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नवजोत सिद्धू ने खुद को 'सीएम फेस' के रूप में किया पेश, कहा- 2022 के बाद की योजना बता रहा हूं

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने लुधियाना में खुद को अगले सीएम के चेहरे के रूप में पेश किया। कहा कि वह जिन योजनाओं की बात कर रहे हैं वह वर्ष 2022 के बाद की हैं। कहा यह राहुल प्रियंका और सोनिया की योजना है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 12:23 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 10:04 PM (IST)
नवजोत सिद्धू ने खुद को 'सीएम फेस' के रूप में किया पेश, कहा- 2022 के बाद की योजना बता रहा हूं
लुधियाना में पत्रकारों से बातचीत करते नवजोत सिंह सिद्धू। जागरण

भूपेेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना। भले ही कांग्रेस ने 2022 विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा नहीं की है, लेकिन पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू खुद को मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने से पीछे नहीं रहे। नवजोत सिंह सिद्धू ने बातचीत के दौरान अगले पांच साल की अपनी कार्ययोजना भी रख दी, जो राज्य के मुख्यमंत्री का काम होता है, संगठनात्मक प्रधान का नहीं।

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नवजोत सिंह सिद्धू ने यहां तक कह दिया कि वह जो कह रहे हैं, वह वर्तमान तीन माह के लिए नहीं है, बल्कि यह 2022 के बाद की योजना है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पांच सालों में पंजाब बदल दूंगा। हालांकि अपनी बात रखने के बाद उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि वह सब कुछ अपनी योजना बता गए तो उन्होंने तत्काल बात से पलटते हुए कहा कि यह उनकी योजना नहीं, बल्कि राहुल, प्रियंका और सोनिया की योजना है।

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उद्योगपतियों के साथ बैठक से पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब में नया निवेश आने में मुख्य बाधा सिंगल विंडो सिस्टम नहीं होना है। एक उद्योग लगाने के लिए 16 से 33 सरकारी क्लीयरेंस लेनी पड़ती है, जिसमें निवेशक भाग खड़ा होता है। उन्होंने कहा कि 2022 सरकार बनते ही वह सिंगल विंडो सिस्टम को प्रभावी बनाने के साथ डिजिटल पोर्टल उतारेंगे, जिसमें उद्योगपति पोर्टल पर ही सारी औपचारिकताएं कर लेंगे और उन्हें आनलाइन क्लीयरेंस भी मिल जाएगी।

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि  2007 में अकाली-भाजपा सरकार बनने के बाद निवेश के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन कुछ नहीं आया। उनकी सरकार ने एक लाख करोड़ के निवेश के लिए एमओयू किए, जिसमें से 52 फीसद निवेश आपरेशनल हो गया। बता दें, नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों खासे सक्रिय हैं। कई बार सिद्धू अपनी ही सरकार पर आक्रामक नजर आते हैं। यह भी कहते हैं कि वह संगठन में हैं, जबकि लोगों के लिए फैसले लेना सरकार का काम है। ऐसे कहकर वह अपनी मजबूरी बताते हैं और खुद को सीएम के चेहरे के रूप में पेश करते हैं। 


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