कमाई की होड़ में छूटते जा रहे हैं संस्कार : डॉ. राजेंद्र मुनि
प्रवर्तक डा. राजेंद्र मुनि व शिष्य साहित्य रत्न सुरेंद्र मुनि महाराज के सानिध्य में प्रार्थना सभा जारी है।
संस, लुधियाना : एस एस जैन स्थानक किचलू नगर में विराजमान प्रवर्तक डॉ. राजेंद्र मुनि व शिष्य साहित्य रत्न सुरेंद्र मुनि महाराज के सानिध्य में प्रार्थना सभा जारी है। बुधवार की सभा में डॉ. राजेंद्र मुनि ने कहा कि कभी कभी संसार को बाय बाय कहने का भाव रखो। आज दुनिया संसार में हाय हाय करके आ रही है। पर हमें हाय हाय करके नहीं अहो भाव से जिदगी को जीना है।
हाय हाय करके जीने वाले निराशा, उदास, हताश व कायर लोग होते है। लोग बड़ी तेजी से मॉडर्न जमाने की ओर भाग रहे है। हमारे रहने सहने का, खान पीने का, बोलचाल के तौर तरीके से काफी बदल गए। आज पैसे की भूख बढ़ी है। कमाई करने की होड़ बढ़ी है और इन सबके चक्कर में हमारा धर्म, कर्म और संस्कार कहीं न कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। पहले बच्चा स्कूल जाता था, युवक काम धंधों पर जाते थे। तो तभी अपने बड़ों के चरण स्पर्श और निकटता का सुखद, अहसास भी दिन प्रतिदिन कम हो रहा है। हम सभी जानते है कि ये दुनियां स्वार्थी है। फिर भी यह हमसे छूटता नहीं। ठीक है नहीं छूटता, परंतु कम से कम इसे छोड़ने का ख्याल तो मन में बनाओ।
सुरेंद्र मुनि ने कहा कि जीवन में थोड़ा दुख भी जरुरी है। जैसे कोई मीठा ही मीठा खाये तो खाते खाते ऊब हो जाती है। मीठा के साथ बीच में थोड़ा नमकीन जरुरी है। वैसे ही सूखे के बीच में थोड़ा दुख जरुरी है।
प्रण करो, खुद ब खुद खत्म हो जाएगा गुस्सा
उप-प्रवर्तिनी महासाध्वी गुरुणी महासाध्वी मीना म., परम सेवाभावी कर्मठ महासाध्वी श्री मुक्त महाराज, प्रवचन प्रभाविका मधुर गायिका महासाध्वी श्री समृद्धि महाराज, नवदीक्षित साध्वी उत्कर्ष म. रिद्धि ठाणा-4 एस एस जैन स्थानक के सानिध्य में प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ।
महासाध्वी मीना ने कहा कि कोई आपको कहे आपको गुस्सा करना आलोय नहीं है। क्या ये संभव? जैसे हर जगह पर नो स्मोकिग जोन बन गए हैं, वैसे ही नो एंगेर जोन भी होना चाहिए। नो स्मोकिग जोन क्यों जाते है ? कि जहां आप स्मोकिग नहीं कर सकते। क्यों नहीं करत सकते? स्मोकिग कर आप रहे हो। नुकसान सबको हो रहा है। इसी तरह गुस्सा कर आप रहे हो और सारे वातावरण व सब लोगों का नुकसान हो रहा है। इसलिए नो एंगेर जोन जाएं दूसरे कमरे में जाकर गुस्सा कीजिए। कर सकते हो ऐसा? नहीं जब हम अपने आपको आज्ञा देते हैं ना गुस्सा करने की, तब हमे गुस्सा आता है। दिन में दो-चार बार गुस्सा कर लेते हैं। जितनी बार हम गुस्सा करेंगे, वो संस्कार पक्का होता जाएगा। अगर सोच लें कि तीन दिन स्मोकिग नहीं करनी तो वो आदत कमजोर होनी शुरू हो जाएगी। किसी भी आदत को कमजोर करने का एक ही तरीका है। उसे क्रिया में ना आने दो। तो हमने अपनी क्रिया में इस एंगेर को नहीं आने देना। जब हम क्रोध करते हैं तो हमारी पूरी एनर्जी, नेगेटिव हो जाती है। सुबह उठकर नियम लो कि आज मुझे गुस्सा नहीं करना। पहले बाहर से खत्म करो, फिर अंदर से अपने आप हो जाएगा। वो आत्म रूपी ज्ञान के साथ पूर्णत: खत्म हो जाएगा।
माता-पिता का हमेशा सम्मान करें
एस एस जैन स्थानक 39 सेक्टर में विराजमान रमेश मुनि, मुकेश मुनि व मुद्रित मुनि ठाणा-3 के सानिध्य में प्रार्थना सभा जारी है। गुरुदेव रमेश मुनि ने श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जीवन में माता-पिता के अनंत उपकार हैं। क्योंकि हमारे शरीर में विद्यमान तीन अंग पिता की देन है, जैसे कि शरीर में रही संपूर्ण हड्डियां, हड्डी की ऊर्जा और संपूर्ण बाल। तीन अंग माता की देन है, मांस, रक्त और मस्तिष्क। यदि माता पिता द्वारा प्राप्त उन तीन-तीन अंगों को अलग कर दिया जाए तो हमारे पास बचेगा क्या? अत: ऐसे अनंत उपकारी की सदा आज्ञा माने। हमारे महापुरुष भले ही वे राम रहे हो या श्री कृष्ण। बुद्ध रहे या प्रभु महावीर, सदा उन्होंने भी माता पिता का आदर सम्मान, सत्कार नमन ही किया है। सदा उनका आशीर्वाद लें, सेवा करें जिससे कि हमारा जीवन भी सुखमय बन सकें।
मुकेश मुनि ने कहा कि सामायिक एक महान साधना है। जिस क्रिया को करने से जीवन में समभाव की प्राप्ति हो, विषमता दूर हो जाए, उस क्रिया को सामायिक कहा जाता है। सामाजिक की साधना कर्मों के आश्रव का मां निरोध हो जाता है। फिर आत्म बल बढ़ता है, कर्मों की मार शक्ति कमजोर पड़ जाती है। सामायिक के दो भेद बताए गए है, द्रव्य सामायिक व भाव सामायिक कहा जाता है। समता, समभाव, उज्ज्वल भाव, आत्म चितन आदि को भाव सामायिक कहा गया है।