हलका पूर्वी में कालेज तो मिला, पर आधारभूत सुविधाओं का अभाव
जिले के सबसे पुराने विधानसभा क्षेत्रों में से एक लुधियाना पूर्वी के मतदाताओं ने सभी राजनीतिक दलों को बारी-बारी से मौका तो दिया लेकिन आज भी यह हलका साफ पानी सीवरेज और स्तरीय सड़कों जैसी आधारभूत सुविधाएं हासिल नहीं कर पाया है।
भूपेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना : जिले के सबसे पुराने विधानसभा क्षेत्रों में से एक लुधियाना पूर्वी के मतदाताओं ने सभी राजनीतिक दलों को बारी-बारी से मौका तो दिया, लेकिन आज भी यह हलका साफ पानी, सीवरेज और स्तरीय सड़कों जैसी आधारभूत सुविधाएं हासिल नहीं कर पाया है। विधायक संजय तलवाड़ ने क्षेत्र को आजादी के बाद पहला सरकारी कालेज और कई पार्क तो दिलाए, लेकिन बुड्ढा दरिया और सीवरेज जैसी समस्याएं आज भी लोगों को परेशान करती हैं।
इलाके के लोग कहते हैं कि कांग्रेस को पांच बार, भाजपा को तीन बार और शिअद को एक बार मौका दिया गया, लेकिन शहर के अन्य इलाकों की तरह उन्हें सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई। खासकर इस विधानसभा क्षेत्र से गुजरने वाले बुड्ढा दरिया की खस्ता हालत के कारण उसके आसपास रहने वाले लोग लंबे समय से नारकीय जीवन बिताने को मजबूर हैं। इसके अलावा कई इलाके आज भी स्वच्छ जल, सीवरेज और स्तरीय सड़के हासिल नहीं कर पाए हैं।
अगले विधानसभा चुनाव में एकबार फिर वही तीन उम्मीदवार पुरानी समस्याओं को लेकर जनता के बीच जाएंगे। पिछले विजेता संजय तलवाड़, दूसरे स्थान पर रहने वाले आम आदमी पार्टी के दलजीत सिंह भोला ग्रेवाल और शिरोमणि अकाली दल के रंजीत सिंह ढिल्लों इलाके में पूरा जोर लगा रहे हैं। आप और शिअद ने दोनों उम्मीदवारों के टिकट घोषित कर दिए हैं और वह इलाके में अपना आधार मजबूत करने में लगे हैं, वहीं कांग्रेस ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि कांग्रेस एक बार फिर संजय तलवाड़ पर ही दांव खेलेगी, लेकिन कांग्रेस में जब तक टिकट घोषित नहीं होती, कुछ भी हो सकता है।
कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी
यह तीनों उम्मीदवार मैदान में उतरते हैं तो कांटे की टक्कर होगी और जीत-हार का अंतर भी काफी कम रहने का अनुमान है। शिअद उम्मीदवार ढिल्लों के लिए सुखबीर बादल इलाके में दो रैलियां और दो लोगों से रूबरू कार्यक्रम कर चुके हैं, जबकि संजय तलवाड़ के पक्ष में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी स्वयं रैली कर चुके हैं। आप नेता गगन अनमोल ने दलजीत भोला के पक्ष में रैली की है, लेकिन अभी केजरीवाल या अन्य बड़े नेता क्षेत्र में नहीं आए हैं। भाजपा के अभी पत्ते भी नहीं खुले हैं।
वर्करों के रणनीति बनाने में व्यस्त हैं उम्मीदवार
चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक नुक्कड़ सभाओं और रैलियों पर रोक लगाई है। ऐसे में उम्मीदवार पार्टी वर्करों के साथ चुनावी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं। शीर्ष उम्मीदवार इलाके में अलग-अलग स्थानों पर छोटी-छोटी बैठकें कर कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर रहे हैं। साथ ही वह डोर-टू-डोर लोगों से मिल रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जा सके।