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पीएयू में पहली बार लगेगा Regional Agricultural Fair, आठ राज्यों के साइंटिस्ट लेंगे हिस्सा Ludhiana News

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में होने वाला पशु पालन मेला थोड़ा अलग और विशेष होगा। क्योंकि नार्थ जोन एग्रीकल्चर फेयर में देश के आठ राज्यों के साइंटिस्ट भाग लेंगे।

By Sat PaulEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 12:31 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 01:09 PM (IST)
पीएयू में पहली बार लगेगा Regional Agricultural Fair, आठ राज्यों के साइंटिस्ट लेंगे हिस्सा Ludhiana News
पीएयू में पहली बार लगेगा Regional Agricultural Fair, आठ राज्यों के साइंटिस्ट लेंगे हिस्सा Ludhiana News

लुधियाना, जेएनएन। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय व गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी की ओर से किसान और पशु पालन मेला लगाया जा रहा है, जो 21 सितंबर से शुरू होगा। पीएयू किसान मेला दो दिन का होगा, जबकि वेटरनरी यूनिवर्सिटी का पशु पालन मेला तीन दिन का होगा। इससे पहले कभी भी वेटरनरी यूनिवर्सिटी की ओर से कभी भी तीन दिन का मेला नहीं लगाया गया।

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खास बात यह होगी कि इस बार पशु पालन मेले के साथ रीजनल एग्रीकल्चर फेयर (आरएएफ) भी लगाया जा रहा है जिसे मिनिस्टरी ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा सपांसर किया है। इसलिए यूनिवर्सिटी ने अपने पशु पालन मेले को रिजनल एग्रीकल्चर व पशु पालन मेले का नाम दिया है। ऐसे में इस बार पशु पालन मेला थोड़ा अलग और विशेष होगा। क्योंकि नार्थ जोन एग्रीकल्चर फेयर में देश के आठ राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा, यूपी, उत्तराखड़, दिल्ली, राजस्थान की एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, वेटरनरी यूनिवर्सिटी, आइसीएआर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक शामिल होंगे। यहीं नहीं, इन राज्यों से बड़ी संख्या में अग्रणी किसान भी पहुंचेंगे।

पांच व आठ नंबर गेट से होगी हैवी वाहनों की एंट्री

पीएयू कैंपस में आयोजित होने वाले दो दिवसीय किसान मेले व रिजनल एग्रीकल्चर व पशु पालन मेले में एंट्री को लेकर रूट प्लान तैयार किया जा चुका है। पीएयू के आठ नंबर गेट व वेटरनरी यूनिवर्सिटी के पांच नंबर गेट से हेवी व्हीकल की एंट्री होगी। यहां से एंट्री लेने वाले व्हीकल के लिए इन गेटों के आसपास पार्किंग की व्यवस्था की है। इसके अलावा हेलीपेड व इसके साथ की जगह को भी पार्किंग के लिए खाली करवाया गया है। थापर हाल की बैकसाइड में भी पार्किंग बनाई है। जबकि एक व दो नंबर गेट से दो पहिया व तीन पहिया वाहनों की मेले में एंट्री होगी। मेले को लेकर फिलहाल दो नंबर गेट पर कंस्ट्रक्शन कार्य को बंद कर दिया है। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के मुताबिक मेले के चलते फिरोजपुर रोड पर ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा न हो, इसके लिए रूट डायवर्शन के बारे में जानकारी देने के लिए पांच नंबर गेट के बाहर, वेरका मिल्क प्लांट, नहर व पीएयू एक नंबर गेट के पास बैनर लगाए जाएंगे।

तीन साल के बाद मिली आरएएफ की मंजूरी

वेटरनरी यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर एक्सटेंशन एजूकेशन डॉ. हरीश वर्मा के अनुसार इस रिजनल एग्रीकल्चर व पशुपालन मेले को लेकर तैयारियां चल रही हैं। यह गर्व की बात है कि मिनिस्टरी ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने यूनिवर्सिटी को रिजनल एग्रीकल्चर फेयर के लिए चुना है। वह पिछले तीन साल से इस फेयर के आयोजन को लेकर अप्लाई कर रहे थे। मिनिस्टरी ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की ओर से भी स्टाल लगाया जाएगा, जिससे किसानों को काफी कुछ जानने को मिलेगा। यहीं नहीं, इस बार इंडसिट्रयल एग्जीबिशन भी लगाई जाएगी। मेले को लेकर किसानों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।

चार किसानों को किया जाएगा सम्मानित

इस बार मेले में महिला सहित चार किसानों को सम्मानित किया जाएगा, जिसमें प्रवासी भारतीय पुरस्कार के लिए बठिंडा के गांव मंडी खुर्द के किसान जगतार सिंह को चुना है। यह पुरस्कार उन्हें सेल्फ कल्टिवेशन फार्मिंग के लिए दिया जा रहा है। जबकि फाजिल्का के गांव पटरेवाला के किसान रूबाश सिंह को दिलीप सिंह धालीवाल मेमोरियल अवॉर्ड दिया जाएगा। इसी तरह फरीदकोट के गांव कोठे रामसर ढिलवां कलां के किसान दिलीप सिंह को उजागर सिंह धालीवाल मेमोरियल अवॉर्ड प्रदान किया जाएगा। वहीं मोगा के गांव अजीतपाल की परमजीत कौर को जगबीर कौर ग्रेवाल अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। यूनिवर्सिटी के निर्देशक प्रसार शिक्षा डॉ. जसकरण सिंह माहल ने बताया कि किसानों के अलावा इस बार मेले में भाई बाबू सिंह बराड़ बेस्ट पोंड अवॉर्ड भी दिया जाएगा। इसके लिए जालंधर की तहसील नकोदर की पंचायत हरिपुर को चुना है। मेले में पहली बार यह ईनाम दिया जा रहा है।

होशियारपुर के टोडरपुर को मिलेगा राज्यपाल पंजाब सवरेत्तम पुरस्कार

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से प्रत्येक वर्ष किसान मेले के दौरान एक ऐसे गांव को राज्यपाल पंजाब सवरेत्तम पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है, जिसने कुछ अलग करते हुए दूसरों के लिए मिसाल पेश की हो। इस पुरस्कार के लिए होशियारपुर के गांव टोडरपुर को चुना है। गांव टोडरपुर ने एक अलग पहचान बनाई है। चार सौ तैंतीस घरों वाले इस छोटे से गांव में खेती करने वाले सौ परिवार हैं जिसमें से साठ छोटे व बीस दरमियाने और बीस बड़े किसान हैं। इन किसानों ने गेहूं व धान के अलावा डेयरी फार्मिग सहित दूसरे सहायक व्यवसायों को अपनाया है। 

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