मनुष्य जीवन को व्यर्थ न गवाएं: रमेश मुनि
एसएस जैन स्थानक सेक्टर-39 में रमेश मुनि महाराज ने शनिवार को भी प्रवचन किए।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सेक्टर-39 में रमेश मुनि महाराज ने शनिवार की सभा में अपने संदेश में कहा कि माता-पिता की सेवा, आज्ञा मानी भाई की, दीक्षा ले गए वनों में, राह पकड़ी कठिनाई की, कटते गए, घाती कर्म-कर्म हुआ दूर अंधकार। ऐसे विरला रहे 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी। तप, अहिसा, सत्य मार्ग का नारा देने वाले प्रभु महावीर ने अपनी वाणी से सभी को समान समझा, चाहे वो कोई भी जात-पात का हो।
भगवान महावीर के सद्मार्ग पर चलना कठिन है, लेकिन असंभव नहीं है। कई साधु संतों ने उनका रास्ता अपना कर श्रावक-श्राविकाओं का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि मन के कर्म प्रभावी होते हैं, जो चिरकाल तक हमें लाभ पहुंचाते हैं। भगवान महावीर ने लोगों से चितन कर अपने मन को शुद्ध करने की अपील की। उन्होंने कहा कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं। पहला जो हम तन से करते हैं, दूसरा जो हम वचन से करते हैं, तीसरा जो कर्म मन से किए जाते हैं। इन सभी में से मन से किया गया कर्म का प्रभाव सबसे अधिक प्रभावी होता है। मनुष्य जीवन बहुत ही कठिनाइयों के बाद प्राप्त होता है, जिसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। शरीर के स्वास्थ्य रहते मनुष्य को मोक्ष और ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य को अपने जीते जी और स्वस्थ रहते ज्ञान की प्राप्ति करनी चाहिए, जो मोक्ष का द्वार खोलती है।
गुरुदेव ने यह भी कहा कि आज्ञा में धर्म है जो शिष्य गुरु के इशारे को समझ जाता है। वह विनयवान कहलाता है। गुरुदेव कहते हैं कि संसार में तीन जनों का उपकार चुकाया नहीं जाता। माता-पिता, गुरु और स्वामी का। माता-पिता द्वारा हमें जन्म दिया जाता है। पिता संस्कार देते हैं। एक माता- पिता ही हैं जो हमें आगे बढ़ने में हर वक्त प्रोत्साहित करते हैं।