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Corona Vaccination: वैक्सीन लगाने वाले मरीज काे परेशानी आई ताे आनलाइन दर्ज हाेगी रिपोर्ट, जानें पूरी प्रक्रिया

Corona Vaccination डीएमसी अस्पताल में बने वैक्सीन सेंटर के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की प्रो. डा. अनुराग चौधरी ने बताया कि वैक्सीन लगाकर घर जाने पर अगर समस्या आएगी तो वह नोडल अफसर को संपर्क करेंगे। यह सब बताने के बाद वैक्सीन लगाई जाएगी।

By Vipin KumarEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 07:54 AM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 08:49 AM (IST)
Corona Vaccination:  वैक्सीन लगाने वाले मरीज काे परेशानी आई ताे आनलाइन दर्ज हाेगी रिपोर्ट, जानें पूरी प्रक्रिया
लुधियाना सिविल अस्पताल में करोना वैक्सीनेशन को लेकर सामान तैयार करतीं मुलाजिम। (जागरण)

लुधियाना, जेएनएन। Corona Vaccination: काेराेना वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया भी आसान नहीं है। वैक्सीन के लिए आने वाले मरीज का एंट्री गेट पर सिक्योरिटी गार्ड थर्मल स्कैनिंग करेगा। फिर मरीज रजिस्ट्रेशन रूम में जाकर कंप्यूटर डाटा में दर्ज अपना नाम व पता चेक करेगा। यहां से उसे वैक्सीन लगाने वाले कक्ष में भेजेंगे। वहां मौजूद वैक्सीनेटर लाभार्थी को बताएगा कि उसे किस कंपनी की वैक्सीन लगाई जा रही है। पहली डोज लगने के बाद दूसरी डोज के लिए उसे कब आना है।

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डीएमसी अस्पताल में बने वैक्सीन सेंटर के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की प्रो. डा. अनुराग चौधरी ने बताया कि वैक्सीन लगाकर घर जाने पर अगर समस्या आएगी तो वह नोडल अफसर को संपर्क करेंगे। यह सब बताने के बाद वैक्सीन लगाई जाएगी और फिर नर्स के साथ मौजूद हेल्पर मरीज को आब्जर्वेशन रूम में 30 मिनट तक रखेगा। अगर उसे कोई परेशानी नहीं हुई तो उसे घर भेज दिया जाएगा।

घर भेजने के 24 घंटे बाद अस्पताल का स्टाफ फोन करके उसका हाल पूछेगा। अगर तब कोई परेशानी आती है तो स्वास्थ्य विशेषज्ञों वाली मानिटरिंग कमेटी लाभार्थी को मेडिकल हेल्प देगी। इस दौरान हर स्टेप को आनलाइन दर्ज करके इसकी रिपोर्ट सेहत विभाग और फिर वहां से यह डाटा डीसी के माध्यम से सरकार तक पहुंचेगा।

बड़ा सवाल : आब्जर्वेशन के समय हालत बिगड़ी तो क्या होगा?
सरकार और जिला प्रशासन के बड़े अधिकारियों की देखरेख में हो रही कोरोना वैक्सीन की ड्राई रन रिहर्सल आब्जर्वेशन रूम में लगाए गए केवल एक बेड और उसके बगल में रखे आइवी स्टैंड तक ही सिमट गई है। इसे देखकर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि यदि वैक्सीन का रिएक्शन होगा तो मरीज को कैसे संभालेंगे? उसे तुरंत इमरजेंसी वार्ड या आइसीयू में शिफ्ट करने का क्या इंतजाम है? क्या सिविल अस्पताल में ऐसी व्यवस्था है? अगर इस समय सिविल अस्पताल की व्यवस्था पर गौर करे तो इन सवालों के जवाब असंभव में ही आता है। क्योंकि यहां के डाक्टर किसी भी मरीज की हालत गंभीर होने पर उसे राजिंदरा मेडिकल कालेज व अस्पताल पटियाला या पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर कर देते हैैं।

इन सवालों पर डीसी का जवाब
डीसी डिप्टी कमिश्नर वरिंदर कुमार शर्मा ने बताया कि फिलहाल यह केवल ड्राई रन रिहर्सल है। इस कारण बाकी की पूरी व्यवस्था अभी यहां नहीं की गई, लेकिन जैसे ही ओरिजिनल वैक्सीन लगाने का काम शुरू होगा, इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए बकायदा एक डाक्टर को आन कॅल रखा जाएगा और रिएक्शन के तुरंत बाद इस्तेमाल होने वाली दवा का इंतजाम आब्जर्वेशन रूम में ही किया जाएगा।

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