बैंकों में विलय से बढ़ा ग्राहकों का 'आर्थिक दर्द', पंजाब के उद्यमियों को लिमिट व ब्याज दर में अंतर से परेशानी
लुधियाना के सौरव अरोड़ा का ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स में खाता है। इस बैंक का विलय अब पंजाब नेशनल बैंक में हो गया है। पंजाब नेशनल बैंक ने उन्हें मोबाइल एप्लीकेशन तो दे दी है लेकिन उसे आपरेट करने में दिक्कत आ रही है।
लुधियाना/जालंधर/पटियाला, जेएनएन। बैंकों के विलय ने लोगों का आर्थिक दर्द बढ़ा दिया है। लोगों को खातों को आपरेट करने व रुपये के लेन-देन में जहां दिक्कतें आ रही हैं वहीं उद्यमियों को बैंक लिमिट और कर्ज पर ब्याज की अगल-अलग दर के कारण भी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। दूसरी तरफ बैंक प्रबंधकों का कहना है कि नई व्यवस्था को अपनाने में अभी उन्हें कुछ वक्त लगेगा।
लुधियाना के सौरव अरोड़ा का ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स में खाता है। इस बैंक का विलय अब पंजाब नेशनल बैंक में हो गया है। पंजाब नेशनल बैंक ने उन्हें मोबाइल एप्लीकेशन तो दे दी है लेकिन उसे आपरेट करने में दिक्कत आ रही है। बैंक कहता है कि खाता नंबर और सीआइएफ नंबर डालने पर यह चल पड़ेगा लेकिन यह और कई जानकारियां मांगता हैजो बैंक शाखा से मिलेंगी। बैंक शाखा से कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा है। उन्हें दूसरे बैंक खाते से काम चलाना पड़ रहा है। लुधियाना की एडवोकेट रिचा शर्मा का खाता कारपोरेशन बैंक में था। अब बैंक का विलय यूनियन बैंक आफ इंडिया में हो गया है। यूनियन बैंक की शाखा हैबोवाल में है। उन्हें मिनी सचिवालय से हैबोवाल जाकर खाते को आपरेट करने में मुश्किल आ रही है।
लुधियाना की प्रतिभा शर्मा की माता का ओबीसी में पेंशन अकाउंट है। बैंक के विलय के बाद बैंक वाले पैसे देने से इन्कार कर देते हैं। अब तक समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। पंजाब बैंक इंप्लाइज फेडरेशन के सचिव नरेश गौड़ का कहना है कि जब एक बैंक का दूसरे में विलय होता है, तब शुरूआत में दिक्कत आ सकती है। बैंकों की यही कोशिश है कि ग्राहकों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।
पटियाला के नार्थ एवेन्यू निवासी आदित्य ने बताया कि वह आनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं और अपने बिजनेस से जुड़ी सभी ट्रांजेक्शन आनलाइन करते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में बैंकों का विलय होने के कारण बैंक ने उनकी आनलाइन ट्रांजेक्शन रोक दी और केवाइसी दोबारा करवानी पड़ेगी। जालंधर के भगत ङ्क्षसह चौंक के रहने वाले व ओबीसी के खाताधारक साहिल ने कहा कि एक महीने से एफडी पर टीडीएस की स्टेटमेंट मांग रहे है लेकिन बैंक प्रबंधन स्टेटमेंट देने में आनाकानी कर रहे है। अभी स्टेटमेंट साफ्टवेयर में न होने की बात कह रहे है। अब तो ऐसा लगता है कि हमने पैसे जमा करवाकर कोई गलती कर दी।
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उद्यमियों ने जताई नाराजगी
उद्यमियों की मांग है कि ग्राहकों को दिक्कत न आए इसलिए सरकार को एक पैरामीटर तय कर एसओपी तय करनी चाहिए। चैंबर आफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स के प्रधान उपकार सिंह आहूजा कहते हैं कि बैंकों के विलय से उद्यमियों को भी दिक्कत आ रही है। दोनों बैंकों की कर्ज नीति, ब्याज दर, बैंक लिमिट को लेकर अंतर है। इसका खामियाजा उद्यमी भुगत रहे हैं।