धर्म लाभ ही है एक पूर्ण आशीर्वाद: साध्वी प्रीति
धर्म कमल हाल में जारी धर्म सभा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं पहुंची।
संस, लुधियाना : वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी रंजन श्री म.सा., साध्वी प्रीति सुधा श्री म. सा., साध्वी प्रीति यशा श्री म. आदि ठाणा-3 के सान्निध्य में भारी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने हाजिरी भरी। चातुर्मासिक सभा में पू. हरिभद्र सूरि द्वारा विरचित ललित विस्तरां ग्रंथ का वाचन प्रतिदिन चल रहा है। आज की सभा में साध्वी प्रीति सुधा म.सा. ने कहा कि इस शासन की स्थापना केवल भगवान ने की है। साधु-साध्वी म. सा. को छोड़कर धर्म लाभ का आशीर्वाद कहीं नहीं मिलता। धर्म लाभ यह एक पूर्ण आशीर्वाद है। अगर कोई आपको आशीर्वाद देता है तो वह सम्यतिवान भव, आयुष्यभान भव, यही कहेगा। इससे जिदगी नहीं चलती है। जिदगी अगर अच्छी तरह गुजारनी है तो धर्म लाभ यह एक पूर्ण आशीर्वाद है। जब किसी तपस्वी को साता पूछते है तो वह देव, गुरु पसाय बोलता है। मेरे में तो एक उपवास की भी शक्ति नहीं है। आज मेरा तेला हुआ। यह देव गुरु की कृपा से हुआ है। यह शब्द हमारे अहं का नाश करता है। जब कोई मर जाता है तो कोई कहता है, पूरा हो गया, कोई बोलता है शांत हो गया। कोई बोलता है मर गया, लेकिन साधु के लिए काल धर्म शब्द का उपयोग किया जाता है। काल का धर्म ही सड़न, गलन, विध्वंस है। पुदगल का जो धर्म था वो प्रदगल ने पूरा किया। और उन्होंने बताया कि मां के पेट से जन्म लेना वास्तविक जन्म नहीं है। जब से आप धर्म में जुडे हो, तब आपका जन्म हुआ, ऐसा माना जाता है।