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महिलाआें की हुंकार: क्रूरता अब और नहीं बर्दाश्‍त, हक के लिए संघर्ष का बिगुल

पंजाब की इन महिलाओं ने एेलान कर दिया है कि वे अब क्रूरता सहन नहीं करेंगी और अपने हक के लिए संघर्ष करेंगी। ये महिलाएं एनआरआइ पतियों के धोखे कर श्‍ािकार हुई हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 01:11 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 01:15 PM (IST)
महिलाआें की हुंकार: क्रूरता अब और नहीं बर्दाश्‍त, हक के लिए संघर्ष का बिगुल
महिलाआें की हुंकार: क्रूरता अब और नहीं बर्दाश्‍त, हक के लिए संघर्ष का बिगुल

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। पंजाब की इन महिलाओं ने एेलान कर दिया है कि वे अब क्रूरता सहन नहीं करेंगी और अपने हक के लिए संघर्ष करेंगी। ये हैं एनआरआइ पतियों के धोखे कर श्‍ािकार हुईं महिलाएं। उन्‍होंंने साफ ऐलान कर दिया है- अब नहीं। उनके संघर्ष का परिणाम भी निकल रहा है और दूसरे देशों में रह रहे धोखेबाजों को सबक भी मिल रहा है। धोखेबाज एनआरआइ पतियों की सताई महिलाओं की संख्या देश में हजारों में है। पंजाब इनमें सबसे ऊपर है। महिलाओं का एकजुट संघर्ष व्यवस्था में सुधार का वाहक बन रहा है।

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लुधियाना की सतविंदर कौर भी धोखेबाजी का शिकार हुईं। लेकिन चुप बैठने के बजाय उन्होंने संघर्ष छेड़ा। आज पंजाब की सैकड़ों पीडि़ताएं उनकी मुहिम से जुड़ हक की लड़ाई लड़ रही हैं। नतीजा, धोखेबाज पतियों पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है।

एनआरआइ पतियों की सताई सैकड़ों महिलाओं की आवाज बनी 'अब नहीं'

सतविंदर की अगुआई में बनी पीडि़ताओं की संस्था 'अब नहीं' के प्रयासों का नतीजा है कि कार्रवाई शुरू हो गई है। विदेश भाग चुके 50 धोखेबाज पतियों के पासपोर्ट जब्त कर उन्हें देश के कानून के दायरे में खींच लाने की तैयारी हो रही है। धोखेबाज एनआरआइ पतियों की सताई पंजाब की 30 हजार से अधिक पीडि़ताओं की आवाज बुलंद कर रही है यह संस्था।

पति छोड़कर चला गया था विदेश

लुधियाना निवासी सतविंदर कौर बताती हैं कि वर्ष 2009 में उनकी शादी एनआरआइ लड़के से हुई थी। पति ने उन्हें विदेश ले जाने के सपने दिखाए तो उन्होंने सरकारी शिक्षिका की नौकरी छोड़ दी। लेकिन पति के विदेश जाते ही ससुराल वालों ने परेशान करना शुरू कर दिया। विदेश जाने के बाद पति ने उन्हें छोड़ दिया। बाद में पता चला कि सास-ससुर ने बेटे को संपत्ति से बेदखल कर दिया है ताकि बहू पक्ष द्वारा की जाने वाली कानूनी कार्रवाई से बच जाए।

मिली चुनौती तो छेड़ा संघर्ष

सतविंदर बताती हैं कि वह न्याय के लिए थानों के चक्कर लगाती रहीं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अफसरों ने कह दिया कि तुम्हारी जैसी कई लड़कियां घूम रही हैं। तुम्हारे केस में कुछ नहीं होना है। तुम्हें नेता बनना है तो बन जाओ...।

सतविंदर ने बताया कि उसी वक्त उन्होंने तय किया कि संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाएंगी। अपने जैसी पीडि़ताओं को ढूंढ, उन्हें भी साथ लेती गईं। बाद में पीडि़ताएं स्वत: इस मुहिम से जुडऩे लगीं। देशभर की 100 से अधिक पीडि़ताएं उनकी संस्था की सक्रिय सदस्य हैं।

पलविंदर कौर और सीमा जगराओं भी संस्था की सक्रिय सदस्य हैं। वह बताती हैं कि पंजाब से ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न भागों से पीडि़ताएं इस मुहिम से जुड़ रही हैं। इनमें ऐसी पीडि़ताएं भी शामिल हैं, जो एनआरआइ पति के साथ विदेश गईं और वहीं फंस कर रह गई हैं। संस्था ऐसे 150 मामलों में कानूनी लड़ाई लड़ रही है।

अब शुरू हुई प्रक्रिया

प्रीतम कौर की शादी वर्ष 1977 में हुई थी। उनका एनआरआइ पति वर्ष 1982 के बाद वापस नहीं आया। प्रीतम उस वक्त तीन माह की गर्भवती थीं। पति विदेश गया तो ससुरालियों ने तंग करना शुरू कर दिया। इसी वजह से उनका गर्भपात भी हो गया। उसके बाद वह पति की जमीन में हक पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं, लेकिन पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब प्रीतम के एनआरआइ पति के खिलाफ एफआरआइ दर्ज करवाने की प्रक्रिया शुरू हो सकी है।

सरकार बनाए सख्त कानून

सतविंदर कौर, पलविंदर कौर और अन्य सदस्याएं चाहती हैं कि सरकार ऐसा कोई ठोस कदम उठाए कि धोखेबाज एनआरआइ पतियों के खिलाफ ठोस करवाई संभव हो सके। उनकी मांग है कि ससुराल की प्रॉपर्टी में भी हिस्सा दिया जाना चाहिए क्योंकि धोखेबाजी के बाद महिला बेघर हो जाती है। सरकार ऐसा कानून बनाए कि धोखेबाज की प्रॉपर्टी बेचकर पीडि़ता को न्याय दिलाया जा सके।


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