किसी भी क्षेत्र में काम करने के लिए उत्साह जरूरी, कॉपी नहीं अब संगीत में क्रिएटिविटी दिखा रहे बच्चे
किसी भी क्षेत्र में काम करना हो तो उसके लिए जुनून उत्साह और जोश का होना बेहद जरूरी है। ऐसा ही म्यूजिक के क्षेत्र में है।
लुधियाना, [राधिका कपूर]। किसी भी क्षेत्र में काम करना हो तो उसके लिए जुनून, उत्साह और जोश का होना बेहद जरूरी है। ऐसा ही म्यूजिक के क्षेत्र में है। कोई इसमें प्रोफेशन बना रहा है तो कोई शौक के लिए इसमें हाथ आजमा रहा है। आज लाखों लोग गायकी को पसंद करते हैं। आज गायकी के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। आज के बच्चे इस क्षेत्र में अपनी क्रिएटिविटी दिखा रहे हैं। यह कहना है इशमीत सिंह म्यूजिक इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. चरन कमल सिंह का।
उन्हाेंने कहा कि पहले समय था जब गायकी की कोई प्रतियोगिता होती तो ज्यादातर बच्चे अपने पसंदीदा गायक के गीत को सुनकर कापी करते हुए उसे प्रस्तुत करते थे। उसी ढंग से गीत के बोल भी बोलते थे। पर आज के बच्चे संगीत के क्षेत्र में नई-नई चीजें जोड़ते हुए उसे और निखार रहे हैं। वे एक नहीं बल्कि अलग-अलग जोनर के गीतों को गाकर महारत हासिल कर रहे हैं।
लॉकडाउन में नहीं टूटी लय, ऑनलाइन जुड़े विद्यार्थी
डॉ. चरन कमल सिंह ने कहा कि गायकी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें गाने वाले का जुनून देखने को मिलता है। लॉकडाउन ने हर किसी को ऑनलाइन का नया माध्यम दिया है। गायकी में ऑनलाइन एक ऐसा मीडियम है जिसमें वन टू वन इंट्रेक्शन हो रहा है। लॉकडाउन में भी गायकी की लय नहीं टूटी। अमेरिका, कनाडा के ऐसे कई बच्चे इस दौरान गायकी की सीख के लिए इंस्टीट्यूट से ऑनलाइन जुड़े जो तबला, क्लासिकल, सूफी, फॉक म्यूजिक की सीख हासिल कर रहे हैं।
रिएलिटी शोज बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध करवा रहे
ध्वनि एसोसिएशन फॉर प्रमोशन ऑफ आर्ट और आरके गजल टाइम के प्रमुख रंधीर कंवल ने कहा कि गायकी का महत्व थैरेपी की तरह है। हर वर्ग के लिए यह जोनर अलग-अलग है। बदलते समय में इस क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ी हैं। क्रिएटिविटी के साथ संगीत में ताल, बीट, भाषा के साथ बदलाव कर रहे हैं। हिंदी गीतों को पंजाबी व पंजाबी गीतों को हिंदी में बदल रहे हैं। दूसरा अब रिएलिटी शोज भी सपने साकार करने में अहम रोल निभा रहे हैं। गायकी के क्षेत्र में चलने वाले यह शो हर किसी के टैलेंट को पहचाने हुए बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहे हैं।
कब कहां से हुई इस दिवस की शुरुआत
अक्टूबर, 1981 में फ्रांस के कल्चरल मिनिस्टर जैक लैंग ने मॉरिस फ्ल्यूरेट को म्यूजिक और डांस का डायरेक्टर नियुक्त किया और गलियों में इकट्ठे होकर संगीत को बढ़ावा देने की योजना बनाई। 21 जून, 1982 से हर साल वर्ल्ड म्यूजिक डे मनाने की शुरुआत हो गई।