मां बोली, पुलिस ने पहले ही सही जांच कर आरोपित पकड़े होते तो आज मेरा बेटा जीवित होता
देश के चुनावी ताने-बाने में पंचायत चुनाव सबसे पहला और छोटा पड़ाव माना जाता है।
सचिन आनंद, खन्ना
देश के चुनावी ताने-बाने में पंचायत चुनाव सबसे पहला और छोटा पड़ाव माना जाता है। मगर इस चुनाव ने समराला के गांव सेह में खूनी संघर्ष को जन्म दे दिया। गांव की सरपंची ने पिछले करीब डेढ़ साल में दो सगे भाइयों गुरप्रीत सिंह गुरा और रविदर सिंह उर्फ सोनू की जान ले ली।
दोनों की हत्या सरेआम गांव में दिनदहाड़े कर दी गई। सेह गांव के इन दो हत्याकांडों ने गांवों की इस सियासत के घिनौने चेहरे को भी उजागर कर दिया है। मंगलवार को बेटे का शव गांव के चबूतरे पर रख मृतक सोनू की मां एवं अकाली दल की सरपंच रणजीत कौर ने पुलिस और कांग्रेस सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि उस समय सही ढंग से जांच की होती और आरोपित खुलेआम नहीं घूम रहे हो तो आज उनका बेटा सोनू जिंदा होता।
दरअसल, इस संघर्ष की शुरुआत 2018 के पंचायत चुनाव में ही हो गई थी। अकसर माना जाता है कि प्रदेश में जिसकी सरकार, पंचायतों पर भी उसी का कब्जा, लेकिन इस परंपरा को सेह गांव ने तोड़ा और अकाली दल की रणजीत कौर सरपंच बनी। हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह बात हजम नहीं हुई। इसके चलते 24 मार्च 2019 को रणजीत कौर के बड़े बेटे और अकाली नेता गुरप्रीत सिंह गुरा को शाम के वक्त गांव में ही सरेआम तेजधार हथियारों से काट दिया गया। गुरप्रीत गुरा को खन्ना के आइवी अस्पताल में गंभीर हालत में ले जाया गया जहां पर उसकी मौत हो गई।
तब इस हत्याकांड में आरोपित रहे कांग्रेस कार्यकर्ता हरजिदर सिंह जिदर और हरविदर सिंह गोला समेत कई लोगों पर केस दर्ज हुआ। इन दोनों को जांच के बाद पुलिस ने क्लीन चिट दे दी थी। मगर चश्मदीद गवाह गुरा के 40 साल के भाई रविदर सिंह उर्फ सोनू इन्हें आरोपित बता रहा था। बताया जाता है कि आरोपितों को सोनू से इसी बात का खतरा था कि कहीं उसके बयानों पर दोबारा अदालत केस में उन्हें शामिल न कर ले। इसी रंजिश में मंगलवार को गांव में दिनदहाड़े कार में आए हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाते हुए सोनू की भी हत्या कर दी। पिछली बार मजीठिया आए थे अफसोस करने
अकाली सरपंच रणजीत कौर के बेटे गुरप्रीत सिंह गुरा की अकाली दल में पैठ का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 24 मार्च 2019 को गुरा की हत्या के कुछ ही दिन बाद पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया गुरा के आवास पर पहुंचे थे। उन्होंने परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की थी। मजीठिया ने उस समय कांग्रेस को कटघरे में खींचते हुए पंजाब सरकार को हत्याकांड के लिए जिम्मेदार ठहराया था। अकाली नेताओं ने कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार
अब मंगलवार को गुरा के भाई रविंदर उर्फ सोनू की हत्या के बाद एक बार फिर इलाके में सियासी उबाल आ गया है। अकाली नेताओं संता सिंह उमैदपुरी और जगजीवन सिंह खीरनिया ने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि क्रिमिनल लोगों को कांग्रेस पार्टी ही शह दे रही हैं। ऐसे लोगों को पार्टी में लाया जा रहा है। इसी के चलते सियासत में खून खराबा बढ़ गया है। 11 आरोपित नामजद, तीन अज्ञात पर भी केस
रणजीत कौर की शिकायत पर थाना समराला की पुलिस ने 11 लोगों को नामजद किया है, जबकि तीन आरोपित अज्ञात बताए गए हैं। इनमें गांव सेह के रहने वाले हरजिदर सिंह जिदर, कुलवीर सिंह पप्पी, जगबीर सिंह जग्गा, बिक्रमजीत सिंह विक्की, हरजिदर सिंह की पत्नी मनजीत कौर, बिदर सिंह, बिदर सिंह का बेटा अमन सिह, हरविदर सिंह गोला, गांव भड़ी के रहने वाले लाला, पायल के गांव मुल्लापुर के शिगारा सिंह और उसका बेटा शामिल हैं।