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Punjab Election 2022: गठबंधन तोड़ने का लुधियाना के भाजपाइयों को नहीं हुआ फायदा, हिस्से आई सिर्फ 3 सीटें; जानें कारण

शिअद के साथ गठबंधन में भी भाजपा शहर की छह में से तीन सीटों पर ही चुनाव लड़ती थी। गठबंधन टूटने के बाद भाजपाइयों ने चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी। इसके चलते दूसरे दलों के कई नेता भी भाजपा में शामिल हुए थे।

By Vipin KumarEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 03:51 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 03:51 PM (IST)
Punjab Election 2022: गठबंधन तोड़ने का लुधियाना के भाजपाइयों को नहीं हुआ फायदा, हिस्से आई सिर्फ 3 सीटें; जानें कारण
लुधियाना में भाजपा के हिस्से आई सिर्फ तीन सीटें। (फाइल फाेटाे)

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। Punjab Election 2022: शिरोमणि अकाली दल व भाजपा गठबंधन के समय शहर की छह सीटों में से तीन पर अकाली दल व तीन पर भाजपा चुनाव लड़ती रही। जो हलके अकाली दल के पास थे उनमें भाजपा कार्यकर्ताओं को कभी चुनाव लड़ने का मौका ही नहीं मिला। जैसे ही गठबंधन टूटा वैसे ही भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर गया और उन्होंने विधानसभा चुनाव 2022 लड़ने की तैयारी शुरू कर दी। आलम यह रहा कि तीन में से दो सीटों पर आधा दर्जन से ज्यादा दावेदारों ने टिकट के लिए आवेदन किया।

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यही नहीं इन सीटों पर दूसरे दलों में आधार रखने वाले नेताओं ने भी भाजपा का रूख किया। लेकिन पंजाब लोक कांग्रेस से गठबंधन होने पर सीटों की स्थिति वहीं की वहीं आ गई। भाजपा पहले जिन तीन सीटों पर चुनाव लड़ती थी नए गठबंधन में भी भाजपा के हिस्से वही सीटें आई। बाकी की तीन सीटों के भाजपा नेता अब खुद को ठगा सा महसूस करने लगे हैं।

शिअद से गठबंधन में भाजपा लुधियाना केंद्रीय, उत्तरी व पश्चिमी सीट से चुनाव लड़ती रही और लुधियाना पूर्वी, दक्षिणी व आत्म नगर हलके से अकाली दल चुनाव लड़ता रहा। जो सीटें अकाली दल के पास थी वह अब पंजाब लोक कांग्रेस के हिस्से में चले गई। लोक कांग्रेस ने लुधियाना पूर्वी, दक्षिणी व आत्म नगर से अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए और इन हलकों के भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं ने उनका विरोध भी शुरू कर दिया।

पूर्वी हल्के में आधा दर्जन नेता चुनाव लड़ने की कर चुके थे तैयारी

लुधियाना पूर्वी से आधा दर्जन नेता चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके थे और गठबंधन टूटने के बाद से ही लगातार इस इलाके में अपने होर्डिंग्स व बैनर लगा रहे थे। यही नहीं हलका दक्षिणी में भी भाजपा नेता छह माह से चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटे थे। किसान आंदोलन के दौर में भी इन नेताओं ने अपनी गतिविधियां नहीं रोकी और कई बार किसानों ने उन्हें दिन भर घरों में भी घेरकर रखा। गठबंधन टूटने के बाद इन दोनों हलकों में आधार रखने वाले अकाली नेता भी भाजपा में शामिल हुए और टिकट के दावेदारों की कतार में खड़े हो गए। लुधियाना पूर्वी से जतिंदर मित्तल, रविंदर वर्मा, राकेश कपूर, बाबी जिंदल, हरबंसलाल फैंटा, नवल जैन, योगेंद्र मकोल, राजेश्वरी गोसाई व दक्षिणी हलके में सुरेंद्र शर्मा, रजनीश धीमान, गुरदीप गोशा समेत कई दावेदारी जता चुके हैं।

विधायक के साथ निगम चुनाव में भी प्रभावित होंगी सीटें

विधानसभा चुनाव के साथ साथ निगम चुनाव में अकाली भाजपा गठबंधन रहा है। दोनों पार्टियों ने आधी आधी सीटों पर चुनाव लड़ा है। जो हलके अकाली दल के पास थे उन हलकों में निगम चुनाव के लिए ज्यादा सीटें अकाली दल को मिली। जिसके कारण इस हलके के भाजपा कार्यकर्ताओं को निगम चुनाव लड़ने का भी पूरा मौका नहीं मिला। भाजपा कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि अब पार्टी ने लोक कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है तो निगम चुनाव में भी सीटों का बंटवारा पुराने फार्मूले पर हो सकता है। जिसकी वजह से फिर भाजपा कार्यकर्ताओं को पार्षद बनने का मौका भी नहीं मिल पाएगा।


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