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साहित्यकारों ने की रचनाओं पर चर्चा

साहित्य सभा जगराओं की मासिक मीटिग स्काइ्वे आइलेट्स इंस्टीट्यूट जगराओं में हुई। इसमें सबसे पहला पिछले समय दौरान बिछड़ी रूहों डा.हरनेक सिंह कोमल हरचंद सिंह बेदी महिदर साथी सुखदेव सिंह बड़ी व उड़न सिख मिल्खा सिंह हेरां को श्रद्धांजलि भेंट की गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 06:50 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 06:50 PM (IST)
साहित्यकारों ने की रचनाओं पर चर्चा
साहित्यकारों ने की रचनाओं पर चर्चा

जागरण संवाददाता , जगराओं : साहित्य सभा जगराओं की मासिक मीटिग स्काइ्वे आइलेट्स इंस्टीट्यूट जगराओं में हुई। इसमें सबसे पहला पिछले समय दौरान बिछड़ी रूहों डा.हरनेक सिंह कोमल, हरचंद सिंह बेदी, महिदर साथी, सुखदेव सिंह बड़ी व उड़न सिख मिल्खा सिंह हेरां को श्रद्धांजलि भेंट की गई। साहित्य सभा जगराओं के सीनियर लेखक बलवंत सिंह मुसाफिर हेरां का नावल सुजीत कुछ बोल का विमोचन किया। साहित्य सभा के समूह सदस्यों की ओर से इस नावल को खुशामदीद कहा गया और मुसाफिर साहिब को बधाई दी गई।

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उपरांत कवि दरबार में हरप्रीत अखाड़ा ने कविता कुदरत, हरबंस सिंह अखाड़ा ने कविता बहुत न मारना हुए, प्रो कर्म सिंह संधू ने ताहिरा सरा की नजम लावारिस हरदीप सिंह ने कविता, सुख ए लहजे का प्रभावों, मनी हठूर ने गीत, बाबा नानक सिंह पर रखी रहमत वाली ओट, जगजीत जीत ने हिदी कविता तिनका-तिनका रूह है यारा, गुरजीत सहोता ने गजल, मुक जाना है हनेरा रात का, अवतार जगराओं ने कविता पत्थर तो भगवान नी होता, राजदीप तूर ने गजल मुर्दे हां पर जिदा होने का नाटक करते है। सब नंगे हां पर्दा होने का नाटक करते है और प्रभजोत सोही ने पिता दिवस पर नजम पुराना पत सुनाकर अपनी उपस्थिति दर्ज लगवाई। सुनाई गई रचनाओं पर बहस हुई और सार्थक सुझाव दिए गए। इस मौके पर अजीत प्यासा, अर्शदीप पाल सिंह, प्रिंसिपल दलजीत कौर हठूर उपस्थित थे।


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