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Plywood Industry का अस्तित्व बचाने के लिए राहत की दरकार, इनपुट लागत में वृद्धि से बढ़ा संकट

उद्यमी कहते हैं कि यह उद्योग पराली को संभालने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। चीन में पराली का उपयोग प्लाईवुड बनाने में हो रहा है। इस संबंध में उद्यमी यहां पर भी होम वर्क कर रहे हैं लेकिन दिक्कत यह है कि इसका प्लांट चीन से आता है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 08:46 AM (IST)
Plywood Industry का अस्तित्व बचाने के लिए राहत की दरकार, इनपुट लागत में वृद्धि से बढ़ा संकट
केमिकल्स, कच्चा माल एवं ढुलाई खर्च में औसत पंद्रह फीसद तक का उछाल। (फाइल फाेटाे)

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। कोरोना काल के दौरान लाकडाउन के बाद अब अनलाक-5 में काफी कुछ खुल गया है। बावजूद इसके प्लाईवुड उद्योग पटरी पर नहीं आ पा रहा है। उद्यमियों का तर्क है कि केमिकल्स, कच्चा माल एवं ढुलाई खर्च में औसत पंद्रह फीसद तक का उछाल आ गया है, लेकिन बाजार में कमजोर मांग के चलते तैयार माल की कीमत बढ़ नहीं पा रही है। ऐसे में सारा दबाव उद्यमियों के मार्जन पर पड़ रहा है।

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उद्यमियों का तर्क है कि अब मार्जन लगभग खत्म हो गए हैं। यदि अगले दो-तीन माह में स्थिति न सुधरी तो इस उद्योग का अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में सरकार को आगे आकर इस उद्योग को विशेष राहत देनी होगी। उद्यमियों की मांग है कि इस एग्रो आधारित उद्योग को कृषि की तर्ज पर सस्ती ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराया जाए। साथ ही सस्ते आयात को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएं। इसके अलावा इंडस्ट्री को सस्ती दर पर बिजली मुहैया कराई जाए, तभी इस उद्योग में जान आ सकती है।

प्लाईवुड पर भी जीएसटी की दर 12 फीसद करने की मांग

उद्यमियों के अनुसार सूबे में करीब 200 प्लाईवुड बनाने वाली इकाइयां हैं। इनमें से आधी करीब आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। प्लाईवुड पर सरकार ने 18 फीसद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाया हुआ है जबकि ज्यादातर एग्रो बेस्ड उत्पाद जीएसटी की पांच एवं बारह फीसद की दर में हैं। प्लाईवुड पर भी जीएसटी की दर 12 फीसद की जाए। इसके अलावा पंजाब सीमावर्ती राज्य है। यह पोर्ट से काफी दूर है। माल भाड़े का खर्च अधिक आता है। सूबे में बना 75 फीसद माल अन्य राज्यों को भेजा जाता है।

प्लाईवुड बनाने में पराली के उपयोग पर हो रहा काम, पर कई हैं बाधाएं

उद्यमी कहते हैं कि यह उद्योग पराली को संभालने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। चीन में पराली का उपयोग प्लाईवुड बनाने में हो रहा है। इस संबंध में उद्यमी यहां पर भी होम वर्क कर रहे हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि इसका प्लांट चीन से आता है। अभी इंडस्ट्री संकट में है। उद्यमी नया विस्तार करने के मूड में नहीं हैं। चीन से आयात करना भी आसान नहीं है। उद्यमियों के अनुसार हालात सामान्य होने पर इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा सकता है।

कंस्ट्रक्शन उद्योग में सुस्ती से नहीं निकल रही मांग: प्रधान इंद्रजीत

पंजाब प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रधान इंद्रजीत सिंह सोहल के अनुसार केमिकल एवं ढुलाई खर्च औसत पंद्रह फीसद बढ़ा है। इसके अलावा लकड़ी भी पांच से सात फीसद तक महंगी हो गई है, लेकिन कंस्ट्रक्शन उद्योग में सुस्ती से प्लाईवुड की मांग निकल नहीं रही। बाजार में माल का उठाव काफी कम है। नतीजतन इंडस्ट्री अपनी स्थापित क्षमता का केवल पचास फीसद ही उपयोग कर पा रही है।

मौजूदा परिस्थितियों में इंडस्ट्री चलाना मुश्किल हो रहा है। कुल मांग का करीब बीस फीसद उत्पाद विदेशों से आयात हो रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए भी सरकार को कारगर उपाय करने होंगे। एसोसिएशन के चेयरमैन आशोक जुनेजा ने कहा कि एग्रो बेस्ड उद्योगों को एक तरफ सरकार प्रोत्साहित कर रही है, जबकि दूसरी तरफ प्लाईवुड उद्योग को दरकिनार किया जा रहा है। इससे उद्यमी निराश हैं। सरकार को इस उद्योग को भी तवज्जो देकर राहत देनी होंगी। 

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