पांच फीसद तक महंगा हुआ प्लाईवुड व प्लाईबोर्ड
सूबे में प्लाईवुड निर्माताओं की ओर से प्लाईवुड व प्लाईबोर्ड की कीमत में पांच फीसद वृद्धि की गई है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : सूबे में प्लाईवुड निर्माताओं की ओर से प्लाईवुड व प्लाईबोर्ड की कीमत में पांच फीसद वृद्धि की गई है। उद्यमियों का तर्क है कि इनपुट उत्पादों की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस कारण प्लाईवुड उद्योग की मुश्किलें बढ़ रही हैं। चार से पांच महीने में इनपुट लागत में करीब 20 फीसद बढ़ चुकी है लेकिन बाजार में कमजोर मांग को देखते हुए सिर्फ पांच फीसद वृद्धि का ही फैसला लिया गया है। उद्यमियों का कहना है कि कृषि आधारित इस सेक्टर को एग्रो प्रोसेसिग इंडस्ट्री की तमाम सुविधाएं दी जाएं। इससे उत्पादन लागत में कमी आएगी और उद्यमी बाजार की चुनौतियों का मुकाबला कर पाएंगे।
प्रदेश में प्लाईवुड व प्लाईबोर्ड बनाने की करीब 150 इकाइयां हैं। चार से पांच महीने में 55-60 रुपये प्रति किलो में मिलने वाली फिनायल अब 85-90 रुपये प्रति किलो में मिल रही है। फार्मा डी हाइड की कीमत 15-16 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 25-26 रुपये प्रति किलो हो गई है।
उद्यमियों का कहना है कि पंजाब के उद्योगों की प्रतिस्पर्धा हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्लाईवुड निर्माताओं से है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में लकड़ी, जमीन और मजदूरी सस्ती होने के कारण निर्माताओं की उत्पादन लागत पांच फीसद कम है। इसका भी यहां के उद्यमियों को नुकसान हो रहा है।
महंगाई ने बिगाड़े सभी समीकरण
पंजाब प्लाईवुड मैन्यूफैक्टचरर्स एसोसिएशन के उप प्रधान इंद्रजीत सिंह सोहल का कहना है कि कच्चे माल की महंगाई ने तमाम समीकरण बिगाड़ दिए हैं। लागत बीस फीसद तक बढ़ गई है जबकि उपभोक्ताओं पर पांच फीसद बोझ ही डाला गया है। चीन सहित अन्य देश सस्ता तैयार माल तैयार कर घरेलू बाजार में डंप कर रहे हैं। सरकार कच्चे माल को कस्टम ड्यूटी से मुक्त करे और तैयार माल के आयात पर एंटी डंपिग ड्यूटी लगाए। पेट्रो उत्पादों की कीमतों को नियंत्रण में करने के लिए सरकार करों का बोझ कम करे। पंजाब पोर्ट से काफी दूर है। सीमावर्ती राज्य होने के कारण 80 फीसद माल सड़क व रेल मार्ग से दूसरे राज्यों को भेजा जाता है। माल भाड़ा अधिक पड़ने से भी कास्टिग में दिक्कत आ रही है।