संतों का आशीर्वाद सभी के लिए होता : रमेश मुनि
एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर में श्री रमेश मुनि म. श्री मुकेश जैन श्री मुदित म. आदि मुनि संघ के सानिध्य में प्रार्थना सभा हुई।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर में श्री रमेश मुनि म., श्री मुकेश जैन, श्री मुदित म. आदि मुनि संघ के सानिध्य में प्रार्थना सभा हुई। इसमे रमेश मुनि ने कहा, जब मित्रों के साथ खेल रहा था तब प्रभु गौतम स्वामी को उसने देखा व पूछा कि क्या भगवान महावीर के दर्शन कर सकता हूं। इस पर भगवान गौतम ने कहा था कि भगवान सभी के होते हैं। जैन मुनि ने कहा कि यद्यपि मैं जैन मुनि हूं, लेकिन सभी का हूं और सब मेरे हैं। प्राणी मात्र का कल्याण हो यह मेरी हार्दिक भावना है। ईसाइयों का पादरी, मुसलमानों का फकीर, हिदुओं का संन्यासी और जैनों का मुनि होता है। जैसे गंगा का जल और वृक्ष का फल सभी के लिए होता है, वैसे ही संतों का आशीर्वाद और अनुभव। संतों को किसी जाति विशेष से मत बांधना। ऐसा करना संतत्व की हत्या जैसा है। उन्होंने फरमाया कि कभी भी भूल कर प्रभु की प्रार्थना करना मत छोड़ना। एक बार शिष्य ने पूछा, गुरुदेव, क्या प्रार्थना का अनादर है। बिल्कुल नहीं पी सकते सुनकर शिष्य चुप हो गया। थोड़ी देर बाद फिर पूछा, सिगरेट पी सकते है? गुरु ने कहा, कतई नहीं। प्रार्थना तो कभी भी की जा सकती है। दोनों में क्या फर्क है। फर्क है जमीन-आसमान का। उस फर्क को समझना ही सभ्यग ज्ञान है। इससे पहले बुधवार को रमेश मुनि ने कहा, किसी को अपमान नहीं, अपनापन दो। श्री कृष्ण म. की द्वारिका नगरी के विनाश का भी सबसे बड़ा कारण संत का अपमान था। क्योंकि जहां पर संत सती से बुरा व्यवहार होता है, तो वो व्यक्ति, स्थान कभी भी फल फूल नहीं सकता। अरे तुम एक परदेसी हो। एक दिन तुम्हें अपने देश लौटना है। अभी तुम पर्यटन पर आए हो। पर्यटक संभल-संभल कर रहता है। वह किसी से झगड़ता नहीं है। सबकी मीठी यादें साथ रखता है, क्योंकि उसे पता है कि वापस जाना है।