बहुत देख ली यहां की मेहमाननवाजी, कहा कुछ और वसूला कुछ, सिस्टम ही ऐसा है
विदेश से आए भारतीयों को जिला प्रशासन की देखरेख में 14 दिन तक सरकारी गेस्ट हाउस और होटल्स में क्वारंटाइन किया जा रहा है।
राजेश शर्मा, लुधियाना
लॉकडाउन पीरियड के दौरान विदेश से आए भारतीयों को जिला प्रशासन की देखरेख में 14 दिन तक सरकारी गेस्ट हाउस और होटल्स में क्वारंटाइन किया जा रहा है। बहुत से लोग यह पीरियड पूरा करके घर भी जा चुके हैं। लॉकडाउन पीरियड के दौरान विदेश में कैसे रहे, किस तरह भारत पहुंचे, क्वारंटाइन पीरियड में सरकारी मेहमाननवाजी कैसी रही। अब यहीं बसने का इरादा है या फिर लौट जाएंगे। इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए दैनिक जागरण ने उन लोगों से मुलाकात की जो हाल ही में क्वारंटाइन पीरियड पूरा करके घर पहुंचे हैं।
विदेश से लौटे ये लोग जिला प्रशासन की मेहमाननवाजी से खुश नहीं दिखे और अपना दर्द बयां करते हुए यहां के सिस्टम पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि 14 दिन रखने के लिए सात हजार रुपये का भुगतान करने के लिए कहकर बाद में 14 हजार रुपये ले लिए गए। केंद्र सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पांच हजार की टिकट 14 हजार में खरीदनी पड़ी। पंजाब सरकार ने अमृतसर से लुधियाना पहुंचाने के लिए 790 रुपये प्रति यात्री ले लिए। फ्लाइट के दोगुने पैसे लिए, कमरे का भी डबल किराया वसूला गया
दुबई से 14 हजार रुपये का भुगतान कर मैं अमृतसर की फ्लाइट में आया। हालांकि सामान्य दिनों में मैं करीब सात हजार रुपये की टिकट लेकर आता रहा हूं। यानि दोगुने पैसे लिए गए। फिर वहां से 790 रुपये प्रति यात्री पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के पार्कर हाउस के लिए हमसे पैसे ले लिए गए। हमें पहले बताया गया था कि पांच सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करना होगा जिसमें खाने के चार्ज भी शामिल रहेंगे। पानी की बोतल मांगते तो जवाब दे दिया जाता। पानी हमें विधायक सिमरजीत बैंस की टीम देकर जाती थी। छह दिन बाद एक नोटिफिकेशन दिया जिसमें प्रति व्यक्ति एक हजार रुपये का जिक्र था। पहले हमें यह स्पष्ट नहीं किया कि हमसे प्रति बेड नहीं बल्कि प्रति रूम एक हजार रुपये देना पड़ेगा। अब प्रशासन पहले बताता कुछ है और बाद में करता कुछ है। यह तो गलत है। दूसरा रूम में टीवी नहीं था। अखबार भी नहीं दिया गया। कुल मिलाकर मोबाइल के सहारे ही 14 दिन गुजारने पड़े।
-दुबई से आए डाबा रोड निवासी विजय कुमार ने जैसा बताया।
------ दुबई और अपने देश का सिस्टम बहुत देख लिया, अब यहां नहीं रहूंगा
मुझे केंद्र सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन से भी नाराजगी है। छह महीने की इंटर्नशिप के लिए मैं दुबई गया था। वहां से केंद्र सरकार के 'वंदे भारत' अभियान के तहत रजिस्ट्रेशन करवाई तो भारत आने के लिए फ्लाइट मिली। दुबई में लॉकडाउन होते ही वहां की सरकार ने कंपनियों को अपने कर्मचारियों का ख्याल रखने के लिए कह दिया। डेढ़ महीने तक कोई किराया नहीं देना पड़ा। खाने का इंतजाम भी कंपनी ने ही किया। वापस आया तो फिजिकल डिस्टेंसिग की बात करने वाली केंद्र सरकार ने तीन गुणा अधिक किराया वसूलने के बावजूद प्लेन में एक भी सीट खाली नहीं छोड़ी। अमृतसर एयरपोर्ट पर तो हालात इससे भी बदतर थे। वहां से लुधियाना लाए तो जिला प्रशासन ने सात हजार रुपये कहकर 14 हजार रुपये वसूल लिए। अगर यह लोग पहले बता देते कि प्रतिदिन का एक हजार रुपये लेना है तो हम होटल का कमरा ले लेते जिसका किराया 1300 रुपये था। इन छह महीनों में दुबई और अपने देश के सिस्टम को बहुत नजदीक से देख लिया। बहुत अंतर दिखा। अब विदेश जाकर बसने का ही इरादा है।
-दुबई से लौटे साहनेवाल के राहुल गुलाटी ने जैसा बताया।
-----------
जोनल कमिश्नर की प्रतिक्रिया
पार्कर हाउस में लगाई हैं गाइडलाइन की सूचना
नगर निगम के जोनल कमिश्नर एवं पार्कर हाउस क्वारंटाइन सेंटर के इंचार्ज कुलप्रीत सिंह ने इन लोगों के आरोप पर कहा कि जिला प्रशासन ने पार्कर हाउस में प्रति बेड 500 और प्रति कमरा 1000 रुपये की राशि तीनों समय के खाने समेत तय कर रखी थी। इसकी जानकारी पार्कर हाउस के हर कोने में सूचना बोर्ड लगाकर की गई है। पेयजल के लिए वाटर कूलर है। वहीं से सभी लोग पानी पी रहे हैं। यह पूरी जानकारी सभी को पहले ही दे दी गई थी।