असत्य बोलने वाले का समाज में नहीं रहता प्रभाव : आशीष मुनि
एस एस जैन स्थानक सिविल लाइंस में चार्तुमास सभा जारी है।
संस, लुधियाना: एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस के तत्वावधान व श्रमण संघीय सलाहकार तपस्वीरत्न सुमति प्रकाश के सुशिष्य श्रमण संघीय मंत्री आशीष मुनि, तत्व चितक उत्तम ठाणा-2, जिन शासन ज्योति साध्वी गीता आदि ठाणा-4 के सानिध्य में जैन स्थानक सिविल लाइंस में चातुर्मास सभा जारी है। मंगलवार की सभा में मंत्री प्रवर आशीष मुनि ने कहा कि क्रोध, लोभ, भय, हास्य, क्रीड़ा, कौतूहल, राग या द्वेष के कारण व्यक्ति झूठ का प्रयोग करता है। वह मानव बनने पर गूंगा होता है, मुंह के रोगों से पीडि़त होता है। उसके मुंह से बदबू आती है। असत्य बोलने वाले का समाज में कोई प्रभाव नहीं रहता। जरुरत से अधिक बोलना भी बुरा है। अधिक बोलने से शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक शक्तियां क्षीण होती है। उसकी काफी शक्ति अधिक बोलने में खर्च हो जाती है। उन्होंने कहा कि बेकार बोलना या बिना पूछे किसी को सलाह देना भी त्रुटिपूर्ण है। बेकार बोलने से शक्ति क्षीण होती है। बिना पूछे सलाह देने से दूसरों के मन में अपने प्रति अनादर की भावना पैदा होती है। असत्य बोलना भी बुराई है। तत्व चितक उत्तम मुनि ने कहा कि हित अहित का ज्ञान सुनकर ही होता है। इसलिए जो श्रेष्ठ हो, उसी में प्रवृति करनी चाहिए। जीवन में ज्ञान की प्राप्ति कई प्रकार से होती है, जैसे किसी वस्तु को देखने से पढ़ने से, सुनने से आदि। व्यक्ति हर वस्तु को देख नहीं सकता, कितु सुन अवश्य सकता है और पढ़ भी सकता है। पढ़ी हुई बात उतनी अधिक समझ नहीं आती जितना किसी के द्वारा समझाने पर शीघ्र समझ में आ जाती है।