लुधियाना में राइस मिलर्स बोले, केंद्र ने सही नीति नहीं बनाई तो अगले सीजन में करेंगे बायकाट
अक्टूबर 2020 से शुरू हुए धान सीजन के दौरान सूबे की मिलों में लगभग 202 लाख टन धान का स्टाक किया गया है। सरकारी मानक 67 फीसद के हिसाब से मिलर्स ने प्रोसे¨सग के बाद लगभग 135 लाख टन चावल की सप्लाई सेंट्रल पूल में करनी है।
लुधियाना, राजीव शर्मा। अक्टूबर 2020 से शुरू हुए धान सीजन के दौरान सूबे की मिलों में लगभग 202 लाख टन धान का स्टाक किया गया है। सरकारी मानक 67 फीसद के हिसाब से मिलर्स ने प्रोसे¨सग के बाद लगभग 135 लाख टन चावल की सप्लाई सेंट्रल पूल में करनी है। अभी तक लगभग 75 लाख टन चावल की ही आपूर्ति हुई है। अब केंद्र सरकार द्वारा बारदाने को लेकर कोई नीति क्लीयर न होने के चलते चावल की प्रोसेसिंग के काम को ग्रहण लग गया है। मिलर्स का तर्क है कि बारदाना नहीं आने के कारण प्रोसे¨सग के बाद चावल की पै¨कग नहीं हो पा रही है।
इसके साथ ही सरकार ने दस लाख टन फोर्टिफाइड चावल की मांग पहले की है, जबकि मिलर्स के पास इसके लिए आवश्यक मिक्सिंग मशीनें नहीं हैं। मिलर्स ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने नीतियों में बदलाव नहीं किया तो अगले सीजन में मिलर्स धान खरीद का बायकाट करेंगे और मिलों में धान का स्टाक नहीं कराया जाएगा। उद्यमियों के का कहना है कि धान की भराई में पचास फीसद बारदाना सरकार देती हैं और पचास फीसद मिलर्स लाते हैं। सरकार ने इस बार तर्क दिया है कि कोरोना के कारण पिछले साल जूट मिलों में उत्पादन कम हुआ और मिलर्स को 70 फीसद बारदाना लगाने को कहा गया।
नतीजतन मिलर्स ने 70 फीसद बारदाना लगाया और सरकार ने 30 फीसद बारदाना देकर 200 लाख टन से अधिक धान का स्टाक सूबे की मिलों में करवा दिया। इस पर सरकार प्रति बोरी मिलर को 7.32 रुपये यूजेस चार्जेस अदा करती है। अब चावल भरने के लिए बारदाने की जरूरत है। सरकार की ओर से अभी तक सप्लाई किए गए बारदाने में करीब 75 लाख टन चावल भर कर सेंट्रल पूल में दिया जा चुका है। अब 60 लाख टन चावल भरने के लिए बारदाने की जरूरत है। सरकार न बारदाने को लेकर कोई नीति बना रही है और न ही मिलर्स को बारदाना अपने स्तर पर लगाने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं। इस वजह से काम रुक गया है।
मिक्सिंग के लिए चीन से आती है मशीनरी : चीमा
पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन के महासचिव गुरदीप सिंह चीमा ने कहा कि सरकार की ढीली नीति के चलते मिलर्स को आर्थिक नुकसान हो रहा है। सारे चावल की मि¨लग करके 31 मार्च तक देना है, लेकिन बारदाने को लेकर नीति न होने के कारण यह संभव नहीं है। इसके अलावा अब सरकार पहले फोर्टिफाइड चावल मांग रही है।
इसे तैयार करने के लिए चावल में मिक्सिंग की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए मशीनरी चीन से आयात होती है। मिलर्स के पास ऐसी मशीनरी नहीं है। ऐसे में फोर्टिफाइड चावल देना तुरंत संभव नहीं है। चीमा ने कहा कि सरकार ने नीतियों को न बदला तो एसोसिएशन के सदस्य अगले सीजन का बायकाट करेंगे। सरकार सूबे की इस एग्रो बेस्ड इंडस्ट्री को खत्म करना चाहती है।