Ludhiana Murder Case : डिप्रेशन में प्यारा सिंह ने की थी पत्नी व बेटी की हत्या, चिमटे से शरीर जलने के भी मिले निशान
Ludhiana Murder Case लुधियाना में दाे हत्याओं के मामले में चाैकान्ने वाला खुलासा हुआ है। पत्नी व बेटी के सिर पर किए प्यारा सिंह ने हथौड़े से आठ से नौ वार किए थे। डाक्टरों का मानना मानसिक परेशान व्यक्ति ही इतनी बेरहमी से हत्या कर सकता है।
लुधियाना, [अश्वनी पाहवा]। Ludhiana Murder Case : शहर के शेरपुर कलां इलाके में वीरवार रात को हथौड़े से पत्नी व बेटी की बेरहमी से की गई हत्या के मामले में अब तक पुलिस स्पष्ट कारण पता नहीं लगा पाई है। परिवारिक सदस्यों और मां-बेटी के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों को आशंका है कि आरोपित प्यारा सिंह किसी बात को लेकर मानसिक रूप से परेशान था। प्यारा सिंह की बहन बलजीत कौर का कहना है कि जब से उसने बेटी राजदीप कौर की शादी तय की थी परिवार में कुछ बुजुर्गों की मौत हो चुकी है। वह इस बात से परेशान रहने लगा था। एक स्थानीय डाक्टर से वह इसकी दवाई भी ले रहा था।
वहीं, शवों का पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल बोर्ड में शामिल डा. मोनिका चौधरी का भी मानना है कि दोनों शवों के सिर पर हथौड़े से आठ से नौ वार किए गए थे। पत्नी के सिर सभी वार बाईं ओर थे जबकि बेटी के सिर पर सभी वार सिर के दाईं ओर थे। स्वर्ण कौर के पेट पर तीन जगह गर्म चिमटे से जलाए जाने के निशान भी थे। बेटी के चेहरे और दोनों पैरों पर भी चिमटे से जलाने के निशान थे। इतनी बेरहमी से किसी की हत्या अक्सर तभी की जाती है जब कोई मानसिक रूप से परेशान हो।
डाक्टर यह भी मान रहे हैं कि जिस स्थिति में शव थे उससे लगता है कि उन्हें देर रात ही मार दिया गया हो। पोस्टमार्टम की प्राथमिक रिपोर्ट में दोनों की मौत सिर पर चोट के कारण हुई है। शवों का विसरा जांच के लिए लैब भी भेजा गया है। इससे पता चलेगा कि पत्नी व बेटी की हत्या करने से पहले आरोपित ने उन्हें कुछ खिलाया तो नहीं था। मेडिकल बोर्ड में डाक्टर आदित्य और डाक्टर बिंदु नलवा भी मौजूद थे।
नहर से नहीं मिला शव
पत्नी और बेटी की हत्या के बाद आरोपित प्यारा सिंह ने भतीजे गुरजीत को फोन कर बताया था कि वह दोराहा नहर में छलांग लगाकर खुदकुशी कर रहा है। पुलिस शुक्रवार दोपहर से नहर में उसके शव की तलाश कर रही है लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है।
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अनदेखा न करें डिप्रेशन के लक्षण
डा. मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के मनोचिकित्सक डा. हरप्रीत सिंह का कहना है कि नकारात्मक ख्याल, उदासी, बेचैनी, काम में मन नहीं लगना, घबराहट, अनिद्रा, कुछ गलत कदम उठाने के ख्याल, भूख न लगना, बार-बार गुस्सा आना, अचानक व्यवहार में बदलाव, दूसरों से खुद को अलग कर लेना जैसे लक्षण दिखें तो इसे हलके में नहीं लेना चाहिए। यह डिप्रेशन के लक्षण होते हैं।
मनोचिकित्सक से टाप थैरेपी और दवाइयों के जरिए इलाज करवाएं। नियमित काउंसलिंग से पीडि़त की मनोदशा बदली जा सकती है। समय पर इलाज न होने से डिप्रेशन में गया व्यक्ति खौफनाक कदम उठा सकता है।