरने वाले लोगों की एकाएक नजर जा अटकती है।
घंटाघर के चारों दिशाओं में घडिय़ां लगी हुई हैं, लेकिन उनका समय एक जैसा नहीं है। अलग-अलग दिशा से देखने पर घडिय़ां अलग-अलग समय ही बताती हैं। इस पर हरबंस सिंह कहते हैं कि घंटाघर हमारे शहर की पुरानी पहचान है। इसे संवार कर नगर निगम ने काफी अच्छा प्रयास किया है, लेकिन बेहतर होता कि घंटाघर की चारों घडियों की सुइयां भी एक जैसा समय बतातीं।
ओए ऐ ते आपणा बंदा सी
चौड़ा बाजार के आसपास इलाकों में इन दिनों वाहन पाॄकग की अनुमति नहीं है। दुकानदार अपना वाहन तो किसी अन्य स्थान पर लगाते हैं, लेकिन दुकान के आगे लोग दोपहिया वाहन खड़ा कर देते हैं। बाजार के एक व्यापारी राजीव शर्मा ने अपने नौकर को कहा कि यदि कोई व्यक्ति यहां वाहन लगाए तो मौका पाकर टायर पंक्चर कर दिया करो। पड़ोसी दुकानदारों को भी इस बात की जानकारी है। एक दिन शर्मा जी का ही करीबी अपनी स्कूटी खड़ी कर गया। नौकर आया। उसने स्कूटी खड़ी देखी। रूटीन की तरह कील निकाली और टायर में घुसा जी।
शर्मा जी को भी पता नहीं चला। जब वह व्यक्ति लौटा तो जाम लगा हुआ था। शर्मा जी ने नौकर को कहा कि उनकी स्कूटी जाम से निकलवा दो। इस पर नौकर ने कान में जाकर कहा, मैंने तो पंक्चर कर दी। शर्मा जी बोले, ओए ऐ ते आपणा बंदा सी।
प्रशासनिक अधिकारी कोरोना के लपेटे में
तीन माह में प्रशासन ने महामारी से लडऩे और लोगों को जागरूक करने के लिए कई उपाय किए। लोगों को समझाया भी और फिर सख्ती भी की, लेकिन सरकारी कार्यालयों में ही इन एहतियात को सौ फीसद लागू नहीं किया जा सका। सड़कों पर बिना मास्क घूमने वालों के चालान तक काटे गए। मगर शहर के प्रमुख मिनी सचिवालय में ही लोग बिना मास्क और शारीरिक दूरी के घूमते आम देखे गए।
अब एडीसी के कोरोना पॉजिटिव आने और डीसी सहित 30 से ज्यादा अफसरों के क्वारंटाइन होने के बाद प्रशासन जागा। अब डीसी कार्यालय में बिना किसी ठोस कार्य के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। गेट पर ही कार्यालय आने की वजह पर संतोष होने के बाद ही अंदर जाने दिया जाता है। इतना ही नहीं, प्रदर्शन करने वाले समूह में से सिर्फ दो लोगों को ही डीसी के पास जाने की अनुमति दी जा रही है।
सैनिटाइजर की कैनियां हो गईं गायब
कोरोना काल में सैनिटाइजर बनाने वाली कई कंपनियां धड़ल्ले से सामने आ गईं। दवा दुकानों के अलावा हार्डवेयर दुकानों ने भी सैनिटाइजर की कैनियां बेचनी शुरू कर दीं। होलसेल दवा मंडी में तो हर दुकान के आगे सैनिटाइजर की कैनियां ऐसे डिस्प्ले की जाती रहीं, जैसे मुरब्बा बेच रहे हों। शिकायतें मिलने और आला अधिकारियों के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने पिंडी स्ट्रीट में कई दुकानों पर छापे मारे। सैनिटाइजर के सैंपल तक भरे गए। खास बात यह रही कि इनमें से ज्यादातर सैंपल फेल हो गए।
विभागीय कार्रवाई के डर से दुकानों के आगे सजा कर रखी जाने वाली सैनिटाइजर की कैनियां लोगों ने एकाएक हटा दीं और मांग पर ही चोरीछिपे सैनिटाइजर बेच रहे हैं। हालांकि इससे सेल में गिरावट आई। अब यह कैनियां गोदामों में छुपाकर रखी गई हैं। एक दुकानदार श्रवण का कहना है कि गोदाम में रखे सैनिटाइजर से उनकी पूंजी भी फंस गई।