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स्कैनर मशीन खराब होने की नहीं दी जानकारी तो कमाडेंट ने कमाडर को लगाई फटकार

कोरोना महामारी के चलते इन दिनों रेल यात्री की सुविधा न के बराबर है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 06:30 AM (IST)
स्कैनर मशीन खराब होने की नहीं दी जानकारी तो कमाडेंट ने कमाडर को लगाई फटकार
स्कैनर मशीन खराब होने की नहीं दी जानकारी तो कमाडेंट ने कमाडर को लगाई फटकार

राजन कैंथ, लुधियाना : कोरोना महामारी के चलते इन दिनों रेल यात्री की सुविधा न के बराबर है। ऐसे में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) के पास करने के लिए कुछ भी नहीं है। यही कारण है कि मुलाजिम थोड़े से लापरवाह भी हो गए हैं। पिछले दिनों आरपीएफ की ऐसी ही लापरवाही का खामियाजा लुधियाना के कमाडर को भुगतना पड़ा, जब फिरोजपुर मंडल के कमाडेंट ने उन्हें फटकार लगा दी। दरअसल, लुधियाना रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर यात्रियों के सामान की जाच के लिए स्कैनर लगा है। इस पर आरपीएफ मुलाजिमों की ड्यूटी होती है। पिछले दिनों मशीन में तकनीकी खराबी आ गई और आरपीएफ मुलाजिमों ने कमाडर को इसकी सूचना नहीं दी। ऐसे में मशीन ठीक नहीं करवाई जा सकी। इसकी सूचना जब फिरोजपुर मंडल में तैनात कमाडेंट को मिली तो उन्होंने कमाडर को फोन करके खूब खरी खोटी सुनाई। इसके बाद मशीन ठीक करवाने के लिए कंपनी को फोन किया गया। कोरोना का तो बहाना है..

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पिछले चार माह से देश कोरोना से जूझ रहा है। अधिकतर लोगों ने वर्क फ्रॉम होम शुरू कर दिया तो कई लोग कोरोना के डर से घर बैठ गए हैं। हालाकि शहर में एक शख्स ऐसे भी हैं, जो कोरोना नहीं बल्कि कुत्ते के डर से छुट्टिया करके घर बैठ गए हैं। शहर में स्टेशनरी की फर्म में काम करने वाले एक कर्मचारी ने अचानक दफ्तर आना बंद कर दिया। सहकर्मियों को लगा कि कोरोना के डर से परिवार ने दफ्तर जाने से रोका होगा, लेकिन जब वह चार माह दफ्तर नहीं आया तो लोगों को लगा कि वह काम छोड़ गया है। उसके बाद वह अचानक काम पर आ गया। सहकर्मियों ने इतने दिन काम पर न आने का कारण पूछा तो उसने बताया कि उसकी गली में एक खूंखार आवारा कुत्ता आ गया था, जिसके डर से कोई बाहर नहीं निकल पाता था। वह भी इसीलिए नहीं आया। मंदिर-गुरुद्वारों में पैकेज फिक्स

कोरोना के चलते सरकार ने पहले शादी समारोह में दोनों पक्षों के 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी थी। बाद में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इसे 30 सदस्यों तक सीमित कर दिया। इसके चलते पहले जो शादिया बड़े मैरिज पैलेस व रिजॉर्ट में होती थीं, उनका दायरा सिमटकर बैंक्वेट हॉल, रेस्टोरेंट, मंदिर और गुरुद्वारों तक ही रह गया। इसे आपदा में अवसर की तरह लिया जाने लगा है। जिन मंदिर व गुरुद्वारों में खुले स्थल हैं और वहा इतने लोग आसानी से आ सकते हैं, उन धार्मिक स्थलों में अब शादी समारोह के आयोजन के लिए पैकेज फिक्स कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं, उन धर्म स्थलों में शादी का आयोजन कराने से लेकर बारातियों व दुल्हन पक्ष के लोगों का खाना (लंगर) तैयार करके देने का पैकेज भी दिया जा रहा है। लोग भी वहा से मिल रहे इन पैकेजों से बेहद खुश हैं। थाने का बोर्ड छिप न जाए

पिछले दिनों चंडीगढ़ रोड के कुछ छुटभैया नेताओं ने अपनी नेतागिरी चमकाने की सोची। उन्होंने सोचा कि सावन का महीना चल रहा है, क्यों न इलाके के थाना प्रभारी को साथ लेकर कुछ जगहों पर पौधारोपण किया जाए। फिर क्या था, वे अपनी मंशा लेकर थाना प्रभारी के पास पहुंच गए, लेकिन बिजी शेड्यूल के कारण थाना प्रभारी ने उन्हें समय देने से मना कर दिया। काम बिगड़ता देख नेताओं ने थाना प्रभारी से कहा कि वो ज्यादा समय नहीं दे सकते तो थाने के बाहर ही उनके साथ एक पौधा लगा दें। इस पर थाना प्रभारी ने हामी भर दी। थाने के बाहर नेताओं ने पौधा लगाया और लाइन बनाकर फोटो सेशन करवाया। इन सबके बीच वे ये तो भूल ही गए कि उन्होंने बरगद का पेड़ लगाया है, जिसके ठीक पीछे थाने का बोर्ड लगा है। पेड़ जब अपना आकार लेगा, तो वह बोर्ड उसके पीछे छिप जाएगा।


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