PTU-CU Bathinda Research: काेराेना की तीसरी लहर से बचाएगा केमिकल, सस्ते दाम में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में हो सकेगा इस्तेमाल
पीटीयू के कुलपति डाॅ.बूटा सिंह व केंद्रीय यूनिवर्सिटी के डीन डाॅ. वीके गर्ग ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि कोरोना काल में हेल्थ सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इसके चलते दोनों यूनिवर्सिटीज के एमओयू के चलते दोनों ही यूनिवर्सिटीज ने साध किया है।
जागरण संवाददाता, बठिंडा। सेंट्रल यूनिवर्सिटी व महाराजा रणजीत सिंह पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी जालंधर ने एक ऐसा केमिकल इजाद किया है जो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में इस्तेमाल हो सकेगा। इस पर बहुत कम खर्च आएगा। इसके इस्तेमाल से न केवल कंसंट्रेटर की कीमत काफी कम हो जाएगी बल्कि बिजली के उपयोग की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में यह लोगों की जिंदगी बचाने के साथ-साथ ईको फ्रेंडली भी रहेगा।
कोरोना काल में हेल्थ सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित
महाराजा रंजीत सिंह पीटीयू के कुलपति डाॅ.बूटा सिंह व केंद्रीय यूनिवर्सिटी के डीन डाॅ. वीके गर्ग ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि कोरोना काल में हेल्थ सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इसके चलते दोनों यूनिवर्सिटीज के एमओयू के चलते दोनों ही यूनिवर्सिटीज ने मिलकर ऐसे केमिकल की शोध की है जो कोरोना की संभावित तीसरी लहर में लोगों की जिंदगी सस्ते में बचा सकेगा। डाॅ.बूटा सिंह ने बताया कि एमआरएस पीटीयू की कैमिस्ट्री की प्रो. मीनू व केंद्रीय यूनिवर्सिटी के प्रो. नगिंदर बाबू ने प्रेशर सेविंग एग्जासिंटग टेक्नोलॉजी के तहत इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है।
मरीजों के लिए आक्सीजन की प्योरिटी 95 फीसद चाहिए
डाॅ. वीके गर्ग ने बताया कि मरीजों के लिए आक्सीजन की प्योरिटी 95 फीसद चाहिए होती है। हमारी शोध में इसमें 93 से 97 तक प्योरिटी आ रही है। इस मौके हरजिंदर सिद्धू, रजिस्ट्रार डाॅ. गुरिंदरपाल सिंह, डीन डाॅ. आशीष बालदी, डा.रूबल कनोजिया, पीआरओ रॉबिन जिंदल मौजूद थे। पेटेंट के लिए करेंगे अप्लाई : एमआरएसपीटीयू के कुलपति डा.बूटा सिंह सिद्धू ने बताया कि इस शोध के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ भी टाइअप किया जा रहा है और इसको पेटेंट कराने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। उन्होंने बताया कि सरकार के सांइस व टेक्नोलॉजी विभाग से इस प्रोजेक्ट के लिए चार करोड़ की मांग की गई है ताकि इसको तैयार किया जा सके।
जीयोलाइट से बेहतर है नया केमिकल
प्रो.मीनू ने बताया कि आजकल कंसंट्रेटर में जीयोलाइट केमिकल इस्तेमाल किया जा रहा है। इसको पहले 600 डिग्री तापमान पर गर्म करना पड़ता है। ऐसे में बिजली की बहुत ज्यादा खपत होती है। नए इजाद किए केमिकल मैटल आर्गेनिक फ्रेमर को रूम टेंप्रेचर पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे में बिजली की भी बचत होगी और पर्यावरण का भी नुकसान नहीं होगा और मरीज के लिए शुद्ध आक्सीजन भी तैयार कर ली जाएगी। इसके अलावा इस पर लागत भी कम होगी और मरीज को सस्ते में इलाज मिल सकेगा।