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पंजाब निर्माण फंडः लुधियाना में ‘चुनावी चेक’ नहीं हुए कैश, उल्टा लग गया 236 रुपये जुर्माना; जानें पूरा मामला

Punjab Chunav 2022ः सात व आठ जनवरी सुबह तक लुधियाना शहर के छह हलकों में विधायकों ने करीब 3 हजार लोगों को छह करोड़ रुपये के चेक बांट दिए। आठ जनवरी दोपहर बाद चुनाव आचार संहिता लागू हो गई।

By Vipin KumarEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 08:36 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 08:36 AM (IST)
पंजाब निर्माण फंडः लुधियाना में ‘चुनावी चेक’ नहीं हुए कैश, उल्टा लग गया 236 रुपये जुर्माना; जानें पूरा मामला
सात व आठ जनवरी को दोपहर तक बांटे गए थे चेक। (सांकेतिक तस्वीर)

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। Punjab Chunav 2022ः  विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले राज्य सरकार ने पंजाब निर्माण योजना के तहत विधायकों को 15-15 करोड़ रुपये लोगों को बांटने के लिए दिए थे। घर की छत की मरम्मत के लिए विधायकों ने लोगों को 20-20 हजार रुपये के चेक बांटे। जिन लोगों ने शुरुआत में मिले चेक कैश करवा लिए उनकी चांदी हो गई और जिन लोगों को चुनाव आचार संहिता लगने से एक दिन पहले सात जनवरी और आठ जनवरी दोपहर तक चेक दिए गए थे उनके चेक कैश तो नहीं हुए बल्कि उल्टा उन्हें 236 रुपये जुर्माना लग गया।

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सात व आठ जनवरी सुबह तक लुधियाना शहर के छह हलकों में विधायकों ने करीब 3 हजार लोगों को छह करोड़ रुपये के चेक बांट दिए। आठ जनवरी दोपहर बाद चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। विधायक आचार संहिता लागू होने के बाद भी पंजाब निर्माण योजना के चेक बांट रहे हैं। इसके बाद चुनाव आयोग ने पंजाब निर्माण योजना के खातों को बंद कर दिया। लोगों ने 10 जनवरी को बैंक पहुंचकर 20-20 हजार रुपये के चेक जमा करवाए। खाता बंद होने के कारण सभी के चेक बाउंस हो गए और उल्टा उनके खातों से 200 रुपये जुर्माना व 36 रुपये सर्विस टैक्स के कट गए। कई लोग तो विधायकों के दफ्तरों में भी पहुंच गए और अपने पैसे कटने की शिकायत की।

भाजपा लगा चुकी है फंड के दुरुपयोग करने का आरोप

भारतीय जनता पार्टी ने भी कांग्रेस विधायकों व हलका इंचाजरें पर योजना के पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने उत्तर हलके के विधायक पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ही चेक बांटने के आरोप लगाए थे।

मरम्मत को बांटे थे चेक

पंजाब निर्माण योजना के तहत सरकार ने जरूरतमंद लोगों को घर की छत की मरम्मत के लिए 20-20 हजार रुपये अनुदान देने का फैसला किया था। शहरी क्षेत्रों में यह राशि डिप्टी कमिश्नर के जरिये नगर निगम को भेजी और निगम ने चेक बनाए। विधायकों ने निगम अधिकारियों से चेक लेकर खुद लोगों को बांटे। शहर में कुल 90 करोड़ रुपये बांटे जाने थे लेकिन सिर्फ 44 करोड़ के करीब ही बांटे जा सके।


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