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Health Tips: बिना दवाई और ऑपरेशन के ठीक हाे सकेगा हर्निया, योग से इस तरह पाएं समाधान

Health Tips आज के समय में यह जरूरी नहीं की हर रोगों का इलाज ऑपरेशन ही हो उसे बिना दवाई और ऑपरेशन के भी ठीक किया जा सकता है। योग के माध्यम से कई बीमारियों को जड़ से खत्म भी किया जा सकता है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 10:55 AM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 10:55 AM (IST)
Health Tips: बिना दवाई और ऑपरेशन के ठीक हाे सकेगा हर्निया, योग से इस तरह पाएं समाधान
योग के माध्यम से कई बीमारियों को जड़ से खत्म भी किया जा सकता है। (जागरण)

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Health Tips: आज के समय में यह जरूरी नहीं की हर रोगों का इलाज ऑपरेशन ही हो, उसे बिना दवाई और ऑपरेशन के भी ठीक किया जा सकता है। योग के माध्यम से कई बीमारियों को जड़ से खत्म भी किया जा सकता है। हर्निया, जब पेट में से कोई अंग या मांसपेशी या ऊतक किसी छेद की सहायता से बाहर आने लगता है।  उदाहरण के लिए, बहुत बार आंत, पेट की कमजोर दीवार में छेद करके बाहर आ जाती हैं। पेट में हर्निया होना सबसे आम हैं, लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, बीच पेट में और ग्रोइन क्षेत्रों (पेट और जांघ के बीच का भाग) में भी हो सकता है। यह समस्या स्त्री या पुरुष, किसी को भी हो सकती है।

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जब इंसान के पेट की मसल कमजोर हो जाती है या कोई दोष पैदा हो सकता है तब हर्निया की समस्या हो सकती है। योग के द्वारा इसका उपचार संभव है। यह कहना है एवरेस्ट योगा इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर और योग गुरु संजीव त्यागी का। उन्होंने कहा कि आसनों को करने से पहले सुक्ष्म क्रियाओं का अभ्यास जरूर करें। हर्निया के मरीजों को आसनों को कभी भी अधिक बलपूर्वक से नहीं करना चाहिए। ओर पीछे की ओर मुड़ने वाले आसन जैसे भुजंगासन , हस्त उत्थानासान वाले आसनों बिल्कुल नहीं करना चाहिए, अपनी क्षमता अनुसार के जितना हो सके सामने झुकने वाले आसनों का आभ्यास करे ।

त्रिकोणासन

यह आसन खड़े हो कर किया जाता है सबसे पहले मेट के आगे सम स्थिति में खड़े हो जाएं दोनों हाथों को कमर पर रखें अब दाएं पैर को पीछे ले जाएं पैरों में पांच से छ पैरों का फासला रखें दाएं पैर को 90 डिग्री कोण पर रखें पेट को दोनों पैरों के समानांतर रखें व सांस भरते हुए दोनों हाथों को कंधो के बराबर ले आएं अब सांस छोड़ते हुए बाएं हाथ को बाएं पैर पर रखे। ओर दाएं हाथ को देखने का प्रयास करें। ओर लंबी गहरी श्वास लेते हुए आसन में 30 सेकेंड तक बने रहें अब इसे दूसरी ओर से भी करें। यह आसन हमारे इंटरनल ऑर्गन की मसाज करता है।

---ताड़ासन 

सबसे पहले ताड़ासन जिसे खड़े हो कर किया जाता है इस में दोनों पैरों को जोड़ कर सांस लेते हुए दोनों हाथों की हथेलियों को आपस में फसा कर हथेलियों को आसमान की ओर खिंचे ओर लंबी लंबी सांसे लेते रहें ओर सांस छोड़ते रहें ओर आसन में कुछ देर तक रुकने का प्रयास करें। यह आसन हमारे मनकों को खिंचाव कर के नसों को आराम देता है।  इस आसन को दिन में चार से पांच बार जरूर करना करे, इस आसन को करने से हमारी रीड को अच्छा खिचाव आता है जिससे हर्निया वाली जगह मे काफी आराम मिलता है ।

गोमुखासना

ज़मीन पर योगा मेट बिछा लें। मेट पर पैरों को सीधा करते हुए दंडासन में बैठ जाएं। अब दाएं पैर को मोड़ते हुए बाएं पैर के उपर से बाएं नितम्ब के पास दाएं पैर को रखें।अब बाएं पैर को मोड़ते हुए दाएं नितम्ब के बगल में रख दें। अब दाएं हाथ को उपर ले जाते हुए कोहनी को मोड़ते हुए अपनी पीठ पर रखें। ओर बाएं हाथ को नीचे से मोड़ते हुई कमर के पीछे ले कर जाएं ओर दोनों हाथों को आपस में पकड़ ने का प्रयास करें। सीर को बीच में रखें। ओर लंबी गहरी श्वास लेते रहें ओर आसन में 1मिनट तक बने रहें ओर फिर धीरे धीरे वापिस दंडासन में आ जाएं अब इसे दूसरी ओर से करें। यह आसन कंधो, पाचन तंत्र के लिए भी बहुत ही अच्छा आसन है।

पाद हस्तासन

सबसे पहले मेट में सम स्थिति में खड़े हो जाएं अब लंबा सांस लेते हुए दोनों हाथों को कंधो के किनारे से खींचते हुए हाथों को उपर ले जाएं और अपनी कमर , कंधों को उपर की ओर खिंचे। अब लंबी सांस छोड़ते हुए नितम्ब को थोड़ा पीछे करते हुए आगे झुकते हुए दोनों हाथों को दोनों पैरों के बगल में रख दें और सिर को पैरों से लगाने का प्रयास करें ओर कमर को सीधा रखें। ओर आसन में 30 सेकंड तक बने रहें फिर वापिस आते हुए हस्तासन में थोड़ा कमर को आराम देते हुए वापिस सम स्थिति में आ जाएं। यह आसन रक्त संचार को बनाए रखता है। 

वज्रासन

आसन पर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एड़ियों पर बैठ जाएं। पैर के दोनों अंगूठे परस्पर लगे रहें। पैर के तलवों के ऊपर नितम्ब रहें। कमर बिल्कुल सीधी रहे, दोनों हाथ को कुहनियों से मोड़े बिना घुटनों पर रख दें। हथेलियाँ नीचे की ओर रहें। दृष्टि सामने स्थिर कर दें। पाँच मिनट से लेकर आधे घंटे तक वज्रासन का अभ्यास कर सकते हैं। वज्रासन लगाकर भूमि पर लेट जाने से सुप्त वज्रासन होता है। यह आसन हर्निया के मरीजों के लिए बहुत अच्छा आसन है।

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