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पॉली एल्युमिनियम क्लोराइड कर सकता है बुड्ढा दरिया को प्रदूषण मुक्त, चल रहा ट्रायल

बुड्ढा दरिया को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नगर निगम जयपुर की कंपनी एनके अर्थ फाउंडेशन के साथ मिलकर एक ट्रायल चला रहा है।

By Edited By: Published: Thu, 14 May 2020 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 10:11 AM (IST)
पॉली एल्युमिनियम क्लोराइड कर सकता है बुड्ढा दरिया को प्रदूषण मुक्त, चल रहा ट्रायल
पॉली एल्युमिनियम क्लोराइड कर सकता है बुड्ढा दरिया को प्रदूषण मुक्त, चल रहा ट्रायल

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। बुड्ढा दरिया को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नगर निगम जयपुर की कंपनी एनके अर्थ फाउंडेशन के साथ मिलकर एक ट्रायल चला रहा है। इस ट्रायल में पॉली एल्युमिनियम क्लोराइड के जरिए दरिया के पानी को प्रदूषण मुक्त करने की कवायद चल रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि पॉली एल्युमिनियम क्लोराइड बुड्ढा दरिया के पानी को प्रदूषण मुक्त कर सकता है। 

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सामान्य दिनों में बुड्ढा दरिया के पानी में ट्रीटमेंट के बाद बीओडी (बायोलोजिकल ऑक्सीजन डिमांड) लेवल 400 मिलीग्राम प्रति लीटर, सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) लेवल 250 से 300 मिलीग्राम प्रतिलीटर और टीएसएस (टोटल सस्पेंडेड सॉलिड) 100 से 150 मिलीग्राम प्रति लीटर आ रहा था। लेकिन इस ट्रायल के बाद दरिया के पानी बीओडी लेवल 36.3 मिलीग्राम प्रति लीटर, सीओडी लेवल 143.3 और टीएसएस लेवल 25 मिलीग्राम प्रति लीटर तक आ गया है।

इससे लगता है कि यह ट्रायल कहीं न कहीं कामयाब हो सकता है। नगर निगम ने जमालपुर स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में आ रहे सीवरेज के पानी के सैंपल लिए। उसके बाद ट्रीटमेंट के दौरान यह पदार्थ पानी में मिलाया गया। जिसके बाद दरिया के पानी के सैंपल लिए। 29 अप्रैल से लगातार निगम सैंपलिंग कर रहा है। निगम की लेबोटरी में सैंपलों की जांच के बाद इनलेट व आउटलेट में सीओडी, बीओडी व टीएसएस में काफी अंतर आया है। 

अब ट्रायल कर रही कंपनी

दरिया के पानी की सैंपलिंग थापर यूनिवर्सिटी पटियाला से भी करवा रही है। बताया जा रहा है कि नगर निगम और थापर यूनिवर्सिटी की सैंपलिंग रिपोर्ट की तुलना की जाएगी और उसके बाद इस तकनीक पर आखिरी फैसला लिया जाएगा। कंपनी के रेजिडेंट डायरेक्टर राजीव गर्ग ने बताया कि यह तकनीक बेहद कारगर है। नगर निगम करीब 15 दिन से इसकी सैंपलिंग कर रहा है। अब हमने भी थापर यूनिवर्सिटी से इसकी सैंपलिंग करवानी शुरू की है। उसके बाद दोनों रिपोर्टों की स्टडी की जाएगी। उसके बाद निगम को देखना है कि वह इस तकनीक का सहारा लेना चाहते हैं या नहीं। 

निगम की लैबोटरी में चेक किए गए सैंपलों की रिपोर्ट

नोट: सभी आंकड़े मिलीग्राम प्रति लीटर में हैं।

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