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विश्वास ही है जीवन का श्वास: अचल मुनि

स. एस. जैन सभा शिवपुरी के तत्वावधान में जारी चातुर्मास कथा में गुरुदेव अचल मुनि जी ने संबोधित किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 05:57 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 06:30 AM (IST)
विश्वास ही है जीवन का श्वास: अचल मुनि
विश्वास ही है जीवन का श्वास: अचल मुनि

संस, लुधियाना : एसएस जैन सभा शिवपुरी के तत्वावधान में जारी चातुर्मास कथा में गुरुदेव अचल मुनि म. ठाणा-5 ने मानव महल की रचना करते हुए कहा कि महल में कमरों का निर्माण होने के बाद आज फर्श का नंबर आता है, जब तक फर्श नहीं लगता, तब तक कंकर पत्थर पांवों में चुभते है। बिना फर्श के महल की शोभा नहीं। इसी प्रकार मानव महल में हमें विश्वास रुपी फर्श बनाना है। क्योंकि विश्वास ही जीवन का आधार है। लोग कहते है कि जिदगी श्वास पर चलती है पर सच तो यह है कि जिदगी विश्वास पर चलती है। जिदा रहने के लिए भोजन जरुरी है। भोजन से ज्यादा पानी जरुरी है। पानी से ज्यादा वायु जरुरी है और वायु से ज्यादा आयु जरुरी है। मगर मरने के लिए कुछ भी जरुरी नहीं है। आदमी यूं ही बैठे-2 मर सकता है, आदमी केवल दिमाग की नस फटने और दिल की धड़कन रुकने से नहीं मरता, बल्कि उस दिन भी मर जाता है, जिस दिन उसकी उम्मीदें और सपने मर जाते है, उसका विश्वास मर जाता है। आदमी मरने से पहले भी मर जाता है और मरा हुआ आदमी दोबारा थोड़े न मरता है। प्रेम हर किसी से करो पर विश्वास किसी किसी पर करो। गुरुदेव ने कहा कि जिदगी में मां, महात्मा और परमात्मा से बढ़कर है और सुख नहीं है। जीवन में तीन आशीर्वाद जरुरी है, बचपन में मां का, जवानी में महात्मा का, और बुढ़ापे में परमात्मा का। मां बचपन को संभाल देती है, जवानी में नीयत, बिगडे़ तो उपदेश देकर महात्मा सुधार देता है। और बुढ़ापे में मौत बिगड़े तो परमात्मा संभाल लेता है। तीन शब्दों को निकाल दें तो वो सहज कागजों के पुलिदें मात्र रह जाते है। तीन चीजें अगर चली जाएं तो वापिस मुड़कर नहीं आती-शब्द, समय और विश्वास। शीतल मुनि ने कहा कि मर जाने के लिए थोड़ा साय जहर काफी है पर जिदा रहने के लिए काफी जहर पीना पड़ता है। अतिशय मुनि ने कहा कि ज्ञान व आत्मा के बीच दूरी नहीं है, बल्कि हमने बढ़ाई है। गुरु कृपा का अमोघ मेघ सब पर बरसाता है पर हमने ऐसा छाता पहन रखा है कि जिससे सिर पर एक बूंद भी नहीं पड़ती।

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