दीक्षा, वैराग्य व संयम ये सभी संन्यास के ही पर्याय हैं : अचल मुनि
एसएस जैन स्थानक सभा जनता नगर के तत्वावधान में हिमाचल रत्न पूज्य श्री जितेंद्र मुनि महाराज के सुशिष्य मधुर वक्ता श्री रचित मुनि म. की 27वीं दीक्षा उत्सव पर रविवार को गुणगान एवं सामायिक दिवस के रूप में जैन स्थानक प्रांगण में श्रद्धापूर्वक मनाया गया।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सभा जनता नगर के तत्वावधान में हिमाचल रत्न पूज्य श्री जितेंद्र मुनि महाराज के सुशिष्य मधुर वक्ता श्री रचित मुनि म. की 27वीं दीक्षा उत्सव पर रविवार को गुणगान एवं सामायिक दिवस के रूप में जैन स्थानक प्रांगण में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। दीक्षा समारोह में सरलात्मा मधुर वक्ता श्री अचल मुनि, हिमाचल रत्न जितेंद्र मुनि, तप सम्राट सत्येंद्र महाराज, लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि महाराज, प्रवचन सूर्य भरत मुनि महाराज, मधुर कथाकार अमृत मुनि महाराज, विद्या भिलाषी तेजस मुनि महाराज, अतिशय मुनि महाराज ठाणे-9 ने गुरुदेव रचित मुनि को दीक्षा उत्सव की शुभकामनाएं दी। सर्वप्रथम नवकार मंत्र का उच्चारण हुआ। इस दौरान समाज में बहुमूल्य सेवा योगदान देने वालों को सभाध्यक्ष सुनील जैन, मंत्री हरदीप जैन व अन्य कार्यकारिणी सदस्यों ने सम्मानित किया। इस अवसर पर अचल मुनि, श्री जितेंद्र मुनि, श्री अनुपम मुनि, श्री भरत मुनि ने रचित मुनि को दीक्षा दिवस की बधाई शुभकामनाएं देते हुए कहा कि- दीक्षा, वैराग्य, संयम ये सभी संन्यास के ही पर्याय हैं। संन्यास का अर्थ है- संसार से विरक्ति, संसार की मोह माया को समझ जाना। उसके प्रति अरुचि हो जाना और उससे विरक्त होकर आत्म भाव में प्रवेश करना। दीक्षा परमात्म स्वरूप को पाने के लिए साधना के मार्ग पर प्रस्थान हैं। इस अवसर पर सभी गुरु भक्तों ने विचार प्रस्तुत किए आने वाले श्रावक एवं श्राविकाओं ने अपने शब्दों के और गीत के माध्यम से दीक्षा दिवस की शुभकामनाएं प्रदान की।
इस अवसर पर एसएस जैन सभा के पदाधिकारीगण चेयरमैन कुलभूषण जैन, प्रधान सुनील कुमार जैन, उप्रधान पंकज जैन, महामंत्री हरदीप जैन, कोषाध्यक्ष प्रमोद जैन, सह कोषाध्यक्ष दीपक जैन सभी मौजूद थे।