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पंजाबी विरासत और संस्कृति देखनी है तो चले आएं नानोकी, 25 घरों में है विरासत व एडवेंचर का अद्भुत संगम

ये है पंजाब के पटियाला जिले का नाभा स्थित गांव नानोकी। यहां महज 25 घर हैं। लुधियाना के ग्रेवाल परिवार ने यह गांव बसाया था। इस गांव में पंजाबी सभ्यता और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 12:48 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 08:48 PM (IST)
पंजाबी विरासत और संस्कृति देखनी है तो चले आएं नानोकी, 25 घरों में है विरासत व एडवेंचर का अद्भुत संगम
गांव के फार्म में बनाए गए खेलते हुए बच्चों के बुत। जागरण

पटियाला [गौरव सूद]। अगर आप आफ रोड ड्राइविंग, घुड़सवारी या बोटिंग के शौकीन हैं और पंजाब की पुरानी संस्कृति व विरासत से भी प्यार करते हैं तो पटियाला का छोटा सा गांव नानोकी आपकी पंसदीदा सैरगाह बन सकता है। 25 घरों वाले इस गांव में आपको पंजाबी विरसे (विरासत) व सभ्याचार (संस्कृति) की पूरी झलक मिलेगी।

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नाभा से 37 किलोमीटर भादसों ब्लॉक में स्थित इस गांव में सिर्फ 45 वोटर हैं। 1987 में इसे भारत सरकार ने 'बिगेस्ट लिटल विलेज' का खिताब दिया था। भादसों से यहां की दूरी महज चार किलोमीटर है। इस गांव के रहने वाले अबजिंदर सिंह ग्रेवाल पेशे से किसान हैं। 2007 में उन्होंने खेती के साथ यहां विरसे को संभालने के मकसद से नाइट कैंपिंग फार्म शुरू किया। इसको देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी पहुंचते हैं। फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और इंग्लैंड के पर्यटकों की संख्या ज्यादा रहती है।

नानोकी गांव में वोटिंग के लिए बनी झील। यहां एडवेंचर गेम्स भी खेली जा सकती हैं। जागरण

अबजिंदर सिंह बताते हैं कि उन्होंने जब यहां फार्म शुरू किया था तो शुरुआत में खास रिस्पांस नहीं मिला, लेकिन वह इससे निराश नहीं हुए और नए-नए प्रयोग करना जारी रखा। नाइट कैंपिंग के बाद डे-कैंपिंग शुरू की तो यह प्रयोग काफी सफल रहा। 2009 में इस साइट को पंजाब टूरिज्म से मान्यता मिल गई। कैंपिंग के साथ-साथ लोगों को पुरानी संस्कृति और विरासत से परिचित करवाने के लिए फार्म में कई बदलाव किए।

एक घर की छत पर चरखा व पुराने बर्तन। जागरण

क्या है खासियत

1987 तक इस गांव में सिर्फ 13 घर थे। ये सभी एक ही परिवार के हैं। इसीलिए इसे 'बिगेस्ट लिटल विलेज' का खिताब दिया अब यहां 25 घर हैं। इस गांव को लुधियाना के ललतोंकलां गांव के ग्रेवाल परिवार ने बसाया था। इसी ग्रेवाल परिवार के अबजिंदर सिंह के फार्म में मिट्टी के बर्तन और उन्हें बनाने के तरीके भी बताए जाते हैं। खेती के ऐसे पुराने औजार जो अब बहुत कम इस्तेमाल होते हैं, वे सब भी यहां मौजूद हैं।

नानोकी गांव में प्रचीन तरीके से बना कच्चा घर। जागरण

लुप्त हो चुके घरेलू सामान, बग्गी, रथ व सामान ढुलाई वाला गड्डा भी यहां देखा जा सकता है। इसके अलावा पंजाबी खाने का जायका भी मिलता है। मक्की व बाजरे की रोटी के अलावा सरसों का साग, लस्सी व गुड़ यहां के मेन्यू में शामिल हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 56 थी। साक्षरता दर 92.59 फीसद, महिला साक्षरता दर 95.24 फीसद और पुरुष साक्षरता दर 90.91 थी।

गांव के एक घर में पुराने वाद्य यंत्र व बर्तन। जागरण

बोटिंंग के साथ बग्गी, घोड़े व ऊंट की सवारी

आमतौर पर बग्गी या रथ शादियों आदि में तो मिल जाती है, लेकिन आम लोगों को इसकी सवारी का मौका नहीं मिलता, लेकिन यहां की सुंदर झील में आपको बोटिंग के साथ-साथ बग्गी, रथ, घोड़े व ऊंट की सवारी भी करने को मिलती है। इसके लिए 100 रुपये चुकाने पड़ने हैं। खास किस्म की जीप में सफारी राइड की भी सुविधा है।

नानोकी स्थित गैरी फार्म में आफ रोड ड्राइविंग के लिए रखे गए वाहन। जागरण

आफ रोड ड्राइविंग और टावर क्लाइंबिंग

यहां आने वाले सैलानियों के लिए टावर क्लाइंबिंग और आफ रोड ड्राइविंग जैसे एडवेंचर का भी पूरा इंतजाम है। यह फार्म को बनाने में तीन पीढ़ियों की मेहनत शामिल है। आफ रोड ड्राइविंग के लिए करीब 10 फोर बाई फोर वाहन उपलब्ध हैं, जिन पर एडवेंचर राइड का मजा लिया जा सकता है। इन वाहनों भी एंटीक लुक दी गई है। 


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