पंजाब में श्रमिकों के लिए फिर लाॅकडाउन जैसे हालात, चुका रहे 300 की जगह 3000 रुपये किराया
पंजाब में अन्य राज्यों के श्रमिकों को फिर लॉकडाउन जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है। उनको घर जाने के लिए 10 गुना पैसे चुकाने पड़ रहे हैं। ट्रेन से जहां का किराया 300 रुपये है वहां बस से जाने के लिए उनको 3000 रुपये देने पड़ रहे हैं।
लुधियाना, [डीएल डान]। पंजाब में किसानों के धरने के कारण ट्रेनों की आवाजाही 24 सितंबर से बंद है। ऐसे में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल से आने-जाने वाले श्रमिकों के लिए फिर लाॅकडाउन जैसे हालात बन गए हैं। श्रमिकों को 10 गुना ज्यादा तक किराया चुकाना पड़ रहा है। अमृतसर से बिहार के जयनगर तक चलने वाली शहीद एक्सप्रेस, अमृतसर से पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी तक कर्मभूमि एक्सप्रेस और फिरोजपुर से झारखंड के धनबाद तक गंगा-सतलुज एक्सप्रेस अंबाला तक ही आ पा रहीं हैं। पंजाब में कुल 14 ट्रेनें पूरी तरह बंद हैं। पंजाब से कुछ श्रमिक गाड़ी करके अंबाला तक पहुंच रहे हैं। इसके लिए उन्हें तीन-तीन बसें बदलनी पड़ रही हैं। वे महंगा सफर करने को मजबूर हैं।
बसों में महंगा सफर करने को मजबूर हो रहे उत्तर प्रदेश व बिहार के मजदूर
लुधियाना से बिहार के सहरसा तक ट्रेन का किराया 300 रुपये है, लेकिन अब श्रमिक 3000 रुपये तक किराया चुका रहे हैं। पंजाब व हरियाणा से घर लौटने वाले श्रमिकों को भी दो से तीन हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। लुधियाना से रोज लगभग दस निजी बसें उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए चल रही हैं। यहां भी एडवांस बुकिंग हो रही है। यात्रियों को बता दिया जाता है कि बस कहां से और कब रवाना होगी।
श्रमिक बहुल इलाकों में बस मालिकों ने खोले दफ्तर, पोस्टर भी लगाए
मजदूर बहुल इलाकों में बस एजेंटों की भरमार है। यहां बुकिंग के लिए आफिस खोले गए हैं। लुधियाना के सलेम टाबरी, बस्ती जोधेवाल, मेहरबान, समराला चौक, शेरपुर, मुंडिया कलां, ग्यासपुरा, जमालपुर व कंगनवाल में टिकट बुकिंग के दफ्तर खुले हैं। श्रमिकों को जानकारी देने के लिए पोस्टर भी लगाए गए हैं। इसमें बुकिंग व बसों की टाइमिंग और जिन शहरों के लिए बसें जानी हैं, वहां की जानकारी दी गई है।
पूर्वांचली नेता डा. संजय कुमार फिरोज व मास्टर सुरजीत कुमार ने कहा कि लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास महंगा सफर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। नवरात्र, छठ पूजा के अलावा बिहार चुनाव के लिए भी कई लोग बिहार व उत्तर प्रदेश जाना चाहते हैं, लेकिन ट्रेनें बंद होने के कारण उन्होंने बुकिंग रद करवा दी है।
बिना परमिट दौड़ रहीं बसें
बिहार से पंजाब तक आवागमन करने वाली बसों का परमिट स्थायी नहीं होता। इनके पास दो-चार दिन का टूरिस्ट परमिट होता है और इसी परमिट को आधार बना कर बस संचालक रात को बसें दौड़ाने में जुटे हैं। बिहार से आने वाली बसें लुधियाना में यात्रियों को उतारने के बाद किसी गांव या अन्य जगह चली जाती हैं। दिन भर आराम के बाद देर शाम फिर अपने अड्डे पर पहुंच जाती हैं।
इनका कोई स्थायी ठहराव नहीं है। बस मालिक जगह बदलते रहते हैं। एजेंट यात्रियों को ऐन वक्त पर बस के खड़े होने का स्थान बताते हैं और वहां से उन्हें बस में चढ़ाया जाता है। एसीपी ट्रैफिक गुरदेव ¨सह ने कहा कि कार्रवाई की जाती है। अब तक करीब 14 बसें जब्त कर केस दर्ज किया गया है।
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