भगवान राम के गुणों को जीवन में अपनाएं: कृष्ण विज
कृष्ण महाराज (पिता जी) के सान्निध्य में बालकांड के पाठ का समापन किया गया।
संस, लुधियाना : श्रीराम शरणम् ऋषि नगर में चल रहे रामायण ज्ञान के तीसरे दिन की सभा में कृष्ण महाराज (पिता जी) के सान्निध्य में बालकांड के पाठ का समापन किया गया। उन्होंने कहा कि नवरात्र के पावन दिनों में हमें क्रोध, भ्रम और भय से दूर रहना है। हमें सदैव ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का अर्थ, हमें अपनी इंद्रियों को संयम में रख कर अपना जीवन संयम के साथ व्यतीत करना चाहिए। मन से अहंकार को दूर करना चाहिए। राम जी के गुणों को हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। जिस दिन आप में यह गुण आने लग गए, तो समझ लेना की आप पर ईश्वर की अकारण कृपा हो रही है। यह विश्वास रखना है कि प्रभु हमारी हर उचित इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि श्री स्वामी महाराज ने रामायण में श्रीराम जी के चरित्र का बड़े ही अलौकिक शब्दों में वर्णन किया है। इस दौरान भगवान श्रीराम की महिमा का गुणगान किया गया। रामायण की चौपाइयों का गुणगान किया।
एक रात राजा दशरथ ने स्वप्न में अपना अंतिम समय निकट देखा। उन्होंने सभा बुला कर श्रीराम जी को युवराज बनाने का प्रस्ताव रखा। तो सभा में उपस्थित सभी लोगों ने प्रस्ताव को एक मत से अनमोदन किया। इस दौरान रेखा महाराज द्वारा श्री रामायण की चौपाईयों का गुणगान किया। आश्रम के प्रवक्ता विजय गर्ग ने कहा कि आज पूज्य बड़े पिता भगत हंसराज महाराज के शुभ जन्मदिवस (प्रकट दिवस) के रूप में शाम 4 से 6 बजे तक विशेष सत्संग नजदीक आयकर भवन, ऋषि नगर, लुधियाना में होगा।