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ट्रक यूनियनें बढ़ाने लगी किराये, पंजाब की इंडस्ट्री में कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर उबाल; जानें पूरा मामला

उद्योगपतियों का कहना है कि जिस मुद्दे का हल किया जा चुका था और इससे इंडस्ट्री को राहत की सांस मिली थी। इसे दोबारा चुनाव के दौरान एक वर्ग की वोटें लेने के लिए इंडस्ट्री को परेशानियों की ओर धकेल दिया गया है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 11:25 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 11:25 AM (IST)
ट्रक यूनियनें बढ़ाने लगी किराये, पंजाब की इंडस्ट्री में कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर उबाल; जानें पूरा मामला
पंजाब सरकार के फैसले से उद्याेगपतियाें में राेष। (सांकेतिक तस्वीर)

लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। कांग्रेस सरकार की ओर से चुनाव से पूर्व एक बड़े वोट बैंक पर पैठ बनाने के लिए पंजाब में ट्रक यूनियनों को दोबारा बहाल करने के फैसले का असर पंजाब के उद्योगों पर दिखने लगा है। पंजाब के ट्रांसपोर्टरों की ओर से मालभाड़े में वृद्वि आरंभ कर दी है। इसके चलते इंडस्ट्री खुद को असहाय महसूस कर रही है और राजनीति के लिए पंजाब की इंडस्ट्री पर दोबारा लादे गए बोझ के लिए कांग्रेस को कोस रही है।

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उद्योगपतियों का कहना है कि जिस मुद्दे का हल किया जा चुका था और इससे इंडस्ट्री को राहत की सांस मिली थी। इसे दोबारा चुनाव के दौरान एक वर्ग की वोटें लेने के लिए इंडस्ट्री को परेशानियों की ओर धकेल दिया गया है। पहले ही पंजाब के उद्योग पोर्ट से दूरी पर है। दूसरे राज्यों से कच्चा माल लाने से लेकर डिस्पैचिंग के लिए ट्रांसपोर्टेशन की आवश्यकता रहती है। इस तरह अगर दामों में मनमाने इजाफे हुए तो इंडस्ट्री के लिए काम करना मुश्किल ही नहीं न मुमकिन हो जाएगा। उद्योगपतियों के मुताबिक ट्रांसपोर्टर मनमाने किराए वसूलने लगे है और खुद की ट्रांसपोर्टेशन भी इंडस्ट्री को न चलाने देने की बात कर रहे हैं।

गंगा एक्रोवूल के प्रेसिडेंट अमित थापर ने बताया कि ट्रक यूनियनों की ओर से अपने मनमाने किराये मांगे जा रहे हैं और फैक्टरी के खुद के व्हीकल पर मैटीरियल न भेजने को कह रहे हैं। ऐसे में इंडस्ट्री को यूनियनों के सहारे बिजनेस चलाना पड़ेगा। हमारी फैक्ट्री से गाेदाम तक मटीरियल शिफ्ट करने के लिए ही तीन गुणा तक किराया मांगा जा रहा है। आल इंडस्ट्री ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल के मुताबिक कांग्रेस ने जाते जाते इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा नुक्सान कर दिया है। इंडस्ट्री को किसी तरह की राहत तो नहीं दी गई। लेकिन जो लाभ हुआ था, उसे भी छीन लिया गया। बात केवल दामों में बढ़ोतरी की नहीं है, अब इंडस्ट्री को ट्रांसपोर्टरों की मनमानी का शिकार होना पड़ेगा।

फास्टनर मैन्यूफेक्चरर एसोसिएशन के प्रधान नरिंदर भमरा के मुताबिक ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री का प्रमुख टूल है, इसमें अब तेजी से यूनियनें सक्रिय होने लगी है। जो भी सरकार आए इस फैसलें को तत्काल वापिस ली। ऐसे तो इंडस्ट्री को स्टील के दामों की तरह अब ट्रांसपोर्टेशन चार्जेज के जंजाल में फंसना होगा। यह समस्या बेहद गंभीर है, सरकार की ओर से लिया गया फैंसला निंदनीय है।


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