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लुधियाना में बच्चों के कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहे अभिभावक, एंटीबाडी के आधार पर करवा रहे उपचार

लुधियाना के कई निजी अस्पतालों में काफी अभिभावक बच्चों को इलाज के लिए लेकर पहुंच रहे हैं जिन्हें पहले कोरोना हुआ और फिर मल्टीसिस्टम इनफ्लामेट्री सिंड्रोम की चपेट में आ गए। सेहत विभाग तक इन बच्चों की जानकारी नहीं पहुंच रही है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 08:45 AM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 08:45 AM (IST)
लुधियाना में बच्चों के कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहे अभिभावक, एंटीबाडी के आधार पर करवा रहे उपचार
लुधियाना में अभिभावक बच्चों के कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहे हैं।

लुधियाना [आशा मेहता]। लोग बच्चों के कोरोना टेस्ट करवाने से हिचक रहे हैं। लक्षण महसूस होने पर भी बच्चों के कोरोना टेस्ट न करवाकर सिर्फ एंटीबाडी टेस्ट के आधार पर उनका इलाज करवा रहे हैं। शहर के कई निजी अस्पतालों में काफी अभिभावक बच्चों को इलाज के लिए लेकर पहुंच रहे हैं जिन्हें पहले कोरोना हुआ और फिर मल्टीसिस्टम इनफ्लामेट्री सिंड्रोम (एमआइएससी)  की चपेट में आ गए। सेहत विभाग तक इन बच्चों की जानकारी नहीं पहुंच रही है। कुछ निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने बताया कि उनके यहां चार से 12 साल तक की उम्र के ऐसे बच्चे आ रहे हैं, जिनमें एमआइएससी के लक्षण होते हैं। जब अभिभावकों को बच्चे का कोरोना टेस्ट करवाने के लिए कहते हैं, तो वह सीधे मना कर देते हैं। वह कहते हैं कि अगर बच्चा पाजिटिव आ गया, तो उसे होम आइसोलेशन में रहना होगा।

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सामाजिक रूप से भी यह उनके लिए अच्छा नहीं होगा। समझाने पर भी अभिभावक टेस्ट करवाने के लिए तैयार नहीं होते हैं। ऐसे में अभिभावकों का कोरोना टेस्ट करने के बाद जब हम लक्षणों के आधार पर एंटीबाडी टेस्ट करते हैं तो उसमें पता चलता है कि बच्चा कोरोना संक्रमण की चपेट में आया है। अभिभावक एंटीबाडी टेस्ट के आधार पर ही बच्चों का इलाज करवाकर चले जाते हैं। चिकित्सकों ने यह भी बताया कि उनके पीडियाट्रिक वार्ड में ऐसे काफी बच्चे भर्ती हैं।

डिस्ट्रिक एपिडेमोलाजिस्ट डा. रमेश कुमार का कहना है कि सरकार के सख्त निर्देश हैं कि अगर किसी अस्पताल में एमआइएससी, कोरोना संक्रमित या कोरोना से नेगेटिव हो चुका बच्चा इलाज के लिए आता है, तो उसकी तुरंत सूचना सेहत विभाग को दी जाए। इससे यह जाना जाएगा कि कोरोना संक्रमित होने और ठीक होने के बाद बच्चों पर इसका क्या असर हो रहा है। इस जानकारी से ही तीसरी लहर में बच्चों को कोरोना से बचाने की तैयारी हो पाएगी। इस निर्देश की कापी सभी निजी अस्पतालों को भी भेजी गई है। अगर कोई अस्पताल अभिभावकों के कहने पर अपने यहां एमआइएससी या कोरोना संक्रमित बच्चे से संबंधित जानकारी छिपा रहा है तो यह गलत है। सभी निजी अस्पतालों को दोबारा रिमाइंडर भेजा जाएगा।


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