राइस मिलर्स हड़ताल पर और नेता उपचुनाव में व्यस्त, खरीद और पेमेंट के लिए मंडियों हांफ रहे किसान Ludhiana News
मंडियों में किसानों की सांस फूलने लगी है। किसान को न वक्त पर पेमेंट मिल रही है और न ही उसके माल की खरीद हो रही है। उधर राइस मिलर्स भी सरकारी नीतियों के विरोध में हड़ताल पर हैं।
जेएनएन, लुधियाना। सूबे की मंडियों में एक तरफ दिन-ब-दिन धान की आमद जोर पकड़ रही है, वहीं धान खरीद सीजन के दौरान चार विधानसभा हलकों में चुनाव भी हैं। ऐसे में सूबे के ज्यादातर नेता चुनावों में व्यस्त हैं जबकि सूबे का किसान मंडियों में परेशान हो रहा है। मंडियों में किसानों की सांस फूलने लगी है। किसान को न वक्त पर पेमेंट मिल रही है और न ही उसके माल की खरीद हो रही है। उधर राइस मिलर्स भी सरकारी नीतियों के विरोध में हड़ताल पर हैं, ऐसे में मंडियों में लिफ्टिंग प्रभावित है और धान की बोरियों के अंबार लग रहे हैं। मंडी में फसल बेचने की सिरदर्दी के बीच किसान प्रकाश पर्व की तैयारियों में भी लगे हैं। इस बार वैसे भी श्री गुरु नानक देव जी का 550वा प्रकाशोत्सव है। इसके अलावा दीवाली के दो सप्ताह रह गए हैं। पिछले साल तमाम किसानों की दीवाली मंडियों में ही बीती थी, इस बार भी किसानों की दीवाली मंडियों में ही बीतने का अंदेशा है।
साफ है कि मंडियों में किसान की स्थिति अच्छी नहीं है। पिछले तीन-चार दिन से लुधियाना की दाना मंडी में धान की आवक काफी बढ़ गई है, लेकिन अभी न तो लिफ्टिंग हो रही है और न ही किसानों को पेमेंट मिलनी शुरू हुई है। लिफ्टिंग न होने से मंडी में चारों तरफ धान के अंबार लगे हुए हैं। आढ़ती और एजेंसिया धान बोरियों में भर-भरकर ढेरी लगाए जा रहे हैं। इस वजह से जो धान अब मंडियों में पहुंच रहा है, उसे संभालने में किसानों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। लिफ्टिंग न होने की वजह शैलर मालिकों की हड़ताल बताया जा रहा है। हालाकि खरीद एजेंसियों के कर्मचारियों का कहना है कि जल्द लिफ्टिंग शुरू हो जाएगी।
जालंधर बाईपास की दाना मंडी में अब रोजाना 400 मीट्रिक टन से ज्यादा धान आने लगा है। आढ़ती और किसान बताते हैं कि खरीद शुरू हुई दो हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से किसानों को फसल की पेमेंट मिलनी शुरू नहीं हुई है। अब केंद्र सरकार ने सूबा सरकार को कैश क्रेडिट लिमिट जारी कर दी है। उम्मीद है कि शीघ्र ही पैमेंट मिलना शुरू हो जाएगा।
अभी नमी की समस्या नहीं, लेकिन आगे बढ़ती जाएगी
आढ़ती जीत राम बताते हैं कि अभी तो नमी नॉर्मल है, लेकिन जैसे-जैसे खरीद लेट होती जाएगी, नमी की समस्या भी बढ़ती जाएगी. क्योंकि ओस की वजह से धान में नमी बढ़ जाती है। किसान जसविंदर और बूटा सिंह का कहना है कि बारिश की वजह से फसल पकने में हफ्तेभर की देरी हुई है, लेकिन मौसम ऐसे ही रहा तो नमी की ज्यादा प्रॉब्लम नहीं है। अब तक 1700 मीट्रिक टन धान की खरीद जालंधर बाईपास की दाना मंडी में तीन एजेंसिया पनसप, पनग्रेन और वेयरहाउस खरीद कर रही हैं। तीनो अभी तक 1700 मीट्रिक टन धान की खरीद कर चुकी है, लेकिन अभी तक लिफ्टिंग शुरू नहीं हुई है। पनग्रेन 700 मीट्रिक टन, पनसप 700 मीट्रिक टन, वेयरहाउस 300 मीट्रिक टन की खरीद की है।
मंडी में अब रोजाना आ रहा 400 मीट्रिक टन से ज्यादा धान
बहादुरके गाव से मंडी में धान लेकर आए 80 साल के बूटा सिंह कहते हैं कि सरकार की नीतियों का खामियाज़ा किसानों को ही भुगतना पड़ रहा है। सरकार 10 जून से पहले धान की रोपाई नहीं करने देती, इस वजह से फसल पकने में देर हो जाती है, जिससे नमी बढ़ जाती है। जिसका किसानों को नुकसान होता है। धान की फसल लेट पकने की वजह से गेंहू की फसल भी लेट हो रही है। मंडियों में भी किसानों को सरकार की तरफ से कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। श्री माछीवाड़ा साहिब मंडी माछीवाड़ा मंडी और उप खरीद केंद्र शेरपुर बेट, हेडों बेट और बुर्ज पवात में अब तक सरकारी खरीद एजेंसियों ने करीब 2.50 लाख क्विंटल धान की खरीद की है। परंतु शैलर मालिकों की तरफ से हड़ताल कारण इन मंडियों में से एक भी बोरी की लिफ्टिंग न हुई, जिस कारण हर तरफ बोरियों के अंबार लगने शुरू हो गए हैं। माछीवाड़ा मंडी में धान की आमद दिन प्रतिदिन तेज होती जा रही है। परंतु यदि शैलर मालिकों की हड़ताल लगातार जारी रही और लिफ्टिंग शुरू न हुई तो आने वाले कुछ दिनों में हालात यह हो जाएंगे कि किसानों को मंडी में अपनी फसल ढेरी करने की जगह नहीं मिलेगी।
गोदामों में जगह नहीं, शैलर मालिक मिलिंग नहीं करेंगे: बैनीपाल
राइस शैलर एसोसिएशन के प्रधान रुपिंदर सिंह बैनीपाल ने कहा कि एफसीआइ के गोदामों में पिछले वर्ष का चावल ही भरा पड़ा है। जब तक सरकार जगह का प्रबंध नहीं कर लेती तब तक शैलर मालिक धान की मिलिंग नहीं करेंगे और न ही मंडियों से धान की फसल उठाएंगे। उन्होंने कहा कि शैलर मालिकों द्वारा सरकार को लिखित रूप में दे दिया गया है कि बेशक मंडियों में से धान की फसल उठा कर सरकार अपनी निगरानी में उन के शैलरों में लगवा दे वे कोई किराया नहीं लेंगे। जब गोदामों में जगह का प्रबंध हो जाये तो शैलर मालिक धान की मिलिंग कर देंगे।
लिफ्टिंग और अदायगी बड़ी परेशानी बनी : खेड़ा
माछीवाड़ा सच्चा सौदा आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान हरजिंदर सिंह खेड़ा ने कहा कि लिफ्टिंग न होने के कारण उन की तरफ से मंडी में किसानों की फसल की बोरियों के अंबार लगने शुरू हो गए हैं। सरकार और शैलर मालिकों के बीच समझौते के बाद ही लिफ्टिंग शुरू हो पाएगी। बेशक सरकार द्वारा किसानों को 24 घटे में अदायगी करने के दावे किए जाते हैं, परंतु अब तक 2.50 लाख क्विंटल खरीदी फसल के करोड़ों रुपये में से सरकार ने एक पैसे की भी अदायगी नहीं की जो किसानों और आढ़तियों के लिए दूसरी बड़ी परेशानी बनी हुई है। दिवाली का त्योहार फीका रहने की संभावना मंडियों में बेशक धान की आमद जोरों पर है और दूसरी तरफ त्योहारों का सीजन भी चल रहा है परंतु मंडियों में किसानों को फसल की अदायगी न होने के कारण कुछ ही दिनों में आने वाला दिवाली का त्योहार फीका रहने की संभावना है, क्योंकि अभी तक किसानों की जेब में पैसा नहीं आया।
खन्ना मंडी : पहले देरी से शुरू हुई खरीद, अब लिफ्टिंग व पेमेंट अटकी
एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी खन्ना में किसान परेशानी में हैं। मंडी में पहले आढ़तियों की हड़ताल की वजह से पाच दिन देरी से सरकारी खरीद शुरू हुई। उसके बाद भी किसानों की मुसीबत खत्म नहीं हुई है। खरीद शुरू हुए 10 दिन बीतने के बाद भी पेमेंट के नाम पर एक भी पैसा किसानों की जेब में नहीं गया। उस पर राइस मिलर्स की चली हड़ताल से लिफ्टिंग भी नहीं के बराबर हो रही है। हालाकि, धान में नमी की समस्या इस बार ज्यादा नहीं दिखाई दे रही। मंडी में पहुंचते ही किसानों का धान बिक रहा है। हालाकि, पंजाब सरकार किसी भी स्थिति में 48 घंटे के भीतर खरीदी गई फसल के भुगतान का वादा करती है, लेकिन पांच अक्टूबर से शुरू हुई खरीद का एक भी पैसा पेमेंट किसी सरकारी एजेंसी ने अदा नहीं की है। हड़ताल पर चल रहे राइस मिलर्स की वजह से मंडी में लिफ्टिंग की समस्या भी आ रही है। हालाकि, खन्ना में सोमवार को राईस मिलर्ज ने अपनी हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर थोड़ी राहत दी है।
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