शारीरिक दूरी में प्रार्थना सभा व पूजा करें श्रावक
पर्यूषण पर्व को चार दिन शेष बचे हैं।
संस, लुधियाना : पर्यूषण पर्व को चार दिन शेष बचे हैं। संतजनों व सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार इस बार मंदिरों से लेकर जैन स्थानकों व तेरापंथ में शारीरिक दूरी मे प्रार्थना सभा व पूजा अर्चना होगी। खासकर श्रावक श्राविकाएं घरों में रहकर ही जप, तप व स्वाध्याय कर कोरोना वायरस से मुक्ति की कामना करें। पर्यूषण को लेकर जैन स्थानकों में तैयारियां अंतिम चरण पर है लेकिन गत वर्ष के मुकाबले संख्या इस बार कम ही देखने को मिलेगी। वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अगर संत वाणी को सूने तो ह्दय पवित्र के साथ ही आत्मा का कल्याण हो सकता है। जैसे दूध को लेने के लिए पात्र साफ चाहिए उसी प्रकार धर्म को जानने के लिए ह्दय जैसा पात्र स्वच्छ होना चाहिए। कहा गया है कि जिसका ह्दय पवित्र होता है, उसमें प्रभु का चेहरा दिखता है। वहीं बुद्धिजीवियों का कहना है कि इस बार घरों में रहकर आराधना करें।
पुरुषार्थ और कर्म सिद्धांत आधुनिक युग में भी महत्वपूर्ण
कमल जैन, राजीव जैन, भूषण जैन ने कहा कि भगवान महावीर का पुरुषार्थ और कर्म सिद्धांत आधुनिक युग में भी महत्वपूर्ण है। उनका संदेश था कि अपना कर्म और अपना पुरुषार्थ ही मनुष्य को उच्च बनाता है। भारतीय समाज में यदि इस सिद्धांत को स्थान दिया जाए, तो यह देश ऊंच-नीच की दीवारों को गिरा सकता है।
महान तप और त्याग सेजीवन होता है शुद्ध
मंधीर जैन, धर्मदेव जैन, राजीव जैन ने कहा कि भगवान महावीर की ओर से घोर तपस्या की। अग्नि में आत्मा को तपा कर संयम की कसौटी पर उसे खरा उतारा। इस महान तप, त्याग द्वारा उनके जीवन को शुद्ध रूप मिला। समस्त प्रकार के राग, द्वेषादि से मुक्त हुए।
महावीर की पवित्र वाणी ही परम सुख और शांति दे सकती
प्रदीप जैन, नरेंद्र जैन निदी, लाला दसौंधी राम जैन ने कहा, अशांत जनमानस को भगवान महावीर की पवित्र वाणी ही परम सुख और शांति प्रदान कर सकती है। यदि आज संसार के लोग महावीर के अहिसा परमोधर्म, अपरिग्रह व अनेकांतवाद को अपना लें, तो प्रत्येक प्रकार की समस्याएं मिट सकती हैं।