खन्ना में ललहेड़ी रोड के अधर में अटके निर्माण के खिलाफ दुकानदाराें व लाेगाें का धरना, रेलवे ओवरब्रिज किया जाम
ललहेड़ी रोड स्थित रेलवे लाइन पार इलाके के लोग लम्बे समय से नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। केंद्र सरकार की अमृत स्कीम के तहत इलाके में सीवरेज प्रोजेक्ट चल रहा है लेकिन सीवरेज बोर्ड की लापरवाही से वह भी लटका हुआ है।
जागरण संवाददाता, खन्ना (लुधियाना)। खन्ना के रेलवे लाइन पार इलाके के लोगों का सब्र का बांध मंगलवार को आखिर टूट गया। ललहेड़ी रोड की मुख्य सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटक जाने से खफा दुकानदारों और इलाका निवासियों ने रेलवे ओवर ब्रिज को जाम कर दिया। वे ओवर ब्रिज के आगे ही सड़क पर धरने पर बैठ गए। इससे ओवर ब्रिज पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। करीब डेढ़ घण्टे के बाद आश्वासन के बाद धरने को हटाया गया।
गौरतलब है कि ललहेड़ी रोड स्थित रेलवे लाइन पार इलाके के लोग लम्बे समय से नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। केंद्र सरकार की अमृत स्कीम के तहत इलाके में सीवरेज प्रोजेक्ट चल रहा है, लेकिन सीवरेज बोर्ड की लापरवाही से वह भी लटका हुआ है। ललहेड़ी रोड की मेन सड़क का निर्माण खन्ना नगर कौंसिल की तरफ से करीब एक करोड़ की लागत से हो रहा है। इसे बनाने वाले ठेकेदार ने सड़क को तो खोद दिया लेकिन उसका निर्माण शुरू नहीं कराया। सारा दिन उड़ती धूल और मिट्टी के चलते लोगों का जीना दूभर हो गया है।
आखिर ललहेड़ी रोड दुकानदार एसोसिएशन के प्रधान गुरमीत सिंह क्लब व अन्य दुकानदारों की अगुआई में लोग मंगलवार सुबह 10 बजे ही धरने पर बैठ गए। सरकार और कौंसिल के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। प्रशासन के अधिकारी और पुलिस मौके पर पहुंची और काम जल्द शुरू कराने का आश्वासन देकर धरना खत्म कराया।
आप के हाइजेक आपरेशन को किया नाकाम
धरना आम लोगों की तरफ से शुरू किया गया था लेकिन आप के कुछ स्थानीय नेता मौके पर पहुंच गए और धरने में शामिल होकर उसे हाइजेक करने की कोशिश की। लोग इसे भांप गए और आप नेताओं को आम लोगों की तरह ही धरने में शामिल होने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि धरना आम लोगों का है इससे किसी राजनीतिक दल का संबंध नहीं है।
मंत्री और पार्षद नहीं उठाते फोन
दुकानदारों ने कहा कि उनका जीवन नरक बना हुआ है। इलाके में एक को छोड़ सभी वार्डों पर कांग्रेस का कब्जा है। पंजाब में और नगर कौंसिल पर कांग्रेस का शासन है। खन्ना के विधायक गुरकीरत सिंह कोटली अब कैबिनेट मंत्री हैं। इसके बावजूद उनकी दुर्दशा है। मंत्री और पार्षद उनके फोन नहीं उठाते। उनके पास सड़क पर आने के बिना कोई चारा नहीं है।