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लुधियाना में आवारा कुत्तों को खाना नहीं देने का बोर्ड लगाना पड़ा महंगा, डॉग लवर्स ग्रुप ने जताई नाराजगी

निगम की कार्रवाई से घबराए कॉलोनी निवासियों ने कह दिया कि आप बोर्ड मत हटाओ हम खुद इस पर पेंट पोत देते हैं। अगले दिन सभी बोर्ड काले नजर आए।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 08:31 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 08:31 AM (IST)
लुधियाना में आवारा कुत्तों को खाना नहीं देने का बोर्ड लगाना पड़ा महंगा, डॉग लवर्स ग्रुप ने जताई नाराजगी
लुधियाना में आवारा कुत्तों को खाना नहीं देने का बोर्ड लगाना पड़ा महंगा, डॉग लवर्स ग्रुप ने जताई नाराजगी

लुधियाना, [राजेश शर्मा]। आवारा कुत्तों को खाना न देने का बोर्ड लगाना महंगा पड़ जाएगा, यह दुगरी के लोगों ने सोचा नहीं था। दरअसल, इस इलाके के लोग आवारा कुत्तों से बेहद परेशान हैं। उन्होंने पूरी कॉलोनी में बोर्ड लिखकर लगा दिए कि कुत्तों को खाना न दें। डॉग लवर्स तक जानकारी पहुंची तो उन्होंने सक्रिय सदस्यों की र्मींटग बुला ली।

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चर्चा हुई कि यह चलन अगर सभी जगह शुरू हो गया तो कुत्तों को खाने की मुश्किल हो जाएगी। निर्णय लिया कि नगर निगम के डॉग लवर अधिकारी की मदद ली जाए। अगले ही दिन निगम कर्मचारियों ने बोर्ड उतरवा दिए। इस दौरान डॉग लवर्स ग्रुप के सदस्यों ने बात फैलाई कि बोर्ड लगाने वालों पर एफआइआर भी दर्ज हो सकती है। निगम की कार्रवाई से घबराए कॉलोनी निवासियों ने कह दिया कि आप बोर्ड मत हटाओ, हम खुद इस पर पेंट पोत देते हैं। अगले दिन सभी बोर्ड काले नजर आए।
 

कमाई का निकाला रास्ता
सरकार ने कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए बेड का एक दिन का किराया फिक्स किया तो अस्पतालों ने मरीजों से रकम वसूलने के दूसरे रास्ते निकाल लिए। लाखों के बिल देने से परेशान मरीज के स्वजनों की सुनवाई कहीं नहीं हो रही। ऐसे ही एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल मरीज का पांच दिन का बिल 1.78 लाख रुपये बना दिया गया।

डिटेल में अस्पताल ने बेड का प्रतिदिन का किराया तो 13500 रुपये दिखाया पर साथ में कई और खर्च भी डाल दिए। इनमें एक खर्च 24 पीपीई किट का डाला था। प्रति किट 1600 रुपये के हिसाब से रकम बिल में जोड़ दी गई। मरीज को पता चला तो उसने विजिट पर डॉक्टर से कहा, ‘ साहब अगर मैं ही पीपीई किट डालकर लेट जाऊं तो क्या प्रतिदिन पांच किट की रकम जो बिल में जोड़ी जा रही है, वह बच जाएगी? ’ इस पर वह मुस्कुरा दिए।
 

फेसुबक पर भड़के डीसी
पूरे विश्व में कोविड-19 ने कोहराम मचा रखा है, लेकिन अब भी कुछ लोग ऐसे हैं जो कोरोना के अस्तित्व को ही मानने से इंकार कर रहे हैं। आपसी चर्चा तक तो बात ठीक थी लेकिन अब ऐसे सवाल लोगों ने अधिकारियों से भी करने शुरू कर दिए हैं। कोरोना संबंधी अपडेट देने और लोगों को जानकारी देने के लिए डिप्टी कमिश्नर र्वंरदर शर्मा प्रत्येक बुधवार को फेसबुक लाइव सेशन करते हैं।

इस बार एक व्यक्ति ने डिप्टी कमिश्नर से पूछा कि कोरोना है भी कि नहीं? इस पर डीसी भड़क गए और उन्होंने उस व्यक्ति की क्लास लगाते हुए तर्क दिया कि इटली, अमेरिका जैसे देशों में जिस कोरोना ने कोहराम मचाया हो, पूरे विश्व की गतिविधियां को थमा देने वाले इस वायरस से भारत में प्रतिदिन एक लाख के करीब मरीज सामने आ रहे हैं और आप लोग अब भी पूछ रहे हैं कि कोरोना है भी कि नहीं?
 

ठुस्स हो गई मुहिम
चंद महीने पहले पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल ने शहर के चौराहों पर भीख मांग रहे भिखारियों के खिलाफ मुहिम चलाई तो लुधियानवियों ने इसे खूब सराहा। इलाके में पड़ते संबंधित थाने के पुलिस अधिकारियों की ड्यूटी लगी तो इसका असर भी देखने को मिला। अगले ही दिन चौराहों से भिखारी गायब हो गए। इनसे परेशान वाहन चालकों ने राहत की सांस ली। अब जबरन उनकी गाड़ियों के शीशे पर दस्तक देने वाला वहां पर कोई नहीं था, लेकिन यह सुकून अधिक दिनों तक कायम नहीं रहा।

इन दिनों फिर से चौराहों पर भिखारी डेरा डाले हुए हैं। छोटे-छोटे बच्चे हाथों में पानी की बोतल लिए गाड़ियों की स्क्रीन पर इसे उड़ेलकर साफ करने के चक्कर में और गंदा करके रुपये मांगते हैं। पास खड़े पुलिस कर्मी मूकदर्शक बने रहते हैं। इस पर शहर के लोग चर्चा कर रहे हैं कि कमिश्नर साहब की यह मुहिम ठुस्स होकर रह गई है।


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