खुद की सुरक्षा को करेंगे कुछ तो भोले भी होंगे खुश
कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया है।
कृष्ण गोपाल, लुधियाना
कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया है। इससे मंदिर से लेकर सनातन धर्म के उत्सव भी अछूते नहीं हैं। अनलॉक-1 से मंदिर के कपाट खुल गए हैं, लेकिन इस महामारी के भय से श्रद्धालुओं की संख्या में कमी दिख रही है। सोमवार से भगवान शिव का सबसे प्रिय उत्सव श्रावण आरंभ हो रहा है। इसे लेकर शिव भक्तों ने भगवान के घर में हाजिरी लगाने की तैयारियां कर ली हैं। वहीं मंदिर कमेटियों ने भी सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार पुख्ता प्रबंध किए। इस संबंधी महंत नारायण पुरी ने कहा, एक माह तक लगने वाले इस मेले में शिव भक्तों में उत्साह पाया जा रहा है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते भोले भक्तों को मंदिरों में मास्क, शारीरिक दूरी, सैनिटाइजर के बीच भगवान के दर्शन करने होंगे, वह भी बिना जल, दूध के अभिषेक के। सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार भक्तों की संख्या नियमित की हुई है। इसके चलते बारी बारी से शिव भक्त दर्शन कर सकेंगे।
पहला मंगला गौरी व्रत कल
श्रावण माह का पहला मंगला गौरी व्रत सात को होगा। सौभाग्य और समृद्धि पाने के लिए इस व्रत में श्रावण के हर मंगलवार को देवी पार्वती की पूजा की जाती है। इस बार यह व्रत 7, 14, 21 व 28 जुलाई को किया जाएगा।
आठ को गणेश चतुर्थी, 16 को कामिका एकादशी
आठ जुलाई बुधवार को गणेश चतुर्थी रहेगी। इस बार बुधवार का संयोग होने से ये व्रत और भी खास रहेगा। 16 जुलाई को कृष्णपक्ष की एकादशी है। इसे कामिका एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास और पूजन करना चाहिए।
18 को प्रदोष व्रत व 20 को हरियाली अमावस्या
शनिवार 18 जुलाई को प्रदोष व्रत रहेगा। इसदिन शिवजी व माता पार्वती की विशेष पूजा करने की परंपरा है। 20 जुलाई को हरियाली अमावस्या है। इस तिथि पर पित्तर देवता के लिए धूप-ध्यान और श्राद्ध तर्पण किया जाता है। ये सोमवती अमावस्या भी है।
तीन अगस्त को रक्षाबंधन
23 को हरियाली तीज, 24 को विनायकी चतुर्थी है। भगवान गणपति के लिए यह व्रत किया जाता है। 25 को नाग पंचमी व 30 को पुत्रदा एकादशी है। एक अगस्त को प्रदोष व्रत रहेगा। यह आखिरी श्रावण सोमवार से पहले शिव की विशेष पूजा का दिन है। तीन अगस्त श्रावण का अंतिम दिन रहेगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि व श्रवण नक्षत्र के संयोग में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा।
पूजा विधि
महंत दिनेश पुरी के अनुसार श्रावण माह में शिव व शिवलिग को चंदन का तिलक लगाएं। पूजा स्थान की अच्छी तरह साफ-सफाई करें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद दीपक जला व भगवान शिव का ध्यान लगाएं। शिव कथा व चालीसा का पाठ कर आरती करें।