निर्जला एकादशी आत्मसंयम की साधना का पर्व
खन्ना श्री प्राचीन गुग्गा माड़ी शिव मंदिर में पंडित देशराज शास्त्री ने बताया निर्जला एकादशी आत्मसंयम की साधना का पर्व है।
जागरण संवाददाता, खन्ना
श्री प्राचीन गुग्गा माड़ी शिव मंदिर में पंडित देशराज शास्त्री ने बताया कि निर्जला एकादशी साधना का अनूठा पर्व है। हमारे धर्मग्रंथों में इस पर्व को आत्मसंयम की साधना का अनूठा पर्व माना गया है। निर्जला एकादशी की उपासना का सीधा संबंध एक ओर जहां पानी न पीने के व्रत की कठिन साधना है, वहीं आम जनता को पानी पिलाकर परोपकार की प्राचीन भारतीय परंपरा भी है।
पंडित शास्त्री ने कहा कि निर्जला एकादशी को पानी का वितरण देखकर आपके मन में एक प्रश्न अवश्य आता होगा कि जहां इस दिन के उपवास में पानी न पीने का व्रत होता है, तो यह पानी वितरण करने वाले कहीं लोगों का धर्म भ्रष्ट तो नहीं कर रहे हैं। मगर, इसका मूल आशय यह है कि व्रतधारी लोगों के लिए यह एक कठिन परीक्षा की ओर संकेत करता है कि चारों ओर आत्मतुष्टि के साधन रूप जल का वितरण देखते हुए भी उसकी ओर आपका मन न चला जाए।
उन्होंने बताया कि साधना में यही होता है कि साधक के सम्मुख सारे भोग पदार्थ स्वयमेव उपस्थित हो जाते हैं। वस्तु प्रदार्थ उपलब्ध होते हुए उनका त्याग करना ही त्याग है। अन्यथा उनके न होने पर तो अभाव कहा जाएगा। अत: अभाव को त्याग नहीं कहा जा सकता। दूसरी ओर जो लोग व्रत नहीं करते, उनको ऐसी स्थिति में एक गिलास शीतल पानी मिल जाता है, तो उनकी आत्मा प्रसन्न हो जाती है।
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संस, लुधियाना
शहर के मंदिरों में निर्जला एकादशी पर्व पर भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा आराधना की गई। इस दौरान भक्तों ने मंदिर के बाहर से शारीरिक दूर बना कर दान पुण्य की रस्म अदा की। इस दौरान शहर के विभिन्न स्थानों पर लगने वाली छबीलों पर इस बार काफी एक दूका ही जगह पर ठंडे मीठे जल की छबील लगाई गई। इस दौरान कईओं ने जरुरतमंदों को भोजन व पानी की बोतले वितरित कर इस पर्व को मनाकर पुण्य की भागी बनने का अवसर प्राप्त किया।