पंजाब की टेक्सटाइल मिलाें की मनमानी, किसानाें से MSP से कम कीमत पर खरीद रहीं Cotton
पंजाब में एक अक्टूबर से काटन की खरीद शुरू हो चुकी है। आठ फीसद तक नमी वाला काटन सरकारी एजेंसी खरीदती है। बारह फीसद से अधिक नमी होने पर खरीद नहीं की जाती। अभी फसल में 20 से 22 फीसद तक नमी आ रही है।
लुधियाना, [राजीव शर्मा]। टेक्सटाइल कंपनियों ने मंडियों से Cotton की खरीद शुरू कर दी है। फिलहाल मंडियों में किसानाें को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम रेट मिल रहा है। सरकार ने 5825 रुपये प्रति क्विंटल MSP तय किया है, जबकि काटन 4400 से 4900 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रही है।
टेक्सटाइल मिलाें की मनमानी से किसानाें में राेष है। उद्यमियों का तर्क है कि आने वाले वक्त में कीमतों में कुछ इजाफा हो सकता है। फिलहाल Cotton में नमी अधिक आ रही है, ऐसे में खरीद का काम अभी सुस्त है। आने वाले वक्त में यह जोर पकड़ सकता है। इस सीजन में Cotton की फसल बेहतर होने की उम्मीद है।
राज्य में एक अक्टूबर से Cotton की खरीद शुरू हो चुकी है। आठ फीसद तक नमी वाला Cotton सरकारी एजेंसी खरीदती है। आठ से 12 फीसद तक नमी होने पर रेट कट लगाया जाता है, जबकि 12 फीसद से अधिक नमी होने पर खरीद नहीं की जाती। अभी फसल में 20 से 22 फीसद तक नमी आ रही है। ऐसे में किसानोंं से आग्रह किया जा रहा है कि Cotton सुखाकर ही मंडियों में लाई जाए। माहिरों का तर्क है कि देश में चालू सीजन में करीब 130 लाख हेक्टेयर जमीन में Cotton की बिजाई की गई है, जबकि पिछले साल रकबा 126.61 लाख हेक्टेयर था।
पंजाब में 5.01 लाख हेक्टेयर जमीन में काटन की खेती
कोरोना काल में भी Cotton के रकबे में इजाफा हुआ है। यह बेहतर संकेत है। पंजाब में चालू सीजन के दौरान 5.01 लाख हेक्टेयर जमीन में Cotton की खेती की गई है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब एक लाख हेक्टेयर अधिक है। पिछले वर्ष देश में Cotton की करीब 360 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) पैदावार हुई थी, जो इस बार बढ़कर 380 लाख गांठ से अधिक हो सकती है। पिछले वर्ष अक्टूबर 2019 से सितंबर-2020 के बीच देश से 58 लाख गांठ का निर्यात किया गया।
विश्व बाजार में आयात की संभावनाएं कम, देश में बंपर स्टाक
काटन एक्सपर्ट एवं वर्धमान टेक्सटाइल्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष ललित महाजन का कहना है कि इस बार Cotton की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है। मिलों ने Cotton की खरीद शुरू कर दी है। उनका कहना है कि विश्व बाजार में काटन महंगी होने के कारण अभी आयात की संभावनाएं काफी कम हैं, जबकि देश में भी स्टाक काफी है। काटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) के पास 1.15 करोड़ गांठ का पुराना स्टाक पड़ा है।
देश में 320 लाख गांठ काटन की मांग
देश में 320 लाख गांठ काटन की मांग रहती है, जबकि कोरोना के चलते टेक्सटाइल इंडस्ट्री अपनी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पा रही है। ऐसे में इस बार Cotton की मांग 280 से 290 लाख गांठ रह सकती है। साफ है कि Cotton का देश में बंपर स्टाक है और मांग के मुकाबले आपूर्ति अधिक है। इस बार Cotton का निर्यात पिछले साल के मुकाबले अधिक हो सकता है। पाकिस्तान में फसल कम है। साथ ही सीड की क्वालिटी भी गिरी है। विश्व बाजार के मुकाबले रेट कम होने से विदेश में भारतीय Cotton की मांग बढ़ेगी।